6 फरवरी 2017
जब मै छोटा सा था,तो मेरी यह अभिलाषा थी,हँसता हुआ देखूँ,भारत को मन मे छोटी सी एक आशा थी।मन की पावन आँखों ने,कुछ देखे ख्वाब सुनहरे थे;उन सारे ख्वाबों की अपनीपहचानी सी भाषा थी।अपने कोमल ख्वाबों मे,मै भारत को एक