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संदीप ने बिगाड़ी अभय और अंजू की प्रेम कहानी

16 सितम्बर 2022

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अभय द्वारा संदीप से किया गया एक वादा अब अभय के लिए मुसीबत बनता जा रहा था?

 

इससे पहले आपने पढ़ा कि कैसे अभय और अंजू के बीच मोहब्बत की शुरुआत हो चुकी थी और ऐसे में अभय द्वारा संदीप से किया गया एक वादा अब अभय के लिए मुसीबत बनता जा रहा था। उसी का हल निकालने के लिए अभय लगातार सोंच रहा था। अभय और अंजू की पार्क में हुई मुलाकात के बीच जब अभय ने अंजू से संदीप को लेकर उसके विचार जानने की कोशिश की तो अंजू का रुझान संदीप के प्रति कुछ अच्छा नहीं निकला, जैसा कि अभय ने सोंच रखा था। ऐसे में अभय के लिए संदीप के विचारों को अंजू के सामने रखना और अधिक मुश्किल हो गया। अभय कशमकश में पड़ गया कि अब उसे आखिर करना क्या है कैसे अंजू से वह संदीप को लेकर बात करें। हालात ऐसे हो जाएंगे यह अभय ने सोचा भी नहीं था। एक तरफ उसका प्यार अंजू और दूसरी और उसका दोस्त संदीप?

 

अब ऐसा लगने लगा था कि संदीप के कारण अभय और अंजू का प्यार भी टूट जाएगा। क्या होने वाला था यह किसी को नहीं पता था लेकिन अभी अभय कुछ समझ नहीं पा रहा था। बमुश्किल उसने जो थोड़ी बहुत बात-बात में संदीप को लेकर अंजू से की थी उसे लेकर अंजू का क्या जवाब आएगा अभी अभय को पता नहीं था। ऐसे ही फिर कुछ दिन बीत गए अभय को लगा धीरे-धीरे सब सामान्य होने लगेगा, परंतु एक दिन अचानक ऐसा कुछ हुआ जिसने सब कुछ बदल कर रख दिया।

दरअसल हुआ यूं कि अंजू ने अभय को फोन करके बुलाया और इस बार अंजू ने खुद कहा कि अकेले नहीं आना अपने साथ अपने दोस्त संदीप को भी लेकर आना। अभय कुछ समझ नहीं पाया पर उसने हां हां हां में जवाब अंजू को दे दिया। बस उसके बाद अभय तैयारियों में लग गया। उसे अंजू से मिलने जाना है उसे नहीं पता था कि आगे होने वाला क्या है। उसने संदीप को जाकर सारा हाल बताया और संदीप भी तैयार होने लगा। कुछ देर बाद दोनों ही अपने पुराने स्टाइल में आधा-आधा पेट्रोल का पैसा मिला कर एक ही बाइक पर सवार होकर निकल पड़े। इस बार उन्हें ना तो किसी मंदिर में बुलाया गया था और ना ही किसी पार्क में इस बार जो स्थान अंजू ने उन्हें दिया था वह स्थान एक रेस्टोरेंट्स था, ऐसे में दोनों खस्ताहाल दोस्तों को कुछ पैसों की भी व्यवस्था करनी थी, क्योंकि उन लोगों के पास उस दौरान इतना पैसा नहीं था कि वह दोनों किसी और के साथ बैठकर होटल में या रेस्टोरेंट में नाश्ता कर सकें। वर्तमान समय के अनुसार महंगाई तो कम थी अगर जोड़ा जाए तो 4 लोगों के लिए कॉफी और थोड़ा बहुत नाश्ता 100 रुपये के आसपास हो जाता था, लेकिन इसके लिए दोनों के पास 100 रुपये भी नहीं थे। ऐसे में दोनों ने मिलकर इधर-उधर से पहले तो 50-50 व 60-60 रुपए की व्यवस्था की। निर्धारित समय से पहले ही बताए हुए रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गए मीनू उठाया पर लगभग हर चीज का रेट मानों अपने दिमाग में भर लिया। दोनों ने ऐसा किस वजह से किया यह तो आप समझ ही गए होंगे। दरअसल उन्हें डर था कि कहीं उनसे मिलने आ रही अंजू कोई ऐसा आर्डर न दे दे जो उनके बजट से बाहर हो जाए। तैयारी पूरी थी दोनों ने दूसरे को समझा रखा था ऑर्डर क्या देना है। निर्धारित समय दोपहर के 1:00 बजे से करीब एक घंटा ऊपर हो चुका था। अंजू अभी भी नहीं आई थी। संपर्क करने का कोई रास्ता नहीं है, ऐसे में चिंताओं का बढ़ना लाजमी था। अभय भी सोंचने लगा कि कहीं कुछ ऐसा तो नहीं हो गया जिससे सारी बात खराब होने वाली है। अभय के दिमाग में तमाम सवाल गूंजने लगे कि अंजू ने संदीप के साथ ही क्यों बुलाया था कहीं उसके घर में तो कुछ पता नहीं चल गया या फिर कोई और बात थी, जिसे अंजू बताना चाह रही थी, पर अब वह शायद आ नहीं सकेगी। इन्हीं सवालों के बीच करीब 20 मिनट और बीते होंगे कि अचानक 2 लड़कियां उसी रेस्टोरेंट में एंट्री करती हैं। अभय और संदीप टकटकी लगाए उन दोनों को देख रहे थे। तभी अभय बोलता है इधर आ जाओ काफी देर कर दी आने में, क्या कारण रहा, कोई बात तो नहीं है। इतने सवाल सुनकर अंजू ने अभय से कहा जरा ठहरो सांस तो लेने दो कि सारे सवाल अभी ही पूंछ लोगे। इस पर संदीप ने हंसते हुए अभय को टोंक दिया अरे यार अंजू के साथ भी कोई आया है उसका भी हालचाल ले लो। मानों संदीप सब कुछ पहले से ही जान रहा था कि आगे होने वाला क्या है। 

