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"जो भी पास आया, दिल बहलाया"

1 अप्रैल 2022

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रचनाएँ
"निर्मल काव्य चेतना-अमृतांजलि"
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मैं निर्मल गुप्ता, एक नवीन लेखक अपने जीवन के अनुभवों को शब्द रुपी मोतियों में निखार कर कुछ सुन्दर कविता रुपी मालाओं का सृजन कर ,अपने प्रिय पाठकों के ह्रदय पर विराजमान करना चाहता हूं,जहां उनकी धड़कनें बसती है । ताकि वे एक नयी चेतना को प्राप्त कर मानवीय दुख-दर्द को समझ सके और सभी के साथ एक मानवतापूर्ण आचरण को अपनी दिनचर्या में शामिल कर सके । जीवन की विषम परिस्थितियों के अनुभवों को कविता रुपी मोतियों में सृजन कर सहानुभूति रुपी धागों में पिरोकर एक उचित वातावरण की सृजनता का प्रयास किया है। मुझे पूर्ण विश्वास है,कि आप सभी पाठकों का सहयोग हमारे प्रयास को अवश्य सार्थक बनायेगा । पुस्तक का आवरण पृष्ठ,इस बात का प्रतीक है कि जिस प्रकार द्रोपदी को भरी हुई सभा में दुर्योधन के द्वारा निर्वस्त्र किये जाने पर ,वह एक असहाय दम तोड़ती हुई, अबला स्त्री के रुप में अपनी लाज व प्राणों को बचाने की याचना भगवान श्री कृष्ण जी से करती है।और भगवान श्री कृष्णजी द्रोपदी के चीर को बढ़ा कर दुर्योधन को हताश कर, द्रोपदी की रक्षा करते हैं। भगवान श्री कृष्ण जी की सहानुभूति और भक्त-वत्सलता, द्रोपदी के लिए "चेतना- अमृतांजलि" के समान प्रतीत हुई। इसी प्रकार असहाय व दुखी लोगों को मेरी काव्य रचनाएं, एक "चेतना- अमृतांजलि" के समान एक नयी चेतना का सृजन कर, नया जीवन प्रदान कर सकती है। इसीलिए मैंने अपनी नयी पुस्तक को शीर्षक "निर्मल काव्य चेतना-अमृतांजलि" प्रदान किया है ।
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"जिन्दगी का सफर"

23 मार्च 2022
3
1
1

जिन्दगी का सफर छोटा हो, कोई बात नहीं । इस छोटे सफर में, प्रतिभाओं की,निधि मिल जाये,होगी जीवन की, सौगात बड़ी । &nb

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"दुनिया का रश्मो-रिवाज यही है"

23 मार्च 2022
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1
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इस दुनिया का दस्तूर,कितना अजीब है। जो दस्तूर को, न समझ पाया,सचमुच इस दुनिया में, गरीब वही है । सफलता मिलने पर ,हजारों कद्रदान व मेहरबान हो जाते है

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"झूठ सरपट दौड़ लगाने लगा है"

23 मार्च 2022
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दिखाने का जमाना, रिझाने का जमाना हो गया । सच है,अपनी बातों में,फंसाने का जमाना हो गया ।झूठ बोलने में,जो निपुण हुआ, खुशहाल हो गया । दूसरों की हमदर्दी पाकर, निहाल

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"कमबख्त मोहब्बत ने मुझे, रात भर सोने न दिया"

23 मार्च 2022
1
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तुम्हारा साथ होता,तो जिन्दगी हंसी हो जाती । मेरे हाथ में तुम्हारा हाथ होता,तो कोई कमी न रह जाती । जेब में दौलत न होती,फिर भी खुशहाल हो जाता । &nbsp

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"रावण के दस शीश कट गये, गुमान में"

23 मार्च 2022
1
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जिनको उंगली पकड़कर,चलना सिखाया था, वो‌ नजरें छुपा रहे हैं ।सचमुच वो आज हमको, फिर से आजमा रहे हैं ।इतना गुमान लेकर, ईमान दिखा दिया । &n

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"आज जिन्दगी न जाने क्यूं, हंसी लगने लगी है"

23 मार्च 2022
1
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आज जिन्दगी न जाने क्यूं, हंसी लगने लगी है ? मेरे दिल में भी, खुशी मचलने लगी है ।खुशियों के आने का, आभास हो रहा है । &nb

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"भावनाओं से परे, इन्सान आज क्यों हो गया?"

