ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और वहां के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियान समेत नौ लोगों की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत हो गई है. उत्तरी क्षेत्र में सोमवार (20 मई, 2024) सुबह क्रैश साइट (पहाड़ियों वाले घने क्षेत्र) से एयरक्राफ्ट का मलबा मिलने के कुछ देर बाद यह बात पुष्ट हो सकी. समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' से बातचीत के दौरान नाम न बताने की शर्त पर ईरान के एक अधिकारी ने बताया, "ईरान के राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और बाकी सभी लोग इस चॉपर हादसे में मारे गए हैं."
2019 के चुनाव सम्पन्न होने के पश्चात मैंने 'शब्द' पर एक लेख प्रेषित किया था –“2019 के चुनाव अभियान में मर्यादाएं तार तार”। अब 2024 के चुनाव भी पाँच वर्ष बाद फिर सम्पन्न हो गए हैं (लगभग)। ये समाज के
सागर ने मुस्कुराते हुए कहा : "क्या हुआ? अब चुप क्यों हो गए? बताओ कौन अंधा है? लेकिन पहले तुम कार में जल्दी बैठो, नहीं तो और भीग जाओगे।"प्रेम: नहीं सर आप जाओ मैं चला जाऊंगा। सागर : लगता है त
प्रेम की मां : प्रेम जल्दी उठ जा ऑफिस को लेट हो जाएगा और वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है उठ जा बेटा ।प्रेम: बस मां दो मिनट और सोने दो अभी आठ भी नहीं बजे मां। प्रेम की मां: तू आठ बोल रहा है सही से
वो लाल डायरी, जिसमे लिखे हैं वो राज। जिसे बताना चाहता, न कोई कभी। कुछ काले कारनामे, सफेद पोशाक की आड़। वो लाल डायरी, जो बहुत है खास। जिसमे लिखे है, कई राज। कुछ मजेदार, कुछ खतरनाक। कुछ नाम है, जो है खा
वो आकाश, जो मेरे दिल को छू जाता है, जो होता है कभी, बादलो से भरा, तो कभी खाली। कभी करता वो वादे, बरसती बूंदों संग, उन ठंडी हवाओ का। जो करता है पसंद, दिल मेरा। मगर न जाने क्यों, ये आकाश तोड़ता दिल, न ज
तुम्हारा जिक्र ऐसा लगा किसी ने हमको, अंतर्मन में पुकारा है, मत कहना इन अल्फाजों में, आता जिक्र तुम्हारा है। वैसे तो तुम अपने दिल की, सब बातें कहते थे हमसे, अब तो लेकिन बीत गया सब, क्या बातें क्य
मॉर्निंग वॉक बस यूं ही, कभी सुबह की ठंडी-ठंडी धूप में निकले हों साथ-साथ, नंगे पैरों ही ओस में भीगी दूब पर, ना आंखों में सपनों का भार हो, ना पैरों पर बोझ कोई, बहते रहें कुछ पल यूं ही बहते र