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संदीप ने अभय को भी दिया धोखा

6 अक्टूबर 2022

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कहानी की इस कड़ी में हम आपको इस बार बताने जा रहे हैं कि संदीप की फितरत को कोई समझ नहीं पा रहा था। उसने सिर्फ अब तक नीता के साथ ही धोखा नहीं किया था उसने अपने उस दोस्त को भी धोखे में रखा था जो संदीप पर बहुत अधिक भरोसा करता था। ऐसे में जब अभय को इस बारे में पता चलने वाला था तो फिर क्या होने वाला था हम आपको अब बताने वाले हैं।

 

मेरे भरोसे को तोड़ने वाले कोई और ना थे, वह तो अपने थे जिन्होंने मुझे भरोसा दिलाया था।

धोखे बाजों को तो जवाब हम भी दे सकते हैं, पर मुझसे अच्छा सबक तो शायद उन्हें मेरा वक्त बताएगा।

बदल जाएंगे जब मेरे हालात तो वह मुझसे पूछेगा, कि उसे चाहने वाला कोई और तो नहीं आएगा।

हमने तो लिखी हैं सैकड़ों कहानियां इस जमाने की, तो उसे फिर मेरी कलम का सामना भी नहीं आएगा।

लिख देंगे उसकी जिंदगी में भी खुशी या गम जो भी वह चाहता है, क्योंकि मेरी दुआओं से उसकी जिंदगी में वह हर पल जरूर आएगा।

 

जैसा कि आप पहले ही पढ़ चुके हैं कि संदीप और अभय एक बहुत अच्छे दोस्त थे दोनों ही यह जानते थे कि वह एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपाते हैं और शायद यही कारण था कि अभय, संदीप पर अधिक भरोसा करता था। नीता को मिलवाने से लेकर पार्क में की गई पार्टी और प्रिया से बातचीत के दौरान भी अभय ने सारे गतिरोधों के बाद भी संदीप का साथ नहीं छोड़ा था। ऐसे में अगर अभय को यह पता चल जाता है कि संदीप ने उससे बहुत कुछ छुपा रखा है तो शायद उसे धक्का लगता और दूसरी ओर कुछ ऐसी ही कहानी चल रही थी।

दरअसल संदीप स्वभाव का चंचल था और हर बार नई लड़की से दोस्ती करना उसकी एक आदत थी। वह बहुत समय तक एक ही गर्लफ्रेंड के साथ नहीं रह सकता था। ऐसे में उसने अभय को भी धोखे में रखा था लेकिन कहते हैं कि सच्चाई अधिक समय तक छुपाई नहीं जा सकती कुछ ऐसा ही अब होने वाला था।

 

यह बरसात के दिनों की बात है जब अचानक  बादल आकर बरस जा रहे थे। परन्तु धूप-छांव का खेल चल रहा था। ऐसे में एक दिन संदीप ने अचानक अभय से कहा कि अब दोपहर हो गई है तुम घर निकल जाओ और मुझे भी मार्केट किसी काम से जाना है। इस पर अभय ने भी सहमति जता दी और कहा हा ठीक है। शायद बारिश भी होने वाली है। दोनों अपने-अपने घर के लिए निकल गए, लेकिन संदीप के दिमाग में तो कुछ और ही चल रहा था। वह बीच रास्ते से ही घर ना जाकर कहीं और निकल जाता है। इस बात से अनजान अभय घर पहुंचता है, खाना पीना खाकर बैठता है इतने में अभय की माताजी बाजार जाकर कुछ सामान लाने को कहती हैं। पहले तो अभय काफी टालमटोल करता है, लेकिन अपनी मां की डांट खाने के बाद उसे मजबूरी में जाना पड़ता है।

