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हर सफल वयक्ति के पीछे एक महिला होती है .... वह माँ, बहन और पत्नी कोई भी हो सकती है .

1 फरवरी 2015

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"एक बार जरू पढ़े क्योंकि हम जानते है जब आप पढ़ना शुरू करेंगे आखिर तक पढ़े बिना आप रह नहीं पायेगे...." ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ पिछले हफ्ते मेरी पत्नी को बुखार था। पहले दिन तो उसने बताया ही नहीं कि उसे बुखार है,दूसरे दिन जब उससे सुबह उठा नहीं गया तो मैंने यूं ही पूछ लिया कि तबीयत खराब है क्या? उसने कहा कि नहीं, तबीयत खराब तो नहीं है, हां थोड़ी थकावट है। मैं चुपचाप अखबार पढ़ने में मशगूल हो गया। जरा देर से उस दिन वो जगी और फटाफट उसने मेरे लिए चाय बनाई, बिस्किट दिए और मैं अखबार पढ़ते-पढ़ते चाय पीता रहा। मुझे पता लग चुका था कि उसे थोड़ा बुखार है, और ये बात मैंने उसे छू कर समझ भी ली थी। खैर, मैं यही सोचता रहा कि मामूली बुखार है, शाम तक ठीक हो जाएगा। उसने थोड़ें #बुखार में ही मेरे लिए नाश्ता तैयार किया। नाश्ता करते हुए मैंने उसे बताया कि आज खाना बाहर है, इसलिए तुम खाना मत बनाना। उसने धीरे से कहा कि अरे ऐसी कोई बात नहीं, खाना तो बना दूंगी। लेकिन मैंने कहा कि नहीं, नहीं दफ्तर की कोई मीटिंग है, उसके बाद खाना बाहर ही है।फिर मैं तैयार होकर निकल गया। मैं #पुरुष हूं। पुरुष मजबूत दिल के होते हैं। ऐसी मामूली #बीमारीसे पुरुष विचलित नहीं होते। मैं दफ्तर चला गया, फिर अपनी मीटिंग में मुझे ध्यान भी नहीं रहा कि पत्नी की तबीयत सुबह ठीक नहीं थी। खैर, शाम को घर आया, तो वो लेटी हुई थी। उसे लेटे देख कर भी #दिमाग में एकबार नहीं आया कि यही पूछ लूं कि कैसी तबीयत है? वो लेटी रही, मैंने अपने कपड़े बदले और पूछ बैठा कि खाना? पत्नी ने मेरी ओर देखा और लेटे-लेटे उसने कहा कि अभी उठती हूं, बस अब ठीक हूं। जैसे ही उसने कहा कि मैं ठीक हूं, मुझे ध्यान आ गया कि अरे सुबह तो उसे बुखार था। खैर, अपनी शर्मिंदगी छिपाते हुए मैंने कहा कि कोई बात नहीं, तुम लेटी रहो। मैं रसोई में गया, मैंने अंदाजा लगाया कि उसने दोपहर में खाना नहीं खाया, क्योंकि खाना तो बना ही नहीं। मैंने फ्रिज से कुछ-कुछ निकाला, उसके लिए ब्रेड जैम लिया और अपने पति धर्म को निभाते हुए, खुद पर गर्व करते हुए उसके आगे खाने की प्लेट कर दी। पत्नी ने ब्रेड का एक टुकड़ा उठाया, मुझे आंखों से #धन्यवाद कहा, और मन से कहा कि पति हो तो ऐसा हो, इतनी केयर करने वाला। मैंने एक दो बार यूं ही पूछ लिया कि तुम कैसी हो, कोई दवा दूं क्या? और अपने कम्यूटर आदि को देखता हुआ सो गया। पत्नी अगली सुबह जल्दी उठ गई, मुझे लगा कि वो ठीक हो गई है, और मैंने फिर उसके बुखार पर चर्चा नहीं की। मैंने मान लिया कि वो ठीक हो गई है। कल मुझे सर्दी हो गई थी। दो तीन बार छींक आ गई थी। घर गया तो पत्नी ने कहा कि तुम्हारी तो तबीयत ठीक नहीं है। उसने सिर पर हाथ रखा, और कहा कि बुखार तो नहीं है, लेकिन गला खराब लग रहा है।