 

जिसके बाद अंजू ने जो कुछ भी कहा उसने अभय को हैरान कर दिया था....

 

अंजू अपनी एक पहेली काल्पनिक नाम नीता के साथ इस बार रेस्टोरेंट आई थी और अंजू ने अभय से कहा कि यह मेरी बहुत ही अच्छी सहेली नीता है। जिस पर अभय ने हैरानी जताते हुए पूछा कि हां हां अच्छी बात है परंतु अचानक ऐसा क्या हुआ कि तुमने यहां बुला लिया। इस पर अंजू कुछ बोलती उससे पहले ही संदीप ने पूरे दृश्य को भागते हुए अंजू का जवाब खुद ही दे दिया। संदीप ने कहा की अंजू को तुम्हारी ज्यादा ही याद आ रही थी और इसीलिए वह तुमसे मिलने के लिए आई है, इसमें इतनी हैरान होने वाली बात नहीं है। दोनों को बैठने दो कुछ नाश्ता कर लो और फिर बातें होती रहेंगी। इस पर अभय ने सहमति जताते हुए अंजू और नीता से पूछा कि वह लोग नाश्ते में क्या लेंगी। अंजू के जवाब देने से पहले ही अभय ने एक कॉपी और एक प्लेट पनीर पकोड़े का ऑर्डर दे दिया।

 

अभय ने ऐसा इसलिए किया कि कहीं अंजू और नीत तो ऐसा ऑर्डर ना दे दें जो उनके बजट के बाहर हो। हालांकि अंजू इस बात को पहले ही भाग चुकी थी, क्योंकि वह बेहद समझदार थी और उसने तत्काल कहा कि सिर्फ कॉफी ही मंगा लो और किसी चीज की आवश्यकता नहीं है। हम लोग यहां थोड़ी ही देर रुकने वाले हैं। इस पर संदीप ने कहा कि अरे नहीं नहीं खा लो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है पर अभी तो आई हो कुछ देर बैठो और बात करो।

 