23 मार्च 2022
1
1
1

भावनाओं से परे,इन्सान आज क्यों हो गया ? सिर्फ़ मतलब के लिए ,मतलब- परस्त हो गया ।दिल में ,उसके हमदर्दी की,आह अब मिलती नहीं । सच है, दुनिया में कहीं,

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"समय की धड़कनों में, इन्सान बदल गये"

23 मार्च 2022
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समय की धड़कनों में, इन्सान बदल गये । अपने तो सब, किरदार बदल गये ।पास जो थे,दूर वो निगाहों से हो गये । ख्वाब जो टूटा,सपने भी बिखर गये ।हम कर न सके कुछ भी, खामोश र

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"समय का कारवां चल रहा है"

23 मार्च 2022
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समय का कारवां चल रहा है । रफ़्तार तेज है ।मैं साथ, चलूं कैसे ? मेरा कुछ, आन्दाज मस्त है ।भाग-दौड़ की जिंदगी से, ऊब गया हूं ।‌ आज अंदर-बाहर से, टूट गया हूं ।फि

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"हो गया आहत मेरा दिल"

24 मार्च 2022
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हो गया आहत मेरा दिल, देखकर उस दर्द को । जिसमें छिपा था, बावले, इक पिता का दुःख दर्द जो ।कितना आहत वह हुआ, जंब पीठ पर कोड़े चले । थे वहां पर सब खड़े,पर पी

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" क्यूं भारतीय संस्कृति, निर्जीव हो रही है ? "

24 मार्च 2022
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बदल गया जमाना । बदल गये सब लोग ।आज आधुनिकता की दौड़ में, सब आधुनिक, हो गये लोग ।अभिवादन और चरण-स्पर्श भूल गये । बाय-बाय और टाटा

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"कितने मौसम बदल गये, तुम्हारे इन्तजार में"

24 मार्च 2022
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कितने मौसम बदल गये, तुम्हारे, इन्तजार में ।तुम नहीं आये, किसी के प्यार में । अब आंखें भी, थक रही हैं ।सांसें भी, थम रही है । इक झलक देखने को,हस

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"समय बदला,सब कुछ बदल गया"

24 मार्च 2022
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समय बदला । सब कुछ बदल गया । जो अपने अजीज थे । &nb

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"बेटियां घर की शान हैं"

24 मार्च 2022
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बेटियां, घर की शान है । सचमुच, ईश्वर का वरदान हैं ।जिस घर में, बेटियां जन्मी है । उस घर में, रौनक ठहरी है ।बेटियों को चलो, &nb

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"नयी आश लेकर, तुम्हें चलना ही होगा"

24 मार्च 2022
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नयी आश लेकर , तुम्हें चलना ही होगा ।नये रास्तों को, तुम्हें चुनना ही होगा । कठिन होगा,यूं तो सफ़र भी बहुत ।फिर भी तुम्हें आगे, बढ़ना ह

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"नींद भी क्या चीज है?"

25 मार्च 2022
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नींद भी क्या चीज है ? कितना सुखद, आभास दे जाती है ।सचमुच, गमगीन लोगों को, इक विश्राम दे जाती है । कितना दुख संलिप्त हो, सांत्वना मिलती नहीं ।नींद के आगोश में,कोई, चिंता तो रहती नहीं

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"क्रोध का अपना अलग स्वरुप है"

25 मार्च 2022
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क्रोध का अपना, अलग स्वरूप है। नश्वरता में ढाल सबको, कर देता, कुरूप है ।क्रोध के रंग हजार है,इसकी प्रतिक्रियायें बेसुमार हैं। क्रोध इक, धधकती चिंगारी है।कभी-कभी क्रोध,

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"श्री कृष्ण राधा के प्रेम की, जग में नहीं मिशाल"

25 मार्च 2022
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श्री कृष्ण ,राधा के प्रेम की, जग में नहीं मिशाल । श्री कृष्ण बिना, ये राधिका, हो जाये निष्प्राण ।हो जाये निष्प्राण, राधिका चैन न पावै । श्री कृष्ण