मां ने अभय को खूब खरी-खोटी सुनाई थी क्योंकि अभय सुबह से ही घर से निकल जाता था और कभी दोपहर में खाना खाने के लिए तो कभी शाम को ही घर आता था। ऐसा लग रहा था कि मानो घर नहीं होटल हो। इस बात को लेकर पिताजी भी माताजी को खूब खरी-खोटी सुनाते थे पर मां का दिल तो होता ही ऐसा है कि वह चाह कर भी बहुत अधिक शक्ति नहीं कर पा रही थी और इसी का फायदा अभय लगातार उठा रहा था। उस दिन मां कुछ ज्यादा ही गुस्से में थी। अगर अभय सामान लेने के लिए नहीं जाता तो शायद मार भी पीटने वाली थी। हालातों को समझकर अभय ने मां की बात समझने में ही भलाई समझी और वह अपनी साइकिल उठाकर बाजार के लिए निकलता है लेकिन कुछ दूर चलने के बाद वह जो देख रहा होता है उससे उसकी आंखें फटी की फटी रह जाती हैं। अभय ने ऐसा क्या देख लिया था जो वह इतना हैरान था! ऐसा क्या हुआ था! हम आपको सब बताने जा रहे हैं।

 

संदीप की इस हरकत से अभय हुआ नाराज

 

अभी तक अभय को ऐसा लग रहा था कि संदीप उससे कुछ नहीं छुपाता है, लेकिन आज अचानक ऐसा देखकर अभय दंग रह गया था। दरअसल जिस रास्ते से वह बाजार जा रहा था उसी रास्ते से उसने सामने की ओर से अभय को एक लड़की के साथ आते हुए देखा था। लड़की देखने में खूबसूरत और संदीप से भी काफी हंस हंस कर बातें कर रही थी। इसीलिए अभय को संदीप पर शक होने लगा, लेकिन कुछ ही दूर चलने पर संदीप और अभय की आंखों का आमना-सामना हो जाता है। ऐसे में संदीप मुस्कुरा देता है लेकिन अभय उस मुस्कुराहट का जवाब गुस्से से देता है और वहां बिना रुके आगे निकल जाता है। संदीप समझ गया था कि मामला बिगड़ गया है, शायद अभय उससे नाराज हो गया है, लेकिन उस समय वहां वह कुछ नहीं कहता है और उस लड़की के साथ आगे निकल जाता है।

 

फिर शाम का वक्त आता है जैसे कि हर रोज संदीप, अभय को बुलाने उसके घर आ जाता था वैसा ही आज भी हुआ। शाम हो चुकी थी और संदीप, अभय के घर पहुंच गया था। उसने बाहर से ही अभय का आवाज दी पर अभय नहीं निकला और संदीप तो यह पहले से ही जानता था कि कुछ ऐसा ही होने वाला है। इसके बाद संदीप ने दोबारा आवाज दी। फिर अभय बाहर आता है तो संदीप बिना बात किए उससे सिर्फ यही कहता है कि चलो तो सब कुछ बताता हूं। हालांकि अभय जानता था कि संदीप झूठ बोल सकता है, पर दोस्ती अच्छी थी और संदीप उसे सब कुछ बताने को तैयार भी था, ऐसे में अभय ने संदीप के साथ चलना ही ठीक समझा। कुछ दूर दोनों एक दूसरे से बिना बात किए हुए चलते रहते हैं। लगभग 15 मिनट बाद संदीप अभय से पूंछता है क्या हुआ तुम्हारा मुंह क्यों फुला हुआ है तो अभय जवाब देता है कि इतने भोले तो मत बनो तुम सब जानते हो, कि मैं क्यों नाराज हूं। इस पर संदीप करता है कि नाराज होने से पहले कारण तो जान लेते। छोटी-छोटी बातों पर मुंह फुला लेते हो। अभय ने संदीप से कहा कि वह लड़की कौन थी तुमने तो आज तक मुझे उसके बारे में कुछ नहीं बताया। जबकि मैं तुम पर कितना भरोसा करता हूं और तुम्हें सारी बातें बताता हूं। नीता को मिलवाने में भी मैंने तुम्हारा पूरा साथ दिया था परंतु तुम इस तरह से मुझसे धोखा करोगे यह मैं नहीं जानता था। अगर पहले से ही तुम्हारी जिंदगी में कोई लड़की थी तो फिर तुमने नीता को धोखा देने के लिए ही उससे दोस्ती की होगी और सिर्फ इतना ही नहीं अब तुम प्रिया पर भी डोरे डाल रहे हो मुझे यह सब बिल्कुल पसंद नहीं है। अगर तुम अभी भी मानते हो कि तुम सही हो तो हमें लगता है कि हमारी दोस्ती अब ज्यादा समय तक चलने वाली नहीं है। अभय लगातार गुस्से में बोलता चला जा रहा था और संदीप चुपचाप उसकी बात सुन रहा था। वह कुछ भी बोल कर परिस्थितियों को खराब नहीं करना चाह रहा था और उसे पता था कि अभय को तो वह चुटकियों में मना लेगा। करीब आधा घंटे की बातचीत के बाद अभय शांत होकर कहता है कि तुम्हें तो कुछ कहना नहीं होगा, क्योंकि तुम अपनी गलती नहीं मानोगे इस पर संदीप कहता है कि अगर मुझे बोलने का मौका मिलेगा तभी तो मैं बता पाऊंगा कि मैंने गलत किया है या सही।

