एक उम्र गुजर गयी, दूसरों के लिए सोंच सोंच करऐ ज़िंदगी, कुछ वक़्त अपने लिए भी निकालना सीख जा... -दिनेश कुमार कीर
प्यारी बेटी (बेटी है तो कल है) किसी गाँव में एक परिवार रहता था। उस परिवार में गणेश अपनी पत्नी रेखा, छोटा बेटा दिनेश, बहू विमला, पौत्री अनन्या के साथ रहता था। गणेश का बड़ा बेटा विकास बड़े शहर में