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"वो महफूज रहते हैं, घोर हवाओं में"

25 मार्च 2022
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मेरे गुलशन में, बहार आ जाये । जिन्दगी में खुशियां, बेसुमार छा जायें ।मेरी तमन्ना है, खुशियां लुटा दूं ,औरों के लिये । काश ! लोगों को जीना सिखा दूं,औरों के

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"तुम बिन जीना"

25 मार्च 2022
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तुम बिन जीना, जीना है, क्या ?तुम बिन हंसना, हंसना है,क्या ?तुम बिन, नींद आती नहीं । तुम बिन, दुनिया सुहाती नहीं ।मासूम दिल ये,&n

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"मैं वैश्या हूं"

25 मार्च 2022
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मैं वैश्या हूं, एक तरफ मैं, लोगों का मन बहलाकर, करती रहती हूं, खुशहाल ।दूसरी तरफ, मैं लोगों की नफ़रत का,

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"कल, जिन्दगी मिले न मिले"

25 मार्च 2022
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पास बैठो,चंद पल, प्यार की बातें कर लें। कल, जिन्दगी मिले न मिले ।क्यूं न, आज, प्रेम से आलिंगन कर लें । जिन्दगी का क्या भरोसा,ये तो इक धोखा है ।कल तुम ही न

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"सड़क किनारे बैठा, एक भिखारी"

25 मार्च 2022
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सड़क किनारे बैठा, एक भिखारी, कुछ ढ़ूंढ रहा था ।विस्फारित नयनों से, कुछ खोज रहा था । नयनों में थी, नहीं रोशनी ।फिर भी चंद पैसों

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"सोच और हकीक़त"

26 मार्च 2022
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आंखों में लरजते आंसू, दिल का दर्द बयां,‌‌‌कर जाते हैं ।मुस्कुराते होंठ, दिल की ख़ुशी बता जाते हैं ।लेकिन यह बात हमेशा, सार्थक न हुई । किसी की आंखों में, खुशी के

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"क्या इसी का नाम जिन्दगी है?"

26 मार्च 2022
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प्रकृति रुकती नहीं, जिन्दगी थमती नहीं।गमों के दौर में भी दुनिया, इक पल ठहरती नहीं ।क्या इसी का नाम जिन्दगी है ? सच

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"नीरवता का भी है, अस्तित्व महान "

26 मार्च 2022
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नीरवता का भी है, अस्तित्व महान । श्रमित,थकित मानव,करता है, इसका मान ।शोरगुल और ऊहापोह से,थकित मानव , चाहता है, नीरवता का, हरदम वरदान ।कुछ पल शान्त क्षणों में रहकर । &nbs

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""जीना सीख लिया,हर हाल में"

26 मार्च 2022
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जीना सीख लिया हर हाल में । सुख हो या दुख ,कोई बात नहीं ।कोई खुश हो या नाराज हो,कोई बात नहीं । आलोचना हो या प्रसंशा,कोई बात नहीं ।सिर्फ ईश्वर की कृपा, हो सौगात मेरी ।&n

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"कैसा प्रारब्ध?"

26 मार्च 2022
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इंसान पेड़ों को काट रहा था। इक पक्षी दूर उड़ता,अश्रु-मोती बिखेर रहा था ।आंखों में सजल नीर भर, आवाज रुंध गयी उसकी । देखते-देखते,आशायें मिट गयी उसकी । &nbsp

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"मौसम बदलते रहे"

26 मार्च 2022
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मौसम बदलते रहे। लोग बदलते रहे ।हम नहीं बदले । लोगों के तेवर, बदलते रहे ।समय रुकता नहीं । वक्त ठहरता नहीं ।दर्द रुकते नहीं ।

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"क्या नारी इक, अबला बेचारी है ?"

