वक़्त का विप्लव
सड़क पर प्रसव
राजधानी में
पथरीला ज़मीर
कराहती बेघर नारी
झेलती जनवरी की
ठण्ड और प्रसव-पीर
प्रसवोपराँत
जच्चा-बच्चा
18 घँटे तड़पे सड़क पर
ज़माने से लड़ने
पहुँचाये गये
अस्पताल के बिस्तर पर
हालात प्रतिकूल
फिर भी नहीं टूटी साँसें
करतीं वक़्त से दो-दो हाथ
जिजीविषा की फाँसें
जब एनजीओ उठाते हैं
दीनहीन दारुण दशा का भार
तब बनता है
एक सनसनीखेज़ समाचार।
© रवीन्द्र सिंह यादव