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स्‍वागत शरद ऋतु का

31 दिसम्बर 2021

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स्‍वागत शरद ऋतु का 
देर तक मुंह ढांपे अलसाती सुबह का,
मिठी रूई का गोला बन 
ललचाते सूरज का,
तीर सी चुभती कंपकंपाती 
सर्द हवाओं का,
मासूम बालक की भांति मुलकित
गेंदे के फूलों का, 
रजाई में लिपटी
खिलखिलाती बिटिया सी 
गुलदाउदी का,
मेरे गांव की पगडंडी पर पसरे
घने कोहरे का,
स्‍वागत है
शरद ऋतु के आगमन का ।
.........
-माणक चन्द सुथार ।

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रचनाएँ
भावाभिव्यक्ति
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हर इन्सान के हृदय में भावों का झरना बहता है । इन भावों की शब्दों में अभिव्यक्ति ही कविता है । सरल व आम प्रचलित शब्दों में अपने भावों को व्यक्त करने का प्रयास है मेरी कविता...🙏

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