27 मार्च 2022
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क्या नारी इक, अबला बेचारी है ? क्यूं नारी इक अबला बेचारी है ?नारी है, वह शक्ति पुंज, जिससे जन्मी हैं,सभी शक्तियां ।इसीलिए ओंठों पर,मेरे रहती है, &nb

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"जिन्दगी सिर्फ, दो लफ्जों की इक कहानी है"

27 मार्च 2022
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ज़िन्दगी सिर्फ ,दो लफ्जों की इक कहानी है । जिन्दगी जन्म और मृत्यु का, साकार स्वरुप है ।जिन्दगी सुख और दुःख का, प्रतिरूप है । जिन्दगी हार और जीत की, जंग क

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"दिखावे के जमाने में,अपना कुछ दस्तूर अलग है"

27 मार्च 2022
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दिखावे के जमाने में, अपना कुछ, दस्तूर अलग है ।आज भी मुझे, पुरानी चीजों से, न जाने क्यूं ,प्यार बहुत है ?लोग त्याग देते हैं, पुरानी चीजों को ।

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"जिन्दगी पर मौत का, पहरा लगा है"

27 मार्च 2022
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जिन्दगी पर मौत का, पहरा लगा है । हर खुशी पर, दुःख का सेहरा बंधा है ।फिर भी क्यूं, अपने अस्तित्व को, हम शहंशाह समझते हैं । बालू,पर ख्व

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"मैं इन्सान हूं, या नहीं ?"

27 मार्च 2022
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मैं इन्सान हूं, या नहीं, मुझे कुछ भी, पता नहीं ।इतना जरुर है, किसी की आंखों में आंसू देखकर, मुझे अच्छा नहीं लगता ।इतना जरुर है, किसी की आह सुनकर, &

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"आज नारी क्यूं, नारी की शोषक है ? "

27 मार्च 2022
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आज नारी क्यूं, नारी की शोषक है ?जबकि नारी सचमुच, जन-जन की पोषक है ।नारी कहीं, सहानुभूति की मूर्ति । तो कहीं ईर्ष्या-द्वेष की द्योतक है ।नारी के

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"यही बात दुनिया, अमल में लाने लगी है"

27 मार्च 2022
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देश की शरहदों पर खड़े सैनिक, देश के लिये,क्या नहीं करते ।अपने प्राण हथेली पर लेकर, देश के लिये ही हैं, मर मिटते ।शहीदों के स्मारक, स्मृति-चिन

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"नयी सुबह की आश में"

27 मार्च 2022
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नयी सुबह की आश में, कितने दिन, गुजार दिये हमने ।इक प्यार की प्यास में, कितनों से रिश्ते, बना लिये हमने ।मुड़कर जब भी देखा, तुम सा कोई साथी,न मि

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"मेरे लड़खड़ाते कदमों को, मत देखो"

28 मार्च 2022
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मेरे लड़खड़ाते कदमों को, मत देखो । मेरी मुस्कराहट को देखो ।तुम्हें इक प्रेरणा, मिल ही जायेगी । लड़खड़ाते कदमों में, मेरे साकी का जाम नहीं है ।दुनिया मुझे, कुछ भी समझें,

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"कभी-कभी भाग्य हमें, कुछ नहीं देना चाहता "

28 मार्च 2022
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कभी -कभी भाग्य हमें, कुछ नहीं देना चाहता । इंसान भी भाग्य भरोसे रहकर, कुछ नहीं लेना चाहता ।कुछ संघर्ष कर, लड़ लेते हैं, भाग्य से । भाग्य मजबूर हो, कुछ न कुछ दे देता है,चाव से ।काश !

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"प्रेम की कोई जाति, धर्म नहीं होती"

28 मार्च 2022
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प्रेम की कोई जाति, धर्म नहीं होती । प्रेम की अभिव्यक्ति की, कोई जुबां नहीं होती ।प्रेम पनपता है, चुपके-चुपके, जिसके पनपने की, कोई उम्र नहीं होती ।मासूमियत में प

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"जब दिल में, यादों का काफिला उमड़ने लगा"

28 मार्च 2022
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आज मिलकर,बिछुड़ने का, आभास हो गया । तुम्हारे बिन, जिन्दगी शून्य है ।इसका हमें, एहसास हो गया । प्रेम जीवन की, रस-धार हैं,इसका हमें, अनुमान न था ।&nbs

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"कौन तुम हो, प्रियतमे ?"

