प्रेम के रंग में रंगने के बाद हमारा नजरिया और स्वभाव दोनों ही बदल जाते हैं। हमारे अंदर निराशावादी विचारों का पलायन हो जाता है और आशावादी विचार अपनी जड़े जमा लेती हैं। यही कारण है कि मैं इलाहबाद आने के बाद शिक्षा के क्षेत्र में नए प्रतिमान गढ़ने के लिए दृढ़संकल्पित होकर दुगुने उत्साह के साथ प्रयासरत हो गया। श्रृष्टि को अपना फोन नंबर दिए हुए दो दिन बीत गए थे। तीसरे दिन रात्रि को भोजन करते समय श्रृष्टि का कॉल आया इस बीच मुझे तरह तरह के अंतर्विरोधों से सामना करना पड़ा। फोन पर किसी लड़की से बात करना मेरे लिए एकदम नया अनुभव था और शायद श्रृष्टि के लिए भी हालांकि श्रृष्टि ने ही औपचारिकता वाले प्रश्नों से बातचीत की शुरुआत की। श्रृष्टि की आवाज में अद्वितीय आकर्षण था । ऐसा लग रहा था जैसे मेरे शरीर के रेशे के तत्व श्रृष्टि को ही सुनना चाहते हैं। शारीरिक विकृतियां जैसे थकान, आलस आदि तुरंत गायब हो गए। बीच बीच में मैं और श्रृष्टि चुप हो जाते थे हम दोनों बहुत ही असहज महसूस कर रहे थे। श्रृष्टि शायद इस बात को पहले ही भांप गई थी इसलिए उसने शुभरात्रि बोलकर फोन पर विदा ले लिया । महीने में तीन या चार दिन ही श्रृष्टि का फोन आता था। और अपनी तथा मेरी दिनचर्या के बारे में बात करती थी इसी दौरान मेरे अंदर हुए सुधार का मूल्यांकन भी करती थी और अच्छी आदतों को अपने दिनचर्या में विकसित करने के लिए प्रोत्साहित भी करती थी। लेकिन श्रृष्टि ने मुझे अपने प्रेम के रूप में स्वीकार करने का कभी भी जिक्र नहीं किया जो मेरे लिए परेशानी का सबब बना रहा। मैं भी पीछे हटने वालों में से नहीं था सच को जिह्वा के माध्यम से अभिव्यक्त करवाने का हुनर रखता था। एक दिन शाम के समय जब श्रृष्टि कॉल आया तो उसने अपने अतीत का हिसाब किताब मुझसे साझा करना शुरू कर दिया कि मुझे शादी विवाह और पार्टियां में शिरकत करना पसंद नहीं है मैं अपने बुआ और मामा के अलावा कहीं नहीं जाती हूं और इस बीच वहां पर किसी लड़के से ज्यादा बात भी नहीं करती हूं । । ये मुझे अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए एक निमंत्रण कि तरह लगा । मैंने भी अपने बीते हुए जीवन के रोमांचित घटनाओं से रूबरू कराना शुरू कर दिया कि मेरे अंदर एक स्वस्थ लोकतंत्र का अस्तित्व है मुझे जहां पर लोग अपने परिवार के हिस्से के रूप में देखते हैं वहां पर अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने का प्रयास करता हूं मेरी कोशिश रहती है कि मेरे द्वारा उनके भावनाओं का अतिक्रमण ना हो। एक बार तो एक शादी में मैं अकेले बैठा था दो लडकियां मेरे पास आई और नजरें नीचे किए, शरमाते हुए मोबाइल नंबर साझा करने के लिए मुझे प्रस्ताव दिया और उसी वक़्त मेरा एक दोस्त आ गया और मुझे कहीं और लेकर चलने के लिए कहने लगा और में उन दोनों लड़कियों को बिना कोई जवाब दिए चला गया अब तो श्रृष्टि शुरू हो गई थी कहने लगी कि लड़कियां यही करने तो शादी वगैरह में जाती हैं , इनको कुछ और काम तो होता नहीं है। उन लड़कियों के प्रति श्रृष्टि के अंदर ईर्ष्या साफ साफ दिखाई दे रही थी। जो इस बात को उजागर कर रही थी कि वो मेरे बारे में कितना सचेत है। मैंने सोचा शादी तो दो रिश्तों को एक पवित्र बन्धन में बांधने की एक रश्म होती है यदि इसी दौरान कोई अपने रिश्ते को किसी के साथ जोड़ने का नैतिक प्रयास करता है तो इसमें कौन सी बुराई है। अब मैंने बस में यात्रा के दौरान हुई घटना के बारे में बताया कि बस में एक यूनिवर्सिटी छात्रा मुझमें काफी रुचि ले रही थी मुझे रोज मिलती है किसी दिन उससे नंबर साझा करने का जिक्र करूंगा यदि ऐसा हुआ तो मुझे और उस यूनिवर्सिटी छात्रा को कहीं न कहीं जरूरी लाभ मिलेगा । श्रृष्टि की आवाज बदल गई थी गुस्से से उसका शरीर कांप रहा था। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उस छात्रा से नंबर साझा करने का मजाक मेरे लिए इतना महंगा पड़ जाएगा और श्रृष्टि इस बात को इतनी गंभीरता से लेगी । श्रृष्टि ही नहीं शायद कोई लड़की ये बिल्कुल नहीं पसंद करेगी कि उनके सामने किसी दूसरी लड़की को आप अपने जीवन में ज्यादा तरजीह दे, चर्चा करे और उनसे तुलना करें। श्रृष्टि ने मुझे बहुत भला बुरा कहा और मेरा नंबर ब्लॉक करने के धमकी भी दे दी जवाब में मैं बस इतना ही कहा कि मेरे अंदर इतनी नैतिकता है आपको ऐसे कदम उठाने की आवश्यकता नहीं है। मेरे जीवन की ये सबसे बड़ी हृदय विदारक घटना थी मैं एक पल में अर्श से फर्श पर गिर गया था हालांकि ऐसी घटना का ट्रेलर ६ मार्च को अपनी दूर की रिश्तेदार अंजू नाम की लड़की से देखने को मिला था जब मैं जरूरी काम के चलते चैट के माध्यम से बातचीत की कोशिश की थी प्रतियुत्तर में उनका प्रत्येक मैसेज मुझे बुलेट की तरह मेरे शरीर को छलनी कर रही थी मैं तो सदमे में चला गया था बाद में अपने परिचितों के द्वारा अपने पास उनका कॉल करवाने के बाद सबकुछ सामान्य हुआ। आज श्रृष्टि ने तो पूरी पिक्चर ही दिखा दी थी लेकिन श्रृष्टि तो मुझे एक साल से जानती थी इसलिए उसकी बातें मेरे लिए एकदम असहनीय थी मेरा शरीर एकदम शून्य हो गया था। मुझे खुद से बहुत घृणा हो रही थी मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई लड़की मुझे मेरा नंबर ब्लॉक करने की धमकी देगी । क्योंकि मैंने अपने जीवन में लड़कियों को हमेशा प्रतिष्ठा की नजरों से ही देखा था सदैव उनके भावनाओं का सम्मान किया था और सार्वजानिक जीवन में लड़कियों को बराबरी का दर्जा देने की हमेशा बात करता था।
पार्ट ३ अभी बाकी है।