अपराध करो कम ना अपराधी,
अपराध ही है सारी व्याधि।
अपराध की कुछ मजबूरी होती,
अपराध की भी कुछ जड होती।
कुछ भोले-भाले इंसान भी,
अपराध चपेट में आ जाते।
कुछ अपनी ताकत के बलबूते,
अपने अपराध छुपा जाते।
अपराधी सिद्ध होता दीन,
धनवान के चेहरे छुप जाते।
कुछ असली अपराधी धरती पर,
पर्दे के पीछे घात लगा जाते।
अपराधी को सबक सिखाकर ही,
कम हो सकती है यह व्याधि।
कुछ निर्दोषों के चेहरे भी,
अपराध के रंग से पोते जाते।
अंधे कानून के रखवाले,
लालच में अंधे हो जाते।
अपराध बढ़े क्यों दुनिया में,
क्यों खींचातानी होती है।
क्यों सही अपराधी घूम रहे,
एक सच्चे की फांसी होती है।
क्या झूठे सजे दरबार यहां,
दरबारी ले गये समाधि।