ओ अभिनंदन
है अभिनंदन
आज महके हैं
माटी और चंदन
पराक्रम की
लिख इबारत
लौट आये
अपने भारत
राजा पौरुष की तरह
याद किये जाओगे
भावी पीढ़ियों को
सैनिक पर गर्व कराओगे
मिले कामयाबी की
मंज़िल-दर-मंज़िल
सजती रहेगी अब
आपकी शौर्य-गाथा से महफ़िल
भारत की माटी के
लाड़ले सपूत आपको सलाम
तय करने हैं भारत को
अभी बहुतेरे विराट मक़ाम।
© रवीन्द्र सिंह यादव