ब्रम्हांड की संपूर्ण रचना निःशुल्क हैं । सभी रचनाएं एक- दूसरे पर आश्रित हैं और प्रकृति की सभी रचनाओं का अपनी आवश्यकता के अनुसार उपभोग करने का प्रयास करते है । जिसके परिणाम स्वरूप यह सृष्टी संचालित होती है । सभी एक -दूसरे को प्रभावित करते है , जिससे कुछ नयी उत्पत्ति होती है तथा कुछ नष्ट होते है।यह चक्र अनवरत् चलते रहती है जो सृष्टी की सृजन ,पालन और संहार का मूल कारण है।