8 अक्टूबर 2022
सुबह से शाम तक,मेरे पैर नहीं टिकते हैं धरा पर,चाय बनाकर पति को जगाती हैंमुझे अफसोस नहीं कभी इस पर।मैं घर के हर सदस्य की जिम्मेदारी हूं।हां मैं एक घर की नारी हूं घड़ी की सूइयों के साथ चलती हूं सदा