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समुद्र

3 दिसम्बर 2021

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समुद्र

कल
समुद्र दर्शन का सुअवसर समुद्र
पहली बार प्राप्‍त हुआ,
विस्मित हुई नजरें
और ढूंढने लगी नजरें
ओर-छोर कि
चुलबली लहर ने उछलकर 
भीगो दिया तन बदन को,
पल
दो पल में 
नीर तो छिटक गया तन से
पर भर गया रोमांच मन में,
रोमांच जो 
प्रकृति के स्‍नेहिल स्‍पर्श से उपजा,
रोमांच जो 
प्रकृति की अलौकिकता,
अद्भुतता,
विराटता व 
विलक्षणता से हुए साक्षात्‍कार से
तन-मन में तरंगित हुआ ।
.......
माणक चन्द सुथार, बीकानेर (राज)

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रचनाएँ
भावाभिव्यक्ति
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हर इन्सान के हृदय में भावों का झरना बहता है । इन भावों की शब्दों में अभिव्यक्ति ही कविता है । सरल व आम प्रचलित शब्दों में अपने भावों को व्यक्त करने का प्रयास है मेरी कविता...🙏

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