ऐसा करो तुम लेट जाओ, मैं सरसों का तेल गरम करके छाती में लगा देती हूं। मैंने एक दो बार कहा कि नहीं-नहीं ऐसी कोई बात नहीं। लेकिन पत्नी ने मुझे कमरे में भेज ही दिया। मैं बिस्तर पर लेटा ही था कि मेरे लिए शानदार काढ़ा बन कर आ गया। अब मेरा गला खराब था तो काढ़ा बनना ही था। काढ़ा पी कर लेट गया। फिर दस मिनट में गरमा गरम सूप सामने आ गया। उसने कहा कि गरम सूप से गले को पूरी राहत मिलेगी।सूप पिया तो वो मेरे पास आ गई, और मेरे सिर को सहलाने लगी। कहने लगी कि इतनी तबीयत खराब है, इतना काम क्यों करते हो? बचपन में जब कभी मुझे बुखार होता था, मां सारी रात मेरे सिरहाने बैठी रहती। मैं सोता था, वो जागती थी। आज मैं लेटा हुआ था, मेरी पत्नी मेरा सिर सहला रही थी। मैं धीरे-धीरे सो गया। जागा तो वो गले पर विक्स लगा रही थी। मेरी आंख खुली तो उसने पूछा, कुछ आराम मिल रहा है? मैंने हां में सिर हिलाया।तो उसने पूछा कि खाना खाओगे? मुझे भूख लगी थी, मैंने कहा, "हां।" उसने फटाफट रोटी, सब्जी, दाल, चटनी, सलाद मेरे सामने परोस दिए, और आधा लेटे-लेटे मेरे मुंह में कौर डालती रही। मैने चुपचाप खाना खाया, और लेट गया। पत्नी ने मुझे अपने हाथों से खिला कर खुद को खुश महसूस किया और रसोई में चली गई। मैं चुपचाप लेटा रहा। सोचता रहा कि पुरुष भी कैसे होते हैं? कुछ दिन पहले मेरी पत्नी बीमार थी, मैंने कुछ नहीं किया था। और तो और एक फोन करके उसका हाल भी नहीं पूछा। उसने पूरे दिन कुछ नहीं खाया था, लेकिन मैंने उसे ब्रेड परोस कर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था। मैंने ये देखने की कोशिश भी नहीं की कि उसे वाकई कितना बुखार था। मैंने ऐसा कुछ नहीं किया कि उसे लगे कि बीमारी में वो अकेली नहीं। लेकिन मुझे सिर्फ जरा सी सर्दी हुई थी, और वो मेरी मां बन गई थी। मैं सोचता रहा कि क्या सचमुच महिलाओं को भगवान एक अलग दिल देते हैं? महिलाओं में जो करुणा और ममता होती है वो पुरुषों में नहीं होती क्या? सोचता रहा, जिस दिन मेरी पत्नी को बुखार था, उस दोपहर जब उसे भूख लगी होगी और वो बिस्तर से उठ न पाई होगी, तो उसने भी चाहा होगा कि काश उसका पति उसके पास होता? मैं चाहे जो सोचूं, लेकिन मुझे लगता है कि हर पुरुष को एक जनम में औरत बन कर ये समझने की कोशिश करनी ही चाहिए कि सचमुच कितना मुश्किल होता है, औरत होना। #मां होना, #बहनहोना, #पत्नी होना।काश मैं एक बार महसूस कर सकूँ वो सब,जो कोई एक औरत करती है। जरूर बतायेगा आपको कैसा लगा .. धन्यवाद
anamika