संदीप का इशारा हर बार नीता की ओर ही था ऐसा लग रहा था कि वह अंजू के बहाने नीता से बात करना चाह रहा था। पर अभी नीता सभी से अनजान थी पहली मुलाकात थी इसीलिए वह किसी से कुछ खास नहीं बोल रही थी। बस हां और ना में ही जवाब दे रही थी। पर अंजू क्या सोंच कर आई थी यह अभय को नहीं पता था ऐसे में अभय के सवालों के जवाब अंजू को देने थे लेकिन सामने संदीप था इसलिए अभय भी अंजू से कुछ खास नहीं पूंछ पा रहा था। टालमटोल करते हुए अभय ने बाद में अंजू से पूछा कि आज तुम पहली बार किसी और के साथ आई हो क्या अब मुझसे तुम्हें डर लगने लगा है। जिस पर अंजू ने मुस्कुराते हुए अभय से कहा शायद तुम भूल गए हो तुमने मुझसे पार्क में क्या कहा था। अभय अभी भी कुछ समझ नहीं पा रहा था। यह सब हो क्या रहा है पर संदीप ने अभय को इशारा करते हुए कुछ भी कहने से रोक दिया। अब यहां पर संदीप ने पूरा मोर्चा संभाल लिया क्योंकि संदीप पहले से ही इन मामलों में काफी आगे था। उसे लड़कियों की भावनाओं को पढ़ना शायद अभय से बहुत ही अच्छा आता था। ऐसे में संदीप ने नीता से पूछा कि आप कुछ खा नहीं रहीं हैं क्योंकि वेटर कॉफी और नाश्ता लेकर टेबल पर रख कर जा चुका था। टेबल पर कॉफी रखी थी जिसकी चुस्कियां अभय लेने लगा था मानों अभय अब अपने को शांत रखने की कोशिश कर रहा हो।

 

कॉफी की चुस्कियां के बीच शुरू हुई एक और प्रेम कहानी

 

आने वाले बिल की चिंता से दूर दोनों दोस्त संदीप और अभय अब कॉफी की चुस्कियों का मजा लेने में व्यस्त हो गए थे। इसी दौरान अंजू ने नीता से भी कॉफी की शुरुआत करने का इशारा किया। जिसके बाद अनीता ने कॉफी का कप हाथ में लेकर उसे शिप किया। धीरे-धीरे बातों का दौर शुरू हुआ। अभी भी संदीप का पूरा ध्यान दें नीता की और था अब सारे घटनाक्रम को अभय भी पहचान चुका था। अभय के मन में चल रहे वो विचार कुछ हद तक शांत होने लगे थे। ऐसे में अंजू ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि संदीप जी मैंने नीता को एक बार आपको दिखाया था। नीता ने आपको देखकर मिलने की इच्छा जाहिर की थी, पर मैं थोड़ा व्यक्त थी। इस पर संदीप ने सवाल किया कि नीता जी ने मुझे कब देखा। इसपर अंजू का जवाब था एक बार जब आप दोनों लोग मुझसे मिलने आए थे तब नीता कुछ ही दूर पर खड़ी थी और उसने अभय के साथ-साथ आपको देखा था और इस पर नीता ने मुझसे आपके बारे में कुछ पूछा था जिसके बाद मैंने नीता से कहा था कि समय आने पर मैं आपसे नीता को मिलवाऊंगी। इस पर संदीप ने मुस्कुराते हुए कहा कि चलिए कोई बात नहीं देर आए दुरुस्त आए। इसके बाद नीता ने संदीप की ओर मुस्कुराते हुए पूछा कि क्या आपने मुझे उस दिन नहीं देखा था। इस पर दोनों के बीच आंखों ही आंखों में कुछ इशारा हुआ अब दोनों एक दूसरे से बात करना चाह रहे थे पर अंजू और अभय अभी भी दोनों के साथ बैठे हुए थे। इस पर अभय, संदीप का साथ देते हुए अंजू से दूसरी टेबल पर चलकर बैठने की बात कह रहा था परंतु अंजू ने उसकी बात को सुना अनसुना कर दिया। उसके बाद नीता भी अंजू की हां में हां मिलाती हुई दिखी। अब ऐसे में दोनों दोस्त यह समझ नहीं पा रहे थे कि यह क्या हो रहा है। संदीप ने मौके और नजाकत को समझते हुए नीता से कोई भी ऐसी बात नहीं कहीं जो उसको बुरी लगे। इसके बाद वेटर बिल लेकर आता है। दोनों दोस्तों के सामने मजबूरी होती है कि अब अगर बैठना है तो और कुछ मंगाना होगा और उनके पास इतने पैसे नहीं थे जिसे अंजू भांप लेती है और नीता से घर चलने की बात कहती है। इसके बाद दोनों सहेलियों की बात पर दोनों दोस्त राजी हो जाते हैं और जल्द ही किसी दूसरी जगह मिलने की बात कहते हैं। हालांकि संदीप अभी और देर रुकना चाह रहा था पर दोनों की मजबूरी थी। दोनों सहेलियां चली जाती हैं । इसके बाद दोनों दोस्त अभय और संदीप अपनी अपनी जेब से पैसे निकाल कर वेटर को पेमेंट करते हैं और बाहर निकल कर इस सोच में पड़ जाते हैं की इतनी देर में कोई खास बात नहीं हो पाई। इसपर अभय समझाता है कि संदीप यह पहली मुलाकात थी, इतनी जल्दबाजी ठीक नहीं। इसके दूसरे दिन ही दोनों कॉलेज के बाहर नीता और अंजू से मिलने पहुंचते हैं और यह क्रम लगातार तो चार-पांच दिन चल जाता है। इसे लेकर अंजू अभय से नाराज हो जाती है और वह अभय से बात करना बंद कर देती है। जिससे अभय काफी परेशान हो जाता है। अभय यह सोंच नहीं पा रहा था कि ऐसा क्या हुआ है कि  अंजू उससे बात नहीं कर रही है। अभय काफी प्रयास करता है पर अंजू हर बार उससे बात करने से मना कर रही है। अब अभय और संदीप को यह समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा हुआ क्या। आखिर अंजू अभय से क्यों नाराज है। हालांकि दोनों की प्रेम कहानी में नीता के आने के बाद यह पहला मौका था कि दोनों के बीच बातचीत बंद हो चुकी थी। ऐसा लगने लगा था कि दोनों की मोहब्बत अब टूट जाएगी।

