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विनम्रता

12 नवम्बर 2021

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कल रात 
आंधी बहुत जोर से चली,
वृक्ष वो सभी उखड़ गये
जो तन कर खड़े रहे
अभिमान से भरे रहे,
भोर की उजली किरणों के संग
हरि घास 
आज भी 
लहलहा रही थी, 
आज भी 
मुस्‍करा रही थी, 
कल की तरह
कि 
विनम्रता भी 
उसके स्‍वभाव का हिस्‍सा थी  
स्‍वाभिमान के साथ ।
........
-माणक चन्‍द सुथार, बीकानेर ।
चलभाष- 8005926494

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रचनाएँ
भावाभिव्यक्ति
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हर इन्सान के हृदय में भावों का झरना बहता है । इन भावों की शब्दों में अभिव्यक्ति ही कविता है । सरल व आम प्रचलित शब्दों में अपने भावों को व्यक्त करने का प्रयास है मेरी कविता...🙏

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