ये भी कितना सही है की ।
ना तो वक्त हमारे लिए रूकता है
और ना हि वक्त के लिए हम रुकते है
जमाना बदलता है बदलना ही तो फितरत है
सदियां आती है चली जाती है यही तो नियत है
दिगर सी बात है अगर दुनियां जान ले तो
धरती भी अगर अपनी कुर्ती का मैल झाड़ ले तो
इस धरा से हम है हमसे धरा नही
इससे अच्छा ग्रह कोन है अब तक मिला नही
ये आनी वाली पीढ़ीयो के लिए सौगात होगी
और इससे ज्यादा ना देने के लिए अपनी औकात होगी