28 मार्च 2022
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कौन तुम हो, प्रियतमे ? मैं आज तक यह, जान, न पाया ।चुपके-चुपके से,ह्रदय में, क्यूं है, अपना घर बनाया ?घर बनाकर, सुन्दर तुमने, यादों का, क्यूं बुत बनाया ?बेचैनी का

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"इस सुंदर जहां में, काश ! सुन्दर दिल होते"

28 मार्च 2022
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इस सुंदर जहां में, काश ! सुन्दर दिल होते ।हर पल धड़कते, अपनी इक, महक छोड़ देते ।सुन्दर सूरत, सुन्दर जहां में, सुन्दर भावनाओं का, विस्तार क्यूं नहीं

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"दर्द दिल में, समाया है"

28 मार्च 2022
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दर्द दिल में, समाया है । होंठों पर, अनचाही हंसी का ,साया है।जुबां से इक लफ्ज भी,दर्द बयां हुआ, तो दुनिया हंस लेगी ।यही सोचकर मैंने, सीने में, दर्द छिपाया है ।&nbs

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"सच कहते हैं, दीवारों के भी कान होते हैं "

28 मार्च 2022
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दिल के दर्द को, दिल में ही छिपाना होगा । इस दिल के राज को, किसी को न बताना होगा ।इस दुनिया में राजदार ही,राज बयां कर देते हैं । फिर तालियां बजाकर, कहकहें लगा लेते हैं ।

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"मां ! सरस्वती, तूने ज्ञान का, प्रकाश दे दिया"

29 मार्च 2022
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मां ! सरस्वती, तूने ज्ञान का, प्रकाश दे दिया । मेरे सूने से मन में,इक आश, जगा दिया ।तुझ बिन, अंधेरा था, इस निर्मल मन में । ज्ञान का दीपक, न जल पाता,मन में ।तूने मेरी ले

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"मुझमें, सहानुभूति है या नहीं"

29 मार्च 2022
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मुझमें सहानुभूति है, या नहीं, मुझे, कुछ पता नहीं ।लोगों को, दुखी देखकर, क्यूं दिल, पसीज जाता है ?लोगों की कराह सुन, क्यूं मन, अजीब हो जा

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"मैं प्रयास हूं"

29 मार्च 2022
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मैं प्रयास हूं । सतत निरन्तर, चलने वाला ।कुछ के मन को, भाने वाला । जो कोई मेरे, सानिध्य में आता ।इच्छित फल को, वो पा जाता । पर कुछ हैं,मुझसे कतराते

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"हर सुन्दर सुबह, इक संदेश दे जाती है"

29 मार्च 2022
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हर सुन्दर सुबह,इक संदेश दे जाती है । कर्म-निष्ठों को कर्म करने का, उत्साह दे जाती है ।इक नयी चेतना का, सुन्दर पैग़ाम दे जाती है । कर्म की राह पर, कर

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"इक सुन्दर ख्वाब, दिल में पनपने लगा है"

29 मार्च 2022
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इक सुन्दर ख्वाब, दिल में पनपने लगा है । इक सुन्दर राग,कानों में, मधुर ध्वनि करने लगा है ।चमन में बहारें, मुस्कुराने लगी है । इक भीनी सी खुशबू, दिल में समाने लगी

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"फुरसत भी क्या चीज है, जिसे सभी प्यार करते हैं"

30 मार्च 2022
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फुरसत भी क्या चीज है, जिसे सभी प्यार करते हैं। जमाने में सभी फुरसत से ,आलिंगन करने को तैयार रहते हैं।लेकिन फुरसत के सहारे, हज़ारों काम रुकते हैं ।फुरसत भी क्या

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"हौसले बुलंद हो, तो मंजिल दूर नहीं"

30 मार्च 2022
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हौसले बुलंद हो, तो मंजिल दूर नहीं । प्यार सच्चा हो,तो इकरार दूर नहीं ।पैर में कांटे लगे हो, फिर भी मंजिल पा लेते हैं,लोग । दिल में दर्द हो, फिर भी मुस्कान ब

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"दुनिया में शिकायत, किससे करुं ?"

