समय का चक्र जिस पर चलता है उसका बर्बादी निश्चित है !ऐसे भी कहा गया है "-समय का मारा क्या करे बेचारा ,बुद्धि छीन हो जाता है, कोई भी सहारा न कर पता है !एक कहानी सत राजा हरिश्चंद्र का है -जिन्हे राजा होते हुए भी एक दिन ऐसा हुआ की डोम घर बिकना पड़ा था !राजा बेचारे समसान घाट पर समय काटते थे ,कब किया से किया हो जाता है कोई नहीं जनता है !जो आदमी इंसान के रास्ते पर चलते है उन्हें हर मुसीबत का सामना करते है !लक्षमण अपने बड़े भैया राम से पूछे थे की भैया ये बताइये की गरीब को ही कियो ज्यादा कष्ट कियो देते है !तो राम ने हँसकर कहे थे की गरीव को ज्यादा कष्ट इस कारण मिलता है कियोकि गरीवो में सहने की शक्ति होता है !हर रिश्ते नाते समय के चक्र में काम नहीं देते न सहमत कर पाते है ! एक पंक्ति है - समय के चक्र बता रही , इंसान की कीमत बता रही , जो समय को न पहचाने , खुद को भाग्य भवीता आजमा रही ! एक कहानी राजा भरथरी का है जिसे समय की चक्र में ऐसा समय विधता ने लिख दिया की राजा भरथरी राजा से जोगी बन गए !जब राजा भरथरी जोगी के भेष में अपने बहन के घर गए तो परजा कुछ लोग बताये की तोर भैया जोगी के भेष में आ रहे तो सग्गी बहन ने ही पहचानने से इंकार कर दिए बाह रे समय किसी को न छोड़ा जब महल पहुंचे तो घोडा घर में बिठाया बिठाया दिया तो राजा भरथरी ने धरती माँ को स्मरण करके धरती माँ को सुपुर्द कर दिया और कहा हे धरती माँ जब समय का मांग होगा तो आपसे मांग करूँगा और राजा भरथरी अपने बहन के घर रावाना हो गए !