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इन कहानियों से जूझते हुए बार-बार रीतता, फिर-फिर भर आता। जान नहीं पाता कि रीतने के लिए लिखता हूँ, या रिक्त हूँ इसलिए कहानियाँ बेरोक-टोक बही आती हैं। पर एक बार जब ये कहानियाँ भीतर प्रवेश करती हैं तो लगता है कि यह सब मेरे अपने ही जीवन की कहानियाँ हैं। श
जाति पर आधारित आरक्षण ने गरीबों और वंचितों का सबसे अधिक नुकसान किया है। आदिवासियों, दलितों और पिछड़ों को आरक्षण से क्या मिलता हैं? सिर्फ नौकरियां! 5-7 हजार लोगों के मुंह में सरकारी नौकरियों की चूसनी (लॉलीपॉप) रखकर देश के 70 करोड़ से ज्यादा वंचितों के म
Vyavsaye Mein Prabandhan Gunwatta Ke 76 Mantra Read more
This book provides an analytical view of the successes and challenges encountered while creating the fast expanding rural sanitation movement in India, with a special focus on the last decade.While attempting to break the sanitation taboo in the coun
Swatantra Patrakarita Read more
सूचना तंत्र का दायरा बढ़ रहा है। जिसमें समाचार-पत्रों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। समाचार-पत्र निकालना जोखिम-भरा काम है। लेकिन बदलते दौर में यह काम काफी आसान हो गया है। नित नए समाचार-पत्रों का प्रकाशन हो रहा है। समाचार-पत्र पंजीकरण के लिए उसके प्रक
It is a book Read more
Mandir Wahi Banayenge Magar Kyon Read more
राजशेखर मिश्र पिछले 23 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं। दैनिक जागरण, रविवार, संडे ऑबजर्वर, स्वतंत्र भारत और मशहूर टीवी कार्यक्रम रू-ब-रू से संबद्ध रहे श्री मिश्र इस समय अमर उजाला में सहायक संपादक हैं और खेल पृष्ठों के प्रभारी भी। वैसे
इनका उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के गांव तराव में जन्म हुआ। बचपन नाना-नानी के साथ बाराचवर में बीता। प्राथमिक शिक्षा गांव के ही स्कूलों में हुई। उच्च शिक्षा वाराणसी, गोरखपुर और लखनऊ में की। एम.ए., एल.एल.बी. करने के बाद कुछ दिनों लखनऊ में वकालत की। शि
मिट्टी की गुल्लक में समायी इक्कीस कहानियाँ इर्द-गिर्द घूमती हैं, एक बच्ची के, जिसका नाम मुन्नी है। ये कहानियाँ आरंभ होती हैं घर में एक लड़की के जन्म से उपजी निराशा से और फिर उसी मुन्नी का गाँव से शहर आ अपनी पढ़ाई से खुद को शशक्त बनाना। इन कहानियों की न