30 मार्च 2022
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दुनिया में शिकायत, किससे करुं ? जब सितम, अपनों ने किया ।दुनिया में प्यार, किससे करु ? जब प्यार अपनों का, न मिला ।हम तो सीधे-सादे, टूटे दिल की किरचों, &nbs

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"खूबसूरत चीजों को , तोड़ने का रिवाज जमाने का है"

30 मार्च 2022
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खूबसूरत चीजों को, तोड़ने का रिवाज , जमाने का है ।मजलूमों पर हंसने का, दस्तूर जमाने का है । गिरे हुओं को, उठाने की इंसानियत,सिर्फ इन्स

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"मां का आंचल, जब याद आता है"

30 मार्च 2022
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मां का आंचल, जब याद आता है । अतीत अपने आप,सामने लहराता है ।कितने सुंदर थे, वो दिन,जब मां के आंचल का साया था । मां की गोद की छांव में,मैं खुश

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"सुन्दर मन, सुन्दर चितवन"

30 मार्च 2022
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सुन्दर मन, सुन्दर चितवन, कब किसको न, भाव विभोर करे ।जब भाव विभोर करे, मन को, तन-मन सब, अर्पण भाव करें ।सुन्दर चितवन ,नत मस्तक कर, पल भर में काम, तमाम

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"लोग शिकायत करते हैं, सुनते नहीं"

30 मार्च 2022
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लोग शिकायत करते हैं, सुनते नहीं । लोग नजाकत करते हैं, सहते नहीं ।लोग बंदिशें करते हैं, बंदिशों में रहते नहीं । लोग नसीहत देते

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"लड़खड़ाते कदमों को देखकर, कोई सहारा नहीं देता"

30 मार्च 2022
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लड़खड़ाते कदमों को देखकर ,कोई सहारा नहीं देता । पैरों में चुभे ,कांटों को निकालने में,कोई सहारा नहीं देता ।कोई मंजिल तक पहुंचाने वाला,हमसफ़र यारा नहीं मिलता। &n

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"प्रेम मन का आभूषण है, तन का नहीं "

31 मार्च 2022
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प्रेम ,मन का आभूषण है । तन का नहीं ।प्रेम बंदिशों में, नहीं पलता, प्रेम स्वच्छन्द है ।प्रेम मन पर,

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"आनन्द को खोजता, मैं कहां-कहां नहीं भटका "

31 मार्च 2022
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आनन्द को खोजता, मैं कहां-कहां नहीं भटका । जो अपने ही अन्तर्मन में ब्याप्त है ।उसे क्यूं कर, मैं ढ़ूंढने, जगह - जगह भटका । आनन्द स्नेहिल भाव, जो मन को तृप्त कर देता है ।

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"उम्मीदों के चमन में, जीते हैं, हम सब"

31 मार्च 2022
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उम्मीदों के चमन में, जीते हैं, हम सब ।कभी-कभी दर्द, ग़म का पीकर, हंस लेते हैं,हम सब ।उम्मीदों के चमन में, जीते हैं,हम सब । हर सुबह इक नयी, आश लाती है ।आशाओं

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"इक छोटा सा नन्हा सा, जीव खरगोश"

31 मार्च 2022
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इक छोटा सा नन्हा सा,जीव खरगोश । आया मेरे घर था, लेकर अमित प्रमोद ।पाल -पोस कर, बड़ा किया, इठलाता था दुलराता था ।पलकों को झपकाकर,करता था मीठी-मीठी बातें ।जिसकी बातों से हो जात

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"इस सुंदर जहां में, सुन्दर लोग मिल जाते"

31 मार्च 2022
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इस सुंदर जहां में, सुन्दर लोग मिल जाते , तो जिन्दगी, खुशहाल हो जाती ।ढूंढता है दिल जिन्हें,हर पल ख्वाबों में । हम नहीं पा, पा रहे हैं ।उन्हें दिन के ,उजालों में ।&nbsp

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"कदम रुकने से, जिन्दगी नहीं रुकती"

31 मार्च 2022
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कदम रूकने से , जिन्दगी नहीं रुकती । किसी कै चले जाने से, ज़िन्दगी नहीं थमती ।दुनिया आगे बढ़ जाती है, हम पीछे रह जाते हैं । पर समय के साथ चलने पर,हम आगे निकल जाते हैं ।

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"कितनी सुन्दर सुबह थी'

31 मार्च 2022
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कितनी सुन्दर सुबह थी । कितनी सुगन्धित, मलय बयार थी ।अपनों का साथ था, मां का आशीर्वाद था । जिन्दगी सुहानी लगती थी ।रात परवानी लगती थी । स्वप्न टूटा,

