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रक्षाबंधन दोहे

28 अगस्त 2015

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रक्षाबंधन नेह डोर ऐसी बंधी, जिसका कहीं न मोल । त्याग और अनुराग का , रिश्ता ये अनमोल ।। भावों का गुंथन हुआ, जाग उठा उल्लास । कच्चे धागे ने किया . पक्का मन विश्वास ।। राखी के त्यौहार ने, कर डाला अनमोल । वरना धागे का रहा, दो कौड़ी का मोल ।। भरी सभा में द्रौपदी, बांध गई जो डोर । भरी सभा में कृष्ण ने , दिया न उसका छोर ।। -संदीप सृजन
चन्दरकांत

चन्दरकांत

_अती सुन्दर

28 अगस्त 2015

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आरक्षण

27 अगस्त 2015
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जातिवाद ने देश पर, ऐसे किए प्रहार ।जीत रहा है आरक्षण, देश रहा है हार ।।आग लगा कर देश को, माँगे जो अधिकार ।आओ मिल उनका करे, हम हार्दिक धिक्कार।।@सृजन

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सलाम डॉ कलाम

27 अगस्त 2015
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सलाम डॉ कलाम

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सलाम डॉ कलाम

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सलाम डॉ कलाम

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सलाम डॉ कलाम

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सलाम डॉ कलाम

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रक्षाबंधन दोहे

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रक्षाबंधन नेह डोर ऐसी बंधी, जिसका कहीं न मोल ।त्याग और अनुराग का , रिश्ता ये अनमोल ।।भावों का गुंथन हुआ, जाग उठा उल्लास ।कच्चे धागे ने किया . पक्का मन विश्वास ।।राखी के त्यौहार ने, कर डाला अनमोल ।वरना धागे का रहा, दो कौड़ी का मोल ।।भरी सभा में द्रौपदी, बांध गई जो डोर ।भरी सभा में कृष्ण ने , दिया न उ

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साहित्य

21 सितम्बर 2015
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साहित्य के प्रति अनुराग हमें कुछ दे न दे....... तमीज से जीना जरुर सीखा देता है@सृजन

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शाश्वत सृजन अक्टूबर अंक पढ़ने के लिए क्लिक करे .... http://issuu.com/sandipsrijan/docs/shashwat_srijan_oct.15

4 अक्टूबर 2015
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शाश्वत सृजन अक्टूबर अंक पढ़ने के लिए क्लिक करे .... http://issuu.com/sandipsrijan/docs/shashwat_srijan_oct.15

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