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पुरुखों की यादें

hindi articles, stories and books related to purukhon kii yaaden


आज हम सब उन महान शख्सियत की बात करेंगे जो अक्सर हम सब उन सभी को न जाने क्यों याद नहीं करते न जाने क्यों उनके चर्च नहीं होते चलो हम मुद्दों से बाहर नहीं जाते मैं आप सभी से कुछ सवाल करूंगा मेरा पहला प्र

पात्र पात्र  राजीव पात्र दिव्या पात्र जया पात्र मुकेश कहानी कि शुरुआत होती है दिल्ली के रहने वाले राजीव के घर से जहां वो अपनी अस्त व्यस्त जिंदगी में अपने परिवार को और खुद

कहानी एक छोटे से गांव में शुरू होती है, जहां एक अजीब घटनाओं की लहर ने हर किसी की नींद उड़ा दी थी। गांव के लोग दिन-रात बस एक ही सवाल पूछ रहे थे - "क्या हो रहा है?" इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने की कोशिश में

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"  वायविन्द्रश्च सुन्वत आ यातमुप निष्कृतम् । मक्ष्वित्था धिया नरा ।  "  हे वायुदेव ! हे इन्द्रदेव ! आप दोनों बड़े सामर्थ्यशाली हैं। आप यजमान द्वारा बुद्धिपूर्वक निष्पादित सोम के पास अति श

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हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो हो यज्ञ के पुरोहित तुम हो हवि साधन दान के धन हो देवों के आवाहन तुम हो यज्ञ फल रत्न धारक भी हो हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो ज्ञानार्जन करते वो ऋषि हैं ज्ञान दान

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