1925 में पूज्य डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी द्वारा स्थापित संघ 2025 में एक उल्लेखनीय शताब्दी पूरी क
करने जा रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे भारत में हजारों शाखाओं और लाखों स्वयंसेवकों के व्यापक नेटवर्क के साथ, संघ एक सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन है जो भारतीयता की भावना के साथ राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम कर रहा है।
संघ अपने मूल में मजबूत व्यक्तिगत संबंध, सामूहिक निर्णय, भाईचारा और बंधुत्व को बढ़ावा देने पर जोर देता है। ये सिद्धांत संघ के आधार के रूप में काम करते हैं। यह स्वाभाविक ही है कि अनगिनत हिंदू परिवार संघ के लोकाचार से जुड़ते हैं, क्योंकि आध्यात्मिकता और हिंदुत्व हमारी समृद्ध पारिवारिक परंपराओं के केंद्र में हैं। लाखों हिंदू परिवार आध्यात्मिकता को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं, और दुनिया के साथ एकात्माता को सर्वोच्च महत्व देते हैं।
संघ भारत के लोगों के लिए प्रेरणा और प्रेरणा का स्रोत है। यह संगठन, जिसकी अनुमानित सदस्यता 1 करोड़ से अधिक है, संभवतः विश्व स्तर पर सबसे बड़े स्वैच्छिक संगठन के रूप में गिना जाता है। प्रतिदिन सम्पूर्ण देश में संघ के सदस्यों की लगभग 67,000 से अधिक शाखाएँ या सभाएँ आयोजित होती हैं, और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भी संगठन की शाखाएँ संचालित होती हैं।
संघ भारतीय राष्ट्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग है । संघ ने सदैव हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकता की जोरदार वकालत की है। इस जोर को सबसे संक्षिप्त रूप से इस नारे में व्यक्त किया गया है: "संघे शक्ति कलियुगे।"