anamika

पुरूषों खो महिलाओं के दुख को एहसास कराने के की,फिर चाहे क्षणिक स्वार्थी दिनों में ही क्यों न हुई हों।

18 मई 2015

अनिल सेठी

अनिल सेठी

आनंद भाई आप की सोच को सलाम

9 मई 2015

अनिल सेठी

अनिल सेठी

सच यह कमाल ह नारी माँ भी ह

9 मई 2015

आनंद कुमार

आनंद कुमार

धन्यवाद आप सभी का

1 अप्रैल 2015

सोनू ठाकुर

सोनू ठाकुर

बहुत बढ़िया जी ये हर घर की कहानी है |

17 मार्च 2015

विजय कुमार शर्मा

विजय कुमार शर्मा

यह सर्विदित सत्य है-होली मुबारक

5 मार्च 2015

योगिता वार्डे ( खत्री )

योगिता वार्डे ( खत्री )

बहुत अच्छा आनंद जी

3 मार्च 2015

अजय कुमार Baranwal

अजय कुमार Baranwal

क्या सचमुच महिलाओं को भगवान एक अलग दिल देते हैं? महिलाओं में जो करुणा और ममता होती है वो पुरुषों में नहीं होती क्या?

10 फरवरी 2015

आनंद कुमार

आनंद कुमार

धन्यवाद आप सभी का ......

1 फरवरी 2015

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अनाथ

28 जनवरी 2015
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नीलम के ब्याह को चार बरस बीत गये थे। हर वक्त सबकी खोजी नजरें उसे परेशान करती रहती थीं। घर में सास, ननदें, पति सभी को एक बच्चे की इच्छा थी, जो नीलम पूरी न कर पा रही थी। आखिर एक फैसला लिया गया कि बच्चा गोद ले लिया जाये। अनाथालय से ‪#‎बेटी‬ ले ली गई। रिश्तेदारों को निमंत्रण भेजे गये, बड़ी धूम-धाम से ना

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रिश्ते और राश्ते सिक्के के दो पहलू हैं कभी रिश्ते निभाते हुए राश्ते बदल जाते हैं तो कभी राश्ते पर चलते हुए रिश्ते बदल जाते हैं.

28 जनवरी 2015
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माँ की मृत्यु के बाद तीसरा दिन था। घर की परंपरा के अनुसार, मृतक के वंशज उनकी स्मृति में अपनी प्रिय वस्तु का त्याग किया करते थे। मैंआज के बाद बैंगनी रंग नही पहनूँगा।” बड़ा बेटा बोला। वैसे भी जिस ऊँचे ओहदे पर वो था, उसे बैंगनी रंग शायद ही कभी पहनना पड़ता। फिर भी सभी ने तारीफें की। मँझला कहाँ पीछे रहता,

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हर सफल वयक्ति के पीछे एक महिला होती है .... वह माँ, बहन और पत्नी कोई भी हो सकती है .

1 फरवरी 2015
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"एक बार जरू पढ़े क्योंकि हम जानते है जब आप पढ़ना शुरू करेंगे आखिर तक पढ़े बिना आप रह नहीं पायेगे...." ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ पिछले हफ्ते मेरी पत्नी को बुखार था। पहले दिन तो उसने बताया ही नहीं कि उसे बुखार है,दूसरे दिन जब उससे सुबह उठा नहीं गया तो मैंने यूं ही पूछ लिया कि तबीयत खराब है क्या

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क्रोध..... वो तेजाब है जो बर्तन को अधिक नष्ट करता है जिसमे वो भरा होता है .....ना की उसको जिस पर वो डाला जाता हैं !!!

21 मार्च 2015
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एक पण्डितजी महाराज क्रोध न करने पर उपदेश दे रहे थे| कह रहे थे - "क्रोध आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है, उससे आदमी की बुद्धि नष्ट हो जाती है| जिस आदमी में बुद्धि नहीं रहती, वह पशु बन जाता है|" लोग बड़ी श्रद्धा से पण्डितजी का उपदेश सुन रहे थे पण्डितजी ने कहा - "क्रोध चाण्डाल होता है| उससे हमेशा बचकर र

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"क्या भगवान ने शैतान को बनाया या किसी और ने.....?"

24 मई 2015
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सन् 1902 में, एक professor ने अपने छात्र से पुछा...... क्या वह भगवान था, जिसने इस संसार की हर वस्तु को बनाया? छात्र का जवाब : हां । उन्होंने फिर पुछा:- शैतान क्या हैं? क्या भगवान ने इसे भी बनाया ? छात्र चुप हो गया... .....! फिर छात्र ने आग्रह किया कि- क्या वह उनसे कुछ सवाल पुछ सकता हैं? Professor

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एक छोटा प्रयास ......!!!

24 मई 2015
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उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला । मैं रेलवे स्टेशन पहुचा , पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी । अगली ट्रेन 9.30 को थी । मैंने निर्णय लिया की मैं दूसरी एक ट्रेन जो 7 बजे दूसरे छोटे स्टेशन से निकलती थी उससे जाऊ । मैं बस से अगले स्टेशन पर गया पर वो ट्रेन भी

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नेक बनने के लिए ऐसी कोशिश करनी चाहिए जैसी खूबसूरत दिखने के लिए करते है.

28 जनवरी 2015
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मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ” , मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी

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किसी के दर्द की दवा बनो जख्म तो हर इंसान देता है.