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"जो भी पास आया, दिल बहलाया"

1 अप्रैल 2022
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जो भी पास आया, दिल बहलाया, फिर न जाने ,क्यूं झिटक दिया मुझको।आज हर शख्श से डर लगता है,जो भी पास आता है । हर शख्श मुस्कुराता है, रिझाता है ।मेरे दिल में अतीत को, झकझोर कर,&nbs

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"दिल की सुनो, दुनिया की नहीं"

1 अप्रैल 2022
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दिल की सुनो, दुनिया की नहीं । हंस के रहो, मुरझा के नहीं ।चंद लम्हों की, खुशियां बांट लो ज्यादा की रक्खो, आश नहीं ।चंद दिनों की जिंदगानी में, हंस बोल लो । &

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"इंसान, इंसान का रास्ता काटता है"

1 अप्रैल 2022
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इंसान, इंसान का रास्ता काटता है। बिल्लियां, तो सिर्फ बदनाम हैं ।स्वाभिमानी मनुष्य का, तिरस्कार किया जाता है । चापलूसी करने‌ वालों को, दुनिया में, ताज पहनाया जात

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"कभी फुरसत से मिलो, तो कोई बात हो"

1 अप्रैल 2022
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कभी फुरसत से मिलो,तो कोई बात हो । कभी उल्फत से मिलो,तो इकरार हो ।थोड़े से समय में ,बात, क्या हो पायेगी ? सिर्फ नज़रों की नजरों से, मुलाकात हो पायेगी ।जब मिलते हो

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"भगवान ने कितनी, सुन्दर रचनाएं की हैं"

1 अप्रैल 2022
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भगवान ने कितनी, सुन्दर रचनाएं की हैं, जिसकी कोई मिशाल नहीं ।पर समझ में नहीं आता, कि ग़रीबी भगवान की रचना का, इक उदाहरण है ,या सजग न्याय की, इक नज़ीर है ।भगवान न

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"मासूम बच्चों के, मुरझाए चेहरों की हंसी,वापस कौन ला सकता है?"

1 अप्रैल 2022
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मासूम बच्चों के, मुरझाए चेहरों की हंसी, वापस कौन ला सकता है ?जिनका बचपन ,इक जून रोटी कमाने में चला गया । रोटी की भूख,बच्चों की मुस्कान ले गयी ।देखत

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"बदलते मौसम की तरह, क्यूं बदल जाते हैं, लोग ?"

1 अप्रैल 2022
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बदलते मौसम की तरह, क्यूं बदल जाते हैं, लोग ? पास आकर क्यूं बिखर जाते हैं, लोग ?मुझे तन्हाई में, क्यूं जगा जाते हैं,लोग ? मेरे प्यार के अंदाज को, खूबसूरत ब

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"कितनी खामोश है, जिन्दगी"

1 अप्रैल 2022
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कितनी खामोश है, जिन्दगी । क्यूं इतनी मूक है, जिन्दगी ?कहकहे, महफिलों में हैं । फिर क्यूं, अनजान हैं, जिन्दगी ?कुछ टूटने की आवाज, दिल में गूंजती है । शायद क

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"दिल के दर्द को छुपाना है, मुश्किल"

1 अप्रैल 2022
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दिल के दर्द को छुपाना है, मुश्किल । दिल के दर्द को दिखाना है, मुश्किल ।दिल की धड़कनों में, कुछ खास तो है । किसी के गुनगुनाने की, आवाज तो है ।दिल की धड़कनें, रुकती नहीं

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"क्यूं, जिश्मों की बातें, होती हैं,प्यार में"

1 अप्रैल 2022
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क्यूं, जिश्मों की बातें ,होती हैं, प्यार में । रुह का रुह में, उतरना क्यूं नहीं होता ?क्यूं, दौलत की बातें, होती हैं, जमाने में । इंसानियत का कहीं जिक्र, क्यूं नहीं होता ?क्य

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"आज कथनी और करनी में, अंतर हो गया"

2 अप्रैल 2022
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आज कथनी और करनी में, अंतर हो गया । लोग कहते कुछ हैं, और करते कुछ हैं ।कितना चालाक हो चला है, इंसान । पर अपने मूल्यों की खो चुका है, पहचान इंसान ।वादों का

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