वरिष्ठ कवि कुँवर नारायण घनी भूत जीवन-विवेक सम्पन्न रचनाकार हैं। इस विवेक की आँख से वे कृतियों, व्यक्तियों, प्रवृत्तियों व निष्पत्तियों में कुछ ऐसा देख लेते हैं जो अन्यत्र दुर्लभ है। समय-समय पर उनके द्वारा लिखे गए लेख आदि इसका प्रमाण हैं। ‘रुख’ कुँवर नारायण के गद्य की छठी पुस्तक है। पुस्तक के सम्पादक अनुराग वत्स के शब्दों में पहला हिस्सा स्वभाव में समीक्षात्मक, दूसरा संस्मरणात्मक और वक्त वक्त पर लिखी गई टिप्पणियों का हैं ।
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