 

संदीप ने अभय को दी अपनी सफाई

 

संदीप ने अभय को सफाई देते हुए बताया कि जिस लड़की को तुमने मेरे साथ आज दोपहर में आते हुए देखा था वह मेरी बहुत पुरानी दोस्त है और हम लोग बहुत कम ही मिल पाते हैं। कभी ऐसा इत्तेफाक भी नहीं पड़ा कि मैं उसे लेकर तुम्हें कुछ बताता। अभी तो हम लोगों की जिंदगी में जो चल रहा है वह नया है पर ऐसा भी नहीं है कि मैं तुमसे कुछ छुपाता हूं। हां यह लड़की बहुत पुरानी मेरी दोस्त है और कई महीनों बाद इससे मेरी आज मुलाकात अचानक हुई थी। इस पर अभय ने कहा कि तुम तो घर गए थे तो यहां पर कैसे गए थे। चतुर संदीप ने जवाब देते हुए कहा कि तुम भी तो घर गए थे फिर तुम कैसे बाहर आए। इस पर अभय ने कहा मां की डांट खाने के बाद बाजार से कुछ सामान लेने आया था फिर संदीप ने कहा कि मैं भी घर से कुछ सामान लेने के लिए ही निकला था। इसी दौरान मेरी मुलाकात हुई थी, फिर हम लोग बात करने लगे और वापस घर की ओर जाने लगे थे। तभी रास्ते में तुमने हमें देखा था। अगर मेरे अंदर किसी तरह का कोई चोर होता तो मैं तुम्हें देखकर क्यों मुस्कुराता और अभी तुम्हें अपनी बात क्यों बता रहा हूं। इस पर हभय कुछ शांत हो जाता है और संदीप कहता है दोस्त ज्यादा फिक्र करने की जरूरत नहीं है। अगर कहीं कुछ बिगड़ जाए तो बैकअप में कुछ तो होना चाहिए। इस पर अभय चौंकते हुए पूंछता है तुम्हारा मतलब क्या है। फिर संदीप कहता है कि मेरे दोस्त अगर तुम्हारी दोस्ती अंजू से टूट जाए और मेरी नीता से तो ऐसे में क्या करोगे इसीलिए अगर कोई दूसरी लड़की जिंदगी में होगी तो तुम्हारी भी दोस्ती किसी और से करवा दूंगा। इस पर अभय मुस्कुराता है और कहता है कि संदीप तुम्हें समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। अब दोनों हंस कर बात करने लगे थे।

 

संदीप अभय को बताता है लड़की का नाम

 

