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असली पूजा ?

6 जून 2016

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गरमी का मौसम था, मैने सोचा काम पे जाने से पहले गन्ने का रस पीकर काम पर जाता हूँ।
एक छोटे से गन्ने की रस की दुकान पर गया।
वह काफी भीड-भाड का इलाका था, वहीं पर काफी छोटी-छोटी फूलो की, पूजा की सामग्री ऐसी और कुछ दुकानें थीं। 

और सामने ही एक बडा मंदिर भी था , इसलिए उस इलाके में हमेशा भीड रहती है।
मैंने रस का आर्डर दिया , मेरी नजर पास में ही फूलों की दुकान पे गयी , वहीं पर एक तकरीबन
37 वर्षीय सज्जन व्यक्ति ने 500 रूपयों वाले फूलों के हार बनाने का आर्डर दिया , तभी उस व्यक्ति के पिछे से एक 10 वर्षीय गरीब बालक ने आकर हाथ लगाकर उसे रस की पिलाने की गुजारिश की । 

पहले उस व्यक्ति का बच्चे के तरफ ध्यान नहीं था , जब देखा....तब उस व्यक्ति ने उसे अपने से दूर किया और अपना हाथ
रूमाल से साफ करते हुए
" चल हट ...." कहते हुए भगाने की कोशिश की। उस बच्चे ने भूख और प्यास का वास्ता दिया।
वो भीख नहीं मांग रहा था , लेकिन उस व्यक्ति के दिल में दया नहीं आयी।
बच्चे की आँखें कुछ भरी और सहमी हुई थी, भूख और प्यास से लाचार दिख रहा था।
इतने में मेरा आर्डर दिया हुआ रस आ गया। मैंने और एक रस का आर्डर दिया उस बच्चे को पास बुलाकर उसे भी रस पीलाया।
बच्चे ने रस पीया और मेरी तरफ बडे प्यार से
देखा और मुस्कुराकर चला गया। उस की मुस्कान में मुझे भी खुशी और संतोष हुआ.......
लेकिन. ....
वह व्यक्ति मेरी तरफ देख रहा था, जैसे कि उसके अहम को चोट लगी हो।
फिर मेरे करीब आकर कहा
"आप जैसे लोग ही इन भिखारियों को सिर चढाते है"
मैंने मुस्कराते हुए कहा आपको मंदिर के अंदर
इंसान के व्दारा बनाई पत्थर की मूर्ति में ईश्वर
नजर आता है, लेकिन ईश्वर द्वारा बनाए इंसान
के अंदर इंसान नजर नहीं आता है..........
मुझे नहीं पता आपके 500 रूपये के हार से आपका मंदिर का भगवान मुस्करायेगा या नहीं,
लेकिन मेरे 10 रूपये के चढावे से मैंने भगवान को मुस्कराते हुए देखा और मुझे संतुष्टी भी देकर गया है "
भगवान्. तो हर प्राणी में रहते है किसी भूखे को खिलाना किसी प्यासे की प्यास बुझाना ही भगवान् की असली पूजा है.

मधुसूदन दीक्षित

मधुसूदन दीक्षित

नर सेवा -नारायण सेवा,अति उत्तम सोच को प्रदर्शित करती कथा।

16 जून 2016

दिल्ली

दिल्ली

आनन्द कुमार जी, बिल्कुल सही कहा आपने, अगर हम हर इन्सान में ईश्वर के दर्शन करने लग जाएँ और हर प्राणी को अपने जैसा समझने लग जाएँ तो इससे बड़ी पूजा और कुछ नहीं... फिर लोगों के द्वारा अथाह पैसा खर्च करके बनाए किसी भी धर्मस्थल पर जाने की आवश्यकता नहीं.... भूखा बच्चा भोली आँखों मुझको लखता, वह सकल चराचर का स्वामी मुझको लगता...

