सबके मन को मोहित करती , सब का मन गदगद करती । बासंती पवने चले शनै-शनैहरियाली का रंग भरती ।। फूलों की ख़ुशबू हर तरफ छाई,सरसों की पीली रंगत छाई । कोहरा से मुक्ति हुई ठंड कम,पतझड़ मौस
हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो हो यज्ञ के पुरोहित तुम हो हवि साधन दान के धन हो देवों के आवाहन तुम हो यज्ञ फल रत्न धारक भी हो हे अग्नि देव तुम्हें नमन हो ज्ञानार्जन करते वो ऋषि हैं ज्ञान दान