अब दोनों दोस्त हंस-हंसकर एक दूसरे से बात करने लगे थे ऐसे में अभय पूंछता है चलो दोस्त सब छोड़ो यह बताओ कि वह लड़की थी कौन! और उसे कब से जानते हो! फिर संदीप बताता है कि वह लड़की अपने आगे वाले मोहल्ले की रहने वाली हैं और उसका नाम संगीता है। काफी पहले हम दोनों ने एक साथ ट्यूशन पढ़ी है और उसी दौरान हम लोगों की दोस्ती हो गई थी तभी से लगातार हम दोनों बात करते रहते हैं। हां बीच में हम लोगों के बीच बातचीत कम हो गई थी लेकिन अभी हाल ही में एक बार दोबारा मेरी मुलाकात संगीता से हुई तो हम दोनों के बीच फिर से बातचीत शुरू हो गई है। मैं तुमको यह सब बताने वाला था पर मुझे लगा कि समय आने पर बता दूंगा, लेकिन उससे पहले ही तुमने हमें देख लिया।

 

संगीता और संदीप की प्रेम कहानी

 

अब यह कहानी फिलहाल एक नए मोड़ की ओर चल दी है। दरअसल संदीप की जिंदगी के कुछ नए पन्ने अब खुलने वाले थे। जिन्हें अभी तक अभय नहीं जानता था, हालांकि इन पन्नों के खुलने के बाद जिंदगी में एक ऐसी उठापटक होने वाली थी, यह किसी को नहीं पता था और संदीप इस कहानी में आप सभी को अब बेहद आनंद आने वाला है। इस कहानी से संदीप की सोंच और उसके लड़कियों को लेकर विचार के बारे में हम सब जाने वाले हैं।

 

