विधान--प्रदीप छंद (16,13) पदांत- लघु गुरु (1 2) 🌹गीत🌹 """"""""""चहुँ ओर है छल भरा यौवन, सहज समर्पण चाहिए ।प्रेम सरित उद्गम करने को, अनुरागी मन चाहिए ।। 🌹परखने की आँखें हो संग, संतुलन मन बना सके।ख्वाहिश हो सँवारने
विधान--प्रदीप छंद (16,13) पदांत- लघु गुरु (1 2) 🌹गीत🌹 """"""""""चहुँ ओर है छल भरा यौवन, सहज समर्पण चाहिए ।प्रेम सरित उद्गम करने को, अनुरागी मन चाहिए ।। 🌹परखने की आँखें हो संग, संतुलन मन बना सके।ख्वाहिश हो सँवारने
सफलता या असफलता दोनों के लिए ही कोई कारण होता है , बिना किसी कारण के ना तो सफलता मिलती है ना ही कोई असफल होता है . यह कारण मनुष्य को स्वयं बनाना होता है अपने कर्म से . सफलता या असफलता दोनों से ही मत्त्वपूर्ण है कर्म . सफलता से सुख का अनुभव होता है तो असफलता से दुःख का , औ