दिनाँक: 23.06.2022
समय: शाम 7:30 बजे।
प्रिय सखी,
यह देश हमारा है और इसको समर्थ बनाने में हम तन, मन और धन से पूरा योगदान करते हैं। यानी मन लगाकर काम करते हैं और धन देकर टैक्स भरते हैं। ताकि देश की उन्नति कर सके।
पिछले 2 वर्षों कोरोनाकाल रहा। सबके बिजनेस पर असर पड़ा। बिजनेस पर असर पड़ा तो टेक्स कलेक्शन पर भी असर पड़ा। लेकिन चूंकि सरकारी कर्मचारी और अधिकारी को सैलरी मिलती रही इसलिए उन्होंने अपनी इनकम का 30% टैक्स भी लगातार दिया और देश की अर्थव्यवस्था को चलायमान रखा।
एक किसान लगातार नार्मल रेट पर अनाज और सब्जी सप्लाई करता रहा। जिससे कृषि सेक्टर भी मजबूत रहा।
2 वर्षों में युवा वेट करता रहा कि जब कोरोनाकाल समाप्त होगा तो भर्ती निकलेगी और उन्हें जॉब मिलेगी और वह कमाने के साथ देश की सेवा करेगा।
सरकारी कर्मचारी की पेंशन समाप्त है क्योँकि उससे देश की इकॉनमी पर फर्क पड़ता है।
नेता लोगों चूंकि सुपर क्लास से आते हैं, इसलिए वह वेट नहीं कर सकते थे। कोरोनाकाल में भी भीड़ भरी रैलियां हुई, चुनाव हुए और इसके लिए सरकारी कर्मचारी की चुनाव में एक महीने तक डयूटी लगती रही।
चूंकि नेता सुपर क्लास से आते हैं, वे टेक्स नहीं देते।
चूंकि वे सुपर क्लास से आते हैं, इसलिए उनको 1,2,34,5,6,7,8..... पेंशन मिलती हैं और उससे देश की इकॉनमी पर कोई असर नहीं पड़ता।
नेता चूंकि सुपर क्लास से आते हैं, इसलिए उनका जेल जाना, बूढ़ा हो जाना, अंट शंट कुछ भी बोलना, या mla/mp की खरीद फरोख्त करना, सामान्य बात है। इससे उनके कैरियर पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
हे भगवान! बाकी की जिंदगी में नेता ही बना दो!
क्या आप मे से कोई सुपर क्लास से है?
गीता भदौरिया