दिनांक: 22.06.2022
समय : शाम 7 बजे
प्रिय सखी,
12th में हमारी क्लास में सुनीता नाम की लड़की को टीचर ने मॉनिटर बनाया। वह ना तो पढ़ाई में टॉपर थी और ना व्यवहार मे बहुत अच्छी थी। हाँ! लम्बी तगड़ी सुनीता की आवाज बुलन्द थी। इसलिए क्लास टीचर अपनी एनर्जी वेस्ट नहीं करती थीं, उसकी एनर्जी का भरपूर प्रयोग किया जाता था। हम लोग टीचर से ज्यादा उससे डरते थे क्योँकि वह शिकायत लगाने में माहिर थी। और आपको तो पता ही है की टीचर को गलती पता लगने से ज्यादा खतरनाक है की उस गलती की शिकायत मिले।
सब कुछ सही चल रहा था कि टीचर ने एक बार उसे एकाउंट्स में फेल करने की गलती कर दी। मैडम भूल गई कि उनके सारे कच्चे चिट्ठे सुनीता के पास थे। सुनीता ने जाकर प्रिंसिपल को बता दिया कि मैडम स्कूल की पिछली टूटी दीवार से दुपहर 10 बजे घर चली जाती है और एक घंटे बाद आती है। रेसस से पहले और बाद कि क्लास को अनुशासन में एक घंटे रखने की मेहनत वह करती है। और तो और, उसने क्लास की बहुत सारी लड़कियों के इमोशन्स को भी जीत लिया। आधी से ज्यादा क्लास उसके साथ हो गई । टीचर को उसे बुलाकर समझौता करना पड़ा। नंबर बढ़ाने पड़े तब जाकर उसने प्रिंसिपल को सॉरी लेटर लिख कर दिया कि चूंकि टीचर ने उसे फेल कर दिया था इसलिए उसने उनसे झूठ बोल दिया था। इस तरह दोनों का काम बन गया।
अब अंकल उद्धव ठाकरे, बिना चुनाव और जन समर्थन के अपने बेटे को मंत्री बनाएंगे, वह सत्ता के फैंसले भी लेगा, दूसरों पर रौब भी गाँठेगा, तो एकनाथ शिंदे जैसे क्लास मॉनिटर का मिजाज तो बिगड़ेगा ही। कल का छोकरा क्लास में ज्यादा इज्जत पायेगा, तो एकनाथ शिन्दे मॉनिटर कैसे कहलायेगा?
उद्धव अंकल को अपनी पार्टी और सत्ता बचानी है तो एकनाथ से समझौता करना पड़ेगा। नहीं तो बीजीपी प्रिंसिपल सर, पार्टी तुड़वा देंगे और भैया ईडी आपका चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम दोनो छीन लेगा। ना टीचर रहेगा, ना मॉनिटर! उसके बाद प्रिंसिपल सर सरकार चलाएंगे।
बाकी आपकी मर्जी!
गीता भदौरिया