दिनाँक : 09.06.2022
समय : दोपहर 1 बजे
प्रिय सखी,
शीर्षक पढ़कर चौन्क गई क्या?
द्रमुक नेता और राज्यसभा सदस्य टीकेएस एलनगोवन ने अपने एक विवदास्पद बयान में दावा किया है कि हिंदी तमिलों का दर्जा घटाकर ‘शूद्र’ कर देगी और कहा कि हिंदी भाषी राज्य देश के विकसित प्रदेश नहीं हैं जबकि जिन राज्यों की मातृ ज़बान स्थानीय भाषा है, वे अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। एलनगोवन ने हिंदी भाषा थोपने को लेकर द्रविड़र कझगम की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि ‘हिंदी को लादकर मनुवादी विचार थोपने’ की कोशिश की जा रही है।
द्रमुक नेता ने हिंदी की पैरवी करने के लिए अमित शाह की भी अलोचना की। उन्होंने कहा,
“ हिंदी क्या करेगी? सिर्फ हमें शूद्र बनाएगी। यह हमें फायदा नहीं देगी।”
एलनगोवन ने पूछा कि गैर हिंदी भाषी पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात क्या विकसित राज्य हैं या नहीं? मैं यह इसलिए पूछ रहा हूं, क्योंकि इन राज्यों की मातृभाषा हिंदी नहीं है। अविकसित राज्य (हिंदी भाषी) मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और नव निर्मित राज्य ( उत्तराखंड) है। मैं हिंदू क्यों सीखूं?
एलनगोवन ने कहा कि तमिल गौरव 2000 साल पुराना है और इसकी संस्कृति हमेशा समानता का पालन करने वाली रही है। “ वे संस्कृति को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं और हिंदी के जरिए मनुवादी विचार थोपने की कोशिश कर रहे हैं…. इसकी इजाज़त नहीं देनी चाहिए… अगर हमने दी तो हम गुलाम होंगे, शूद्र होंगे।”
इसे पहले तमिलनाडु राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री के पोनमुडी ने भी तंज कसा था कि हिंदी भाषी लोग राज्य में ‘पानी पुरी’ बेचते हैं। उनकी यह टिप्पणी इस दावे के जवाब में आई थी कि हिंदी सीखने से अधिक नौकरियां मिलेंगी।
इसके साथ आपने बॉलीवुड और साउथ की मूवीज का विवाद तो सुना ही होगा।
सखी ये क्या हो रहा है? जाति, भाषा, धर्म, कश्मीरी पंडित, सरदार खुले आम हथियार चलाना सिखेगे!!!!!
ये हम कहाँ जा रहे हैं????
आप के पास जवाब है? तो दीजिए।
गीता भदौरिया