युवक ने ऐसे जाना सफलता का राज
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एक लड़कापढ़ने में बहुत होशियार था। पढ़ाई पूरी होने के बाद उसने बड़ी कंपनी में नौकरी के लिए साक्षात्कार दिया। लिखित परीक्षा उसने बड़ी सफलता के साथ उत्तीर्ण की थी, इसलिए कंपनी का डायरेक्टर उससे बहुत प्रभावित था। साक्षात्कार में डायरेक्टर ने पूछा, 'क्या तुम्हारे स्कूल की फीस तुम्हारे पिताजी देते थे? लड़के ने हामी भरी। डायरेक्टर ने अगला प्रश्न किया, 'वे क्या काम करते हैं?' लड़का बोला, 'सर! वे लोगों के कपड़े धोते हैं' फिर उन्होंने पूछा, 'क्या तुमने कभी कपड़े धोने में पिताजी की सहायता की?' लड़के ने उत्तर दिया, 'नहीं, मेरे पिता सदा यही चाहते रहे कि मैं अपनी पढ़ाई बेहतर ढंग से करूं।' डायरेक्टर ने कहा, 'आज मेरे कहने पर घर जाकर अपने पिता के हाथ धोना, फिर कल आकर मुझसे मिलना।' उसने घर आकर पिता को यह बात बताई और फिर अपने हाथ दिखाने को कहा। हैरान पिता ने अपने दोनों हाथ बेटे के हाथों में दे दिए। वह पिता के हाथ धोने लगा। उसने देखा कि उसके पिता के हाथ अत्यंत कठोर और जगह-जगह से कटे हुए थे। लड़के को यह देखकर रोना गया। जीवन में पहली बार उसे यह अहसास हुआ कि उसकी उच्च शिक्षा और बेहतर खाने-कपड़े के लिए पिता ने कितना कठोर परिश्रम किया है। उसे पता ही नहीं चला कि पिता के हाथ धोने के साथ-साथ उसने पिता के उस दिन के बचे हुए कपड़े भी धो डाले। अगले दिन डायरेक्टर ने उससे घर का अनुभव पूछा तो वह बोला, 'मैंने कल पहली बार जाना कि मेरी सारी सफलता के पीछे मेरे पिता का कठिन परिश्रम है।' डायरेक्टर ने कहा, 'जो दूसरों की सहायता की कद्र करे और काम करने वालों की तकलीफ को महसूस करे, ऐसे ही मैनेजर की मुझे जरूरत है। बधाई हो, अब तुम इस नौकरी के सच्चे अधिकारी बन गए हो।'