रिश्ते को जोड़ना नहीं चाह रही थी नीता

अंजू और अभय के रिश्ते में भले ही दरार पड़ गई थी पर दोनों ही एक दूसरे को चाहते थे। ऐसे में दोनों के बीच अगर थोड़ा सा प्रयास किया जाता तो शायद या संभव था कि दोनों एक दूसरे से बात करने लगते, परंतु इस रिश्ते में नीता के आने के बाद जो खटास हुई थी। उसका कारण अभी तक अंजू को छोड़कर कोई नहीं जानता था और अंजू यह बात किसी को बताना भी नहीं चाहती थी। जहां तक उसकी पुरानी सहेली नीता भी अंजू से यह बात उगलवाने में कामयाब नहीं हो पा रही थी। हालाकी नीता मन ही मन में इस बात को लेकर खुश थी कि अंजू और अभय का रिश्ता टूट गया। परंतु उसकी खुशी किन कारणों से थी यह पता नहीं चल पा रहा था। वह संदीप की ओर आकर्षित तो थी और उसे प्यार भी कर रही थी परंतु कहीं ना कहीं अभय को देखने के बाद उसके चेहरे की मुस्कान किसी नई कहानी को जन्म देने की बात कह रही थी। कुछ ऐसे भी कारण थे जिनसे नीता चाह कर भी अंजू और अभय को शायद एक नहीं करना चाह रही थी। अभय बेहद इस्मार्ट और हट्टा कट्टा था उसे देख कर कोई भी लड़की लालायित हो सकती थी ऐसे में अंजू और अभय का रिश्ता नीता की आंखों में भी खटक रहा था वह क्या सोंच रही थी और आगे क्या होने वाला था?

इसके आगे क्या हुआ? क्या नीता और संदीप की मोहब्बत शुरू होने के साथ ही अभय और अंजू की मोहब्बत टूटने जा रही थी! यह प्यार आगे भी चलने वाला था पढ़िए अगले अंक में.........?

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रचनाएँ
दोस्ती, प्यार और तकरार
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यह पुस्तक अभय और संदीप नाम के तो दोस्तों पर आधारित है, जो लगातार अपनी ही दुनिया में जी रहे हैं। इन दोस्तों के बीच लड़कियों को लेकर काफी दिलचस्प किस्से होते हैं। उनके जीवन में आने वाली हर गर्लफ्रेंड कुछ नया करती है और इसी के चलते इनके जीवन में कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं जो इनकी दोस्ती में तकरार डाल देती है। उनकी कहानी का अंत भी उसी तकरार के साथ होता है और क्या यह दोनों दोस्त उसके बाद अपनी दोस्ती वैसे ही निभा पाते हैं। यह सब जानने के लिए बड़ी है दोस्ती, प्यार और तकरार.....
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