यह कथन जीत आपकी बुक से लिया गया है जिसके लेखाक शिव खेरा जी कहते है ,की आप खुद के बारे में क्या सोचते हो, ये चीज़ बड़ी मैटर करती है. अगर आपकी सेल्फ एस्टीम चेंज होती है तो आपकी परफोर्मेंस भी चेंज हो जाएगी. आप मोटिवेटेड, हैप्पी और एम्बिशिय्स फील करेंगे। आपको लो सेल्फ एस्टीम वाले लोगो को अवॉयड करना है क्योंकि ये लोग ना तो रीस्पोंसिब्ल होते है और ना ही कभी अपने प्रोमिसेस निभाते है. ऐसे लोग अक्सर नेगेटिव अप्रोच वाले होते है जिनके साथ रहकर आप भी नेगेटिव बनते चले जायेंगे और ये चीज़ आपके बिजनेस के लिए बिलकुल भी ठीक नहीं है. कुछ लोग प्रेटेंड करते है जैसे उनका सेल्ड एस्टीम काफी हाई है और लोग उन पर यकीन भी कर लेते है. मगर सेल्फ एस्टीम हमारे एक्श्न्स से दीखता है ना कि बातो से. हमे क्या पंसद है क्या नहीं ये हमारे सेल्फ एस्टीम से पता चलता है. इसलिए प्रेटेंड करने का कोई फायदा नहीं
है जबकि असलियत हमारे एक्शन के श्रू शो हो जाती है। आपकी परवरिश कैसे हुई है ये चीज़ हमारे सेल्फ एस्टीम से डायरेक्टली रिलेटेड होती है. आपका एनवायरनमेंट आपकी पर्सनेलिटी को काफी हद तक अफेक्ट करता है। और आपकी एजुकेशन भी उतनी ही इम्पोर्टेट रोल प्ले करती है। डिस्प्लीन भी काफी ज़रूरी है.
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