ऐ किताब आ कर लूँ तुझे दोस्ती।।
इस बेरहम दुनिया मे तेरा साथ हैं भ
"कवि हताश"अजीब बात है!हैरतअंगेज माहौल है!!सांसत आई विकराल, अजीबोगरीब हालात है!!!जब भयंकर दमघोंटू प्रदुषण था!ठेलमठेल- उमस भरी- दम घुटता था!!खुले में दुषित वायु फेफड़ों को भरता था!आज जब अजुबा भाइरस आया!सड़कों पर हटात् सन्नाटा छाया!!दिल्ली महानगर तक सुधर सँवर गया!आज सभी छुटभइये- युवा व वृद्ध घर में द
वो तीन घंटे....उनने तो मुझे मौत का द्वार दिखा ही दिया था... लेकिन आज पांच: साल बाद भी जिंदा हूं!यह हकीकत है.... हममें से कइयों की जिंदगी में ऐसा भी होता है जब हम किसी व्यक्ति या समूह के जाल में फंस गये होते हैं.एक ऐसा किस्सा मेरे साथ भी हुआ है जब मुझे जीते जी मारने का प्रयास किया गया. यह कोई हादसा न
जिंदगी तू बता दे, ये सपने तो है पर रास्ता कहाजब गले मौत के लगने ही है , तो दर्द से मुलाकात न करा जख्म तो बहुत है पर , मरहम लागू कौन सा ये लहू की लाली को भी मिट जाना, फिर क्यों सुरमे से है, सजना सवारना इस मुकद्दर ने भी
वो रात घनी थी, चारों तरफ़ अंधेरा था निराशा की सर्द स्याही में, रास्ता घनेरा था वक्त के बेदर्द थपेड़ों से, बिख़रा मेरा बसेरा था ना बिखरे मेरे सपने, ना टूटा मेरा हौसला समेट