अब यह कहानी एक नए मोड़ पर आ चुकी है संदीप के बारे में अब आपको जो पता चलने जा रहा है वह बेहद रोमांचकारी है। दरअसल संदीप अभय को संगीता से मिलने की पूरी कहानी बताने जा रहा है। संदीप ने बताया कि जब वह महाविद्यालय का स्टूडेंट बना था, उसने बीए प्रीवियस में अपना दाखिला लिया था। इस दौरान घर से विद्यालय जाते समय कई कोचिंग इंस्टिट्यूट रास्ते में पड़तीं थीं। इन्हीं में से एक इंस्टिट्यूट में संगीता भी कोचिंग करने आती थी। संदीप के विद्यालय पहुंचने और संगीता के कोचिंग से छूटने का समय लगभग एक था। ऐसे में तमाम लड़कियों से बचते बचाते संदीप की नजरें कई बार सीधे-सीधे संगीता से लड़ी। बस फिर क्या था दोनों के बीच आंखों ही आंखों में इशारे शुरू हो गए। धीरे-धीरे संदीप ने संगीता से बात करने की कोशिश शुरू की। उस दौर के अनुसार मोबाइल फोन या अन्य संसाधन ऐसे डिजिटल नहीं थें। जिनसे संदीप, संगीता से संपर्क कर पाता। ऐसे में उन दिनों प्रेम पत्र का खासा क्रेज़ चल रहा था। संदीप ने सादे प्रेम पत्र की बजाय उन दिनों ग्रीटिंग कार्ड वाले लव लेटर की शुरुआत हुई थी। जिसे संदीप ने अपने विचार लिखकर संगीता तक पहुंचाएं। जब संगीता अपनी कोचिंग इंस्टिट्यूट से निकली तो संदीप ने वही प्रेम पत्र संगीता की साईकिल की डोलची में डाल दिया। हालांकि संगीता ने यह सब होते हुए देख लिया था और उसकी कुछ सहेलियों ने भी, पर संगीता ने इसका विरोध नहीं किया और अपनी साइकिल उठाकर सहेलियों की अटखेलियों के बीच साइकिल लेकर घर की ओर निकल गई। अब संदीप उसके पीछे-पीछे था वह देखना चाहता था ऐसा तो नहीं है कि उसका प्रेम पत्र संगीता कहीं पर फेंक दे। पर कुछ दूर चलने के बाद संगीता की साइकिल रुक जाती है। अब संदीप को लगता है ऐसा तो नहीं कि संगीता अब उसके प्रेम पत्र को फेंकने जा रही हो परंतु ऐसा नहीं होता है। संगीता उस प्रेम पत्र को साइकिल की डोलची से निकालकर अपने बैग में रख लेती है और संदीप की ओर मुस्कुराती हुई निकल जाती है। इसके बाद संदीप को लगता है कि अब उसकी लाइन काफी हद तक साफ हो चुकी है। संगीता के जवाब का इंतजार करने लगता है। लेकिन कई दिन बीत जाने के बावजूद संगीता ने संदीप के प्रेम पत्र का जवाब नहीं दिया था। संदीप बेताब हो उठा था कि संगीता ने अगर उसका प्रेम पत्र रख लिया था तो कई दिन बीत जाने के बाद भी उसका जवाब क्यों नहीं दे रही है। आखिर क्या है जो वह ऐसा कर रही है। ऐसे में तमाम सवालों के जवाब जानने के लिए एक बार संदीप में संगीता जब वापस कोचिंग से घर जा रही थी तो उसे रास्ते में रोक लिया और उससे अपने प्यार का इजहार किया। जिस पर संगीता ने फिर कोई जवाब नहीं दिया पर मुस्कुराती हुई घर चली गई। संदीप इस बात से खासा परेशान था कि आखिरकार संगीता किसी भी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही है। संदीप का भी यह पहला प्यार था और उसे इसका अनुभव नहीं था की लड़कियां इतनी जल्दी हां नहीं बोलती हैं। ऐसे में संदीप ने अपने दोस्त गुड्डू का जिक्र करते हुए अभय को बताया कि जब संगीता ने कई दिनों तक उसके प्रेम पत्र और उसके द्वारा कहे गए प्यार के शब्दों का जवाब नहीं दिया है तो उसने यह सब बातें अपने एक प्रेम गुरु गुड्डू से बताएं। गुड्डू ने संदीप की सारी बातें सुनते हुए उसे अभी धैर्य रखने को कहा और कहा कि अब वह संगीता के पीछे जाना छोड़ दे। इस पर संदीप ने कहा कि ऐसा मैं नहीं कर सकता हूं, तो गुड्डू ने कहा कि कुछ दिन ऐसा करके देखो जिस पर संदीप राजी हो जाता है और कुछ दिन बाद गुड्डू के कहे हुए शब्दों का असर भी दिखने लगता है। अब संगीता घर जाते समय अपनी कोचिंग के आसपास संदीप को देखने का प्रयास कर रही थी। उसने अपनी कई सहेलियों से भी संदीप के आने के बारे में पूंछताछ की थी। यह सब संदीप को पता चल रहा था संदीप इससे काफी खुश था। आखिर कुछ दिन बाद संदीप ने फिर से संगीता के सामने जाने का मन बना लिया। इसके बाद संगीता जब कोचिंग से घर जाने के लिए निकली तब उसे अचानक संदीप दिखा संदीप उसके पीछे हैं। ऐसे में संगीता के चेहरे पर मुस्कान दिखाई दी फिर संदीप ने आगे बढ़कर संगीता को रुकने का इशारा किया और इस बार बिना संकोच के संगीता रुक भी गई। संदीप ने संगीता से पूछा अभी तक तुमने मेरे प्रेम पत्र का जवाब क्यों नहीं दिया। तुम मुझसे प्यार करती हो या नहीं इस पर संगीता ने जवाब दिया कि मैंने तुम्हारा प्रेम पत्र स्वीकार कर लिया था इसका मतलब था कि मैं भी तुम्हें चाहती हूं यह तुम्हें समझना चाहिए। जिसके बाद संदीप में संगीता से कहीं अलग मुलाकात करने की बात कही। जिस पर संगीता तैयार हो जाती है आप दोनों ने मिलने के लिए एक अलग स्थान का चयन किया। जहां दोनों 2 दिन बाद अकेले में मिलने वाले यहां पर इस प्रेम कहानी में और क्या नया होने वाला था यह हम आपको बताने जा रहे हैं। 

आओ उड़ चले आसमान में कहीं बहुत दूर, हममें अब भी हौसले तुम से कहीं ज्यादा हैं।

कोई पूछेगा तो कह देना दुनिया में आज भी लोगों के बीच दूरियां बहुत ज्यादा हैं

आपस में जो दिखाते हैं एक दूसरे से बहुत प्यार है हमें, उनके भी दिल में ख्वाहिशें बहुत ज्यादा हैं।

