सब कुछ यहीं है,
अनंत भी और शून्य भी.
तुम्हे समझ तो आता होगा ना??
कर्म भी और फल भी, दर्द भी और हर्ष भी,
मौन भी और पुकार भी, अहंकार का संहार भी..
तुम्हे पता तो होगा ना??
वो जो कल आया, आज नहीं है,
वो जो आज है, उसे किस बात पर नाज़ है?
सुनो... हर प्रश्न का हल मिल जाएगा,
पर अहंकार अक्षम्य है..
वो जो दर्द तुम हर वक़्त झेलते हो,
ये वही है जो अक्सर तुम लोगों के जज़्बातों से खेलते हो,
क्योंकि मैने पढ़ा है.. सब कुछ यहीं है..
तुमने भी सुना होगा ना??
स्वर्ग भी और नर्क भी,
उलझन भी और समाधान भी,
जो नही है. वो सिर्फ स्वीकार करने की क्षमता..
सब मे नहीं होती... पर तुममे तो होगी ना ??
इंसान बनकर जन्म लिया है तुमने,
इंसानियत तो तुममे होगी ना??