5 अगस्त 2017
जीवन नीरस है -२ तुम बिन है सूना आसमां तुम बिन है सूनी जमी तेरी ज़रूरत है जीवन नीरस है आंखें गीली तो नहीं दिल रो रहा रात दिन मन में हिलोरें खूब हैं जो मैं जी रहा तेरे बिन सीढ़ियों से गिर पड़ते हैं चलते-चलते रुक जाते हैं अब राह की रु