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गीत

9 अक्टूबर 2019

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विधान--प्रदीप छंद (16,13)

पदांत- लघु गुरु (1 2)

🌹गीत🌹

""""""""""

चहुँ ओर है छल भरा यौवन,

सहज समर्पण चाहिए ।

प्रेम सरित उद्गम करने को,

अनुरागी मन चाहिए ।।

🌹

परखने की आँखें हो संग,

संतुलन मन बना सके।

ख्वाहिश हो सँवारने की ,

मानवता को ला सके।।

ऐसे पथ के राही को नित,

हमसे नमन चाहिए ।

प्रेम सरित उद्गम करने को,

अनुरागी मन चाहिए ।।

🌹

स्वाहा हो जाएँ वृति सारी,

उनका प्रताप चाहिए ।

बीज अंकुरित होने को तो,

प्राकृतिक ताप चाहिए ।

ईश की चाहत हो दिलों में,

अश्रुपुरित घन चाहिए ।

प्रेम सरित उद्गम करने को,

अनुरागी मन चाहिए ।।**"""""*****""""""*****""""""**

व्यंजना आनंद ✍

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🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹"""""""""""""""""""""""शरद ऋतु करे आगमन, मन होए उल्लास ।जूही की खुशबू उड़े, पिया मिलन की आस।।आस किसी की मैं करूँ , जो ना आएं पास ।नित देखू राह उसकी, जाता अब विश्वास ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ✍

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शरद ऋतु

10 अक्टूबर 2019
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🌹सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक🌹"""""""""""""""""""""""दस्तक देती शरद ऋतु , मन मुखरित उल्लास ।जूही की खुशबू उड़े, पिया मिलन की आस।।आस किसी की मैं करूँ , जो ना आएं पास ।बाट निहारें दृग विकल टूट रहा विश्वास ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ✍

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💘तेरी चाहत में बात दिल में बस अब इतनी है सनमतुम हमें देखों हम तुझे यूँ ही निहारा करें ।।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹व्यंजना आनंद ( मिथ्या)

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शायरी

1 नवम्बर 2019
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