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रोहित की डायरी

रोहित

5 अध्याय
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rohit ki dir

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पुस्तक के भाग

1

बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय, जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय।

7 अगस्त 2015
1
3
0

जब मैं इस संसार में बुराई खोजने चला तो मुझे कोई बुरा न मिला. जब मैंने अपने मन में झाँक कर देखा तो पाया कि मुझसे बुरा कोई नहीं है.

2

स्स्स

28 दिसम्बर 2015
0
1
0

स्स्स्स्स 

3

पप्पू

7 मई 2016
1
3
0

4

उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में यारो

16 अगस्त 2016
1
2
1

उड़ा भी दो सारी रंजिशें इन हवाओं में यारो, छोटी सी जिंदगी है नफ़रत कब तक करोगे, घमंड न करना जिन्दगी मे तकदीर बदलती रहती है, शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है.. 

5

हम अपना दर्द किसी को कहते नही

17 अगस्त 2016
1
4
0

हम अपना दर्द किसी को कहते नही, वो सोचते हैं की हम तन्हाई सहते नही, आँखों से आँसू निकले भी तो कैसे, क्योकि सूखे हुवे दरिया कभी बहते नही.. 

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