दिनाँक : 24.06.2022
समय: रात 8 बजे
प्रिय सखी,
भारत में चाणक्य को राजनीति का पुरोधा कहा जाता है। कौटिल्य या चाणक्य ने युद्ध की स्थितियों से बचने के लिए राज्य की राजनीति में समाधान लाने के लिए चार उपायों के प्रयोग का समाधान दिया था, ये हैं – साम, दान या दाम, दंड और भेद। यह नीतियां आमतौर पर तब उपयोग में लाया जाता है, जब आपको किसी राजनितिक समस्या का समाधान खोजने की आवश्यकता होती है।
अब यह राजनीति चाहे घर की हो या फिर पड़ोस, RWA, स्कूल, कॉलेज या फिर आफिस की।
साम का अर्थ होता है किसीको समझाना। यह समझाकर, सुझाव देकर, झूठ बोलकर या किसी की झूठी प्रशंसा से भी हो सकता है।
दाम का अर्थ होता है, किसीको पैसे से या किसी और चीज़ की लालच देकर अपना काम करवाना। आजकल राजनीति में दाम का प्रयोग बहुत अधिक होता है। MLA या MP खरीद लो, कहीं का चेयरमैन बना दो, कोई मनचाहा विभाग दे दो, बेटे को टिकट दे दो।
दंड का अर्थ होता है, किसीको सज़ा देना। अधिकतर इस निति को अपराधियों पर आज़माया जाता है। लेकिन आजकल नेताओं के लिए बहुत सारी एजेंसियां है। नाम आप जानते ही है।
भेद का अर्थ होता है, की किसी का रहस्य या भेद जानना। किसीकी गुप्त जानकारी का भेद जानकर भी अपना काम निकलवाया जा सकता है। जैसे कितने MLA नाराज हैं, उन्हें कौन सा पद या फिर कितना पैसा चाहिए।
एक्चुअली! साम का प्रयोग माँ और पिता के अलावा कोई नही करता। दाम और भेद ऐसे दो अचूक औजार हैं जिससे राजनीति की कील ठोकी जा सकती है। फिर भी कोई ना माने तो दंड तो है ही।
लेकिन ये सब हमने महाराष्ट्र की राजनीति पर नहीं लिखा है।
अफवाह फैलाने वाले को उचित इनाम दिया जाएगा।
गीता भदौरिया।