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आध्यात्म के नाम पर अब तो सिर्फ एक बहुत वृहद् कारोबार भर चल रहा है

8 नवम्बर 2016
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कहा जाता है कि भगवान दत्तात्रेय महाराज के अनेकों गुरु थे. माता, पिता, भाई, बहन, मित्र, आम जनता से लेकर पशु, पक्षी और यहाँ तक की धरती व् आसमान, आग, हवा, पानी सबको उन्होंने अपना गुरु माना. जिससे भी उनको कोई न कोई ज्ञान मिला. संसार के जड़ पदार्थों और चेतन प्राणियों की गतिविधि

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: धरती व भक्त दोनों को श्रीकृष्ण की जरुरत है

25 अगस्त 2016
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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी: धरती व भक्त दोनों को श्रीकृष्ण की जरुरत है ना तन का ध्यान रहा ना मन का ध्यान रे आज सभी सुंदरियां भूली हैं भान रे सखियों के संग संगठनक रही है मृदंग पुलकित है अंग अंगमन में उछले तरंग झूम झूम कामिनिया ऐसी हुई बावली बालों की लट उलझी रे हो गोपियाँ नाचें छ

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