कैसे पूरी होंगी उनके दिल की हसरतें, जब आज भी हमने खुद को लेकर बंदिशें कहीं ज्यादा है


जैसा हम आपको इस कहानी में पहले ही बता चुके हैं कि यह कहानी करीब दो दशक पहले की है। यह हमने आपको इसलिए याद दिलाया है क्योंकि कहानी में अब समय की के अनुसार काफी कुछ आप को समझने में आसानी रहेगी। उन दिनों लड़के लड़कियों का मिलना आसान नहीं होता था। ना ही आज की तरह डिजिटल संसाधन थे। ऐसे में उन दिनों मिलने की जगह या तो कोई तीर्थ स्थान और या फिर कोई दूरदराज का पार्क होता था। आज जहां संगीता और संदीप की मुलाकात होने वाली थी वह स्थान भी शहर का एक मंदिर था। दोनों अपने निर्धारित समय पर मंदिर में पहुंचते हैं। यहां काफी भीड़ होती है, जबकि दोनों ने ऐसा मन बनाया था कि उन्हें अकेले में बात करने का कुछ समय मिले। ऐसे में दोनों ही भीड़ को देखकर खासे परेशान होते हैं। बात करते समय लोग उन्हें देख रहे होते हैं जिससे उन्हें थोड़ी शर्म लगती है। हालांकि संदीप का इन गतिविधियों पर कोई खास फोकस नहीं था। वह एक तरह से ऐसा जता रहा था जैसे उस पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा, परंतु संगीता को यह डर था कि कोई उसे देख ना ले। ऐसे में वह संदीप से कहती है कि हमें कहीं और चलना चाहिए। इस पर संदीप उससे पूछता है तुम क्या सोंच रही हो और कहां चलने के लिए कह रही हो। संगीता कहती है कि कहीं ऐसी जगह जहां हम और तुम अकेले हों ।इसके बाद दोनों एक नजदीकी पार्क में निकल जाते हैं वहां कुछ देर आपस में प्यार मोहब्बत की बातें करते हैं। कुछ समय वहां बैठकर संगीता भी अपने प्यार का इजहार करती है और वह संदीप से वचन लेती है कि संदीप जिंदगी भर उसका साथ निभाएगा। जहां संदीप, संगीता से कहता है कि बिल्कुल निश्चिंत रहो, मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ने वाला। परंतु संदीप के मन में हर वक्त कुछ ना कुछ चलता रहता था। वह कभी एक के बारे में नहीं सोंचता था। ऐसे में संगीता से उसकी मोहब्बत शुरू तो हो गई थी पर इसके बावजूद उसकी हरकतों में कोई सुधार नहीं था। इस मुलाकात के बाद संदीप अक्सर संगीता से मिलने उसकी कोचिंग में पहुंचता था। वह बाहर खड़े रहकर इंतजार करता था और वहां निकलने वाली अन्य लड़कियों को भी देखता था। अब यह बात संगीता को भी खासी खराब लग गई। संदीप आखिर यहां और लड़कियों को कैसे घूर सकता है। जिस पर संगीता ने संदीप का विरोध किया। उसने कहा कि तुम यहां मत खड़े हुआ करो, जब तुमको मुझसे मिलना हो तो मुझे बताया करो। हम लोग कहीं अलग चलकर मुलाकात करेंगे, लेकिन इसके बावजूद संदीप नहीं माना और वह लगभग रोज ही कोचिंग पहुंचने लगा। जिससे संगीता नाराज हो गई। इस नाराजगी का संदीप पर क्या असर पड़ने वाला था और क्या संदीप किसी और लड़की की दोस्ती के चक्कर में पड़ने वाला था! संदीप की हरकतों की कहानी हम आपको इसके अगले अंक में बताने वाले हैं। इन दोनों की लव स्टोरी आखीर कितने दिनों तक चली?

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