निर्माण नशेमन का
नित करती,
वह नन्हीं चिड़िया
ज़िद करती।
तिनके अब
बहुत दूर-दूर मिलते,
मोहब्बत के
नक़्श-ए-क़दम नहीं मिलते।
ख़ामोशियों में डूबी
चिड़िया उदास नहीं,
दरिया-ए-ग़म का
किनारा भी पास नहीं।
दिल में ख़लिश
ता-उम्र सब्र का साथ लिये,
गुज़रना है ख़ामोशी से
हाथ में हाथ लिये।
शजर की शाख़ पर
संजोया है प्यारा नशेमन,
पालना है पीढ़ी को
क़ाबिल बना उड़ाने के लिये।
© रवीन्द्र सिंह यादव