स्वागत शरद ऋतु का
देर तक मुंह ढांपे अलसाती सुबह का,
मिठी रूई का गोला बन
ललचाते सूरज का,
तीर सी चुभती कंपकंपाती
सर्द हवाओं का,
मासूम बालक की भांति मुलकित
गेंदे के फूलों का,
रजाई में लिपटी
खिलखिलाती बिटिया सी
गुलदाउदी का,
मेरे गांव की पगडंडी पर पसरे
घने कोहरे का,
स्वागत है
शरद ऋतु के आगमन का ।
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-माणक चन्द सुथार ।