10 जून 2016

गायत्री सिंह

गायत्री सिंह

काश ये नज़रिया सभी का हो .... वैसे भी कुछ अच्छा काम कर के जो संतुष्टि मिलती है वो सिर्फ अच्छे काम का दिखावा करने से नहीं मिलती ।

7 जून 2016

प्रतीक सिंह सचान

प्रतीक सिंह सचान

बहुत सुन्दर कहानी है......

7 जून 2016

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अनाथ

28 जनवरी 2015
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नीलम के ब्याह को चार बरस बीत गये थे। हर वक्त सबकी खोजी नजरें उसे परेशान करती रहती थीं। घर में सास, ननदें, पति सभी को एक बच्चे की इच्छा थी, जो नीलम पूरी न कर पा रही थी। आखिर एक फैसला लिया गया कि बच्चा गोद ले लिया जाये। अनाथालय से ‪#‎बेटी‬ ले ली गई। रिश्तेदारों को निमंत्रण भेजे गये, बड़ी धूम-धाम से ना

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रिश्ते और राश्ते सिक्के के दो पहलू हैं कभी रिश्ते निभाते हुए राश्ते बदल जाते हैं तो कभी राश्ते पर चलते हुए रिश्ते बदल जाते हैं.

28 जनवरी 2015
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माँ की मृत्यु के बाद तीसरा दिन था। घर की परंपरा के अनुसार, मृतक के वंशज उनकी स्मृति में अपनी प्रिय वस्तु का त्याग किया करते थे। मैंआज के बाद बैंगनी रंग नही पहनूँगा।” बड़ा बेटा बोला। वैसे भी जिस ऊँचे ओहदे पर वो था, उसे बैंगनी रंग शायद ही कभी पहनना पड़ता। फिर भी सभी ने तारीफें की। मँझला कहाँ पीछे रहता,

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हर सफल वयक्ति के पीछे एक महिला होती है .... वह माँ, बहन और पत्नी कोई भी हो सकती है .

1 फरवरी 2015
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"एक बार जरू पढ़े क्योंकि हम जानते है जब आप पढ़ना शुरू करेंगे आखिर तक पढ़े बिना आप रह नहीं पायेगे...." ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ ↓ पिछले हफ्ते मेरी पत्नी को बुखार था। पहले दिन तो उसने बताया ही नहीं कि उसे बुखार है,दूसरे दिन जब उससे सुबह उठा नहीं गया तो मैंने यूं ही पूछ लिया कि तबीयत खराब है क्या

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क्रोध..... वो तेजाब है जो बर्तन को अधिक नष्ट करता है जिसमे वो भरा होता है .....ना की उसको जिस पर वो डाला जाता हैं !!!

21 मार्च 2015
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एक पण्डितजी महाराज क्रोध न करने पर उपदेश दे रहे थे| कह रहे थे - "क्रोध आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है, उससे आदमी की बुद्धि नष्ट हो जाती है| जिस आदमी में बुद्धि नहीं रहती, वह पशु बन जाता है|" लोग बड़ी श्रद्धा से पण्डितजी का उपदेश सुन रहे थे पण्डितजी ने कहा - "क्रोध चाण्डाल होता है| उससे हमेशा बचकर र

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"क्या भगवान ने शैतान को बनाया या किसी और ने.....?"

24 मई 2015
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सन् 1902 में, एक professor ने अपने छात्र से पुछा...... क्या वह भगवान था, जिसने इस संसार की हर वस्तु को बनाया? छात्र का जवाब : हां । उन्होंने फिर पुछा:- शैतान क्या हैं? क्या भगवान ने इसे भी बनाया ? छात्र चुप हो गया... .....! फिर छात्र ने आग्रह किया कि- क्या वह उनसे कुछ सवाल पुछ सकता हैं? Professor

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एक छोटा प्रयास ......!!!