28 जनवरी 2015
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छोटे छोटे दो दोस्त थे । एक गरीब था और दुसरा अमीर था । गरीब अनाथ था गरीब के पास कुछ नही था रहने को घर भी नही था । लेकिन अमीर दोस्त उसे किसी भी तरह की तकलीफ सहन नही करने देता था । जब वो अपने गरीब दोस्त को घर ले जाता था तो उसके पापा उसके गरीब दोस्त से नफरत करते थे । उससे हमेशा कहते थे कि बेटा इन गरीबो

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किसी के दर्द की दवा बनो जख्म तो हर इंसान देता है.

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छोटे छोटे दो दोस्त थे । एक गरीब था और दुसरा अमीर था । गरीब अनाथ था गरीब के पास कुछ नही था रहने को घर भी नही था । लेकिन अमीर दोस्त उसे किसी भी तरह की तकलीफ सहन नही करने देता था । जब वो अपने गरीब दोस्त को घर ले जाता था तो उसके पापा उसके गरीब दोस्त से नफरत करते थे । उससे हमेशा कहते थे कि बेटा इन गरीबो

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किसी के दर्द की दवा बनो जख्म तो हर इंसान देता है.

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छोटे छोटे दो दोस्त थे । एक गरीब था और दुसरा अमीर था । गरीब अनाथ था गरीब के पास कुछ नही था रहने को घर भी नही था । लेकिन अमीर दोस्त उसे किसी भी तरह की तकलीफ सहन नही करने देता था । जब वो अपने गरीब दोस्त को घर ले जाता था तो उसके पापा उसके गरीब दोस्त से नफरत करते थे । उससे हमेशा कहते थे कि बेटा इन गरीबो

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किसी के दर्द की दवा बनो जख्म तो हर इंसान देता है.

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छोटे छोटे दो दोस्त थे । एक गरीब था और दुसरा अमीर था । गरीब अनाथ था गरीब के पास कुछ नही था रहने को घर भी नही था । लेकिन अमीर दोस्त उसे किसी भी तरह की तकलीफ सहन नही करने देता था । जब वो अपने गरीब दोस्त को घर ले जाता था तो उसके पापा उसके गरीब दोस्त से नफरत करते थे । उससे हमेशा कहते थे कि बेटा इन गरीबो

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नेक बनने के लिए ऐसी कोशिश करनी चाहिए जैसी खूबसूरत दिखने के लिए करते है.

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मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ” , मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी

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असली पूजा ?

6 जून 2016
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गरमी का मौसम था, मैने सोचा काम पे जाने से पहले गन्ने का रस पीकर काम पर जाता हूँ।एक छोटे से गन्ने की रस की दुकान पर गया।वह काफी भीड-भाड का इलाका था, वहीं पर काफी छोटी-छोटी फूलो की, पूजा की सामग्री ऐसी और कुछ दुकानें थीं। और सामने ही एक बडा मंदिर भी था , इसलिए उस इलाके में हमेशा भीड रहती है।मैंने रस क

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शक्तिशाली इंसान कौन ?

13 जून 2016
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एक पिता ने अपने बेटे की बेहतरीन परवरिश की। बेटा एक सफल इंसान बना और एक मल्टीनेशनल कम्पनी का सी ई ओ बना। शादी हुई और एक सुन्दर सलीकेदार पत्नी उसे मिली।बूढ़े हो चले पिता ने एक दिन शहर जाकर अपने बेटे से मिलने की सोचा। वह सीधे उसके ऑफिस गया। भव्य ऑफिस, मातहत ढेरों कर्मचारी, सब देख पिता गर्व से फूल गया।बे

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शहादत

13 जून 2016
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उस दिन मैंने उस गाँव में , उस बुढे किसान को देखा उसके चश्मे का कांच टुटा हुआ था और पैरो की चप्पले फटी हुई थी... उसके चेहरे पर बड़ी वीरानी थीमुझे बस से उतरते देख ; वो दौड़ कर मेरे पास आया मेरा हाथ पकड़ कर बोला ; मेरा बेटा कैसा है बड़े दिन हुए है , उसे जंग पर गए हुए ; कह कर गया था कि ; जल्दी लौट कर आऊ

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प्रेम और त्याग

13 जून 2016
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शादी की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे।संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल था।प्रेम भी बहुत था दोनों में लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है। शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं।बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव

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सामाजिक चरित्र के निर्माण की आवश्यकता

10 अप्रैल 2018
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सामाजिक चरित्र का निर्माणकिसी भी समाज के सफल निर्माण और क्रियानावन के लिए समाज के एक उच्च चरित्र का होना अनिवार्य है| सामाजिक चरित्र किसी भी समाज के लिए एक मुख्य अतुलनीय और सुद्रिढ पूँजी है। सामाजिक संरचना

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