पूजन हरि का जब करती हु
हरि आ खड़े हो मेरे पीछे
चंदन की खुशबू से गमके तब
घर आंगन सब मेरे
देखकर लीला हरि की भक्तों
मनवा हरि पर रीझे
हर पल साथ फिरेअब सांवरा
मैं आगे , हरि पीछे
अब तक ढूंढती रही हरि को
अब हरि ढूंढे मोहे
भेद वही बस जाने भक्तों
जो हरि भक्ति में डूबे
हरी में मनवा रमा हुआ है
कुछ और न मुझको सुझा।
।।बिन्दु पाठक।।