24 मई 2015
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उस दिन सबेरे 6 बजे मैं अपने शहर से दूसरे शहर जाने के लिए निकला । मैं रेलवे स्टेशन पहुचा , पर देरी से पहुचने कारण मेरी ट्रेन निकल चुकी थी । अगली ट्रेन 9.30 को थी । मैंने निर्णय लिया की मैं दूसरी एक ट्रेन जो 7 बजे दूसरे छोटे स्टेशन से निकलती थी उससे जाऊ । मैं बस से अगले स्टेशन पर गया पर वो ट्रेन भी

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नेक बनने के लिए ऐसी कोशिश करनी चाहिए जैसी खूबसूरत दिखने के लिए करते है.

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मास्टर जी क्लास में पढ़ा रहे थे , तभी पीछे से दो बच्चों के आपस में झगड़ा करने की आवाज़ आने लगी। “क्या हुआ तुम लोग इस तरह झगड़ क्यों रहे हो ? ” , मास्टर जी ने पूछा। राहुल : सर , अमित अपनी बात को लेकर अड़ा है और मेरी सुनने को तैयार ही नहीं है। अमित : नहीं सर , राहुल जो कह रहा है वो बिलकुल गलत है इसलिए उसकी

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किसी के दर्द की दवा बनो जख्म तो हर इंसान देता है.

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छोटे छोटे दो दोस्त थे । एक गरीब था और दुसरा अमीर था । गरीब अनाथ था गरीब के पास कुछ नही था रहने को घर भी नही था । लेकिन अमीर दोस्त उसे किसी भी तरह की तकलीफ सहन नही करने देता था । जब वो अपने गरीब दोस्त को घर ले जाता था तो उसके पापा उसके गरीब दोस्त से नफरत करते थे । उससे हमेशा कहते थे कि बेटा इन गरीबो

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शक्तिशाली इंसान कौन ?

13 जून 2016
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एक पिता ने अपने बेटे की बेहतरीन परवरिश की। बेटा एक सफल इंसान बना और एक मल्टीनेशनल कम्पनी का सी ई ओ बना। शादी हुई और एक सुन्दर सलीकेदार पत्नी उसे मिली।बूढ़े हो चले पिता ने एक दिन शहर जाकर अपने बेटे से मिलने की सोचा। वह सीधे उसके ऑफिस गया। भव्य ऑफिस, मातहत ढेरों कर्मचारी, सब देख पिता गर्व से फूल गया।बे

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शहादत

13 जून 2016
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उस दिन मैंने उस गाँव में , उस बुढे किसान को देखा उसके चश्मे का कांच टुटा हुआ था और पैरो की चप्पले फटी हुई थी... उसके चेहरे पर बड़ी वीरानी थीमुझे बस से उतरते देख ; वो दौड़ कर मेरे पास आया मेरा हाथ पकड़ कर बोला ; मेरा बेटा कैसा है बड़े दिन हुए है , उसे जंग पर गए हुए ; कह कर गया था कि ; जल्दी लौट कर आऊ

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प्रेम और त्याग

13 जून 2016
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शादी की वर्षगांठ की पूर्वसंध्या पर पति-पत्नी साथ में बैठे चाय की चुस्कियां ले रहे थे।संसार की दृष्टि में वो एक आदर्श युगल था।प्रेम भी बहुत था दोनों में लेकिन कुछ समय से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि संबंधों पर समय की धूल जम रही है। शिकायतें धीरे-धीरे बढ़ रही थीं।बातें करते-करते अचानक पत्नी ने एक प्रस्ताव

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सामाजिक चरित्र के निर्माण की आवश्यकता

10 अप्रैल 2018
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सामाजिक चरित्र का निर्माणकिसी भी समाज के सफल निर्माण और क्रियानावन के लिए समाज के एक उच्च चरित्र का होना अनिवार्य है| सामाजिक चरित्र किसी भी समाज के लिए एक मुख्य अतुलनीय और सुद्रिढ पूँजी है। सामाजिक संरचना

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