अब इसे प्यार का नाम दिया जाए या कुछ और कहा जाए यह समझना अभी बहुत जरूरी था दरअसल एक तरफ जहां अभय और अंजू की प्रेम कहानी जारी थी तो वहीं अब संदीप और नीता का बदलता मन दोनों के बीच दूरियां बना रहा था हालांकि एक दूसरे से यह दोनों कुछ भी नहीं कहना चाह रहे थे, पर मन ही मन में जहां संदीप प्रिया की ओर आकर्षित तो वहीं नीता अभय की ओर आकर्षित हो रही थी। अब इसे प्यार का नाम दिया जाए या कुछ और कहा जाए यह समझना अभी बहुत जरूरी था दरअसल एक तरफ जहां अभय और अंजू की प्रेम कहानी जारी थी तो वहीं अब संदीप और नीता का बदलता मन दोनों के बीच दूरियां बना रहा था हालांकि एक दूसरे से यह दोनों कुछ भी नहीं कहना चाह रहे थे, पर मन ही मन में जहां संदीप प्रिया की ओर आकर्षित तो वहीं नीता अभय की ओर आकर्षित हो रही थी।
इन चारों की केमिस्ट्री बिगड़ती हुई दिख रही थी वहीं अभय अब इस बात से संतुष्ट था कि आखिरकार अंजू से उसकी बात होने लगी है और उसे कुछ चाहिए भी नहीं। दोनों के प्रेम की कहानी धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी पर इन दोनों की प्रेम कहानी के बीच में संदीप और नीता नाम के दोस्त से जुड़े हुए थे। जिनके कारण इनकी मोहब्बत की कहानी में अभी बहुत कुछ और हो ना अभी बाकी था।
दरअसल प्रिया को लेकर संदीप चाहत दिन पर दिन बढ़ती जा अब ऐसे में संदीप कुछ भी करके प्रिया से बात करना चाहता था पर ऐसा होना इसलिए भी संभव नहीं हो पा रहा था क्योंकि प्रिया घर से निकलती नहीं थी। बहुत कम और अंजू उसे लेकर साथ लाती नहीं थी । अभय से कभी कभार फोन पर या कहीं और इक्का-दक्का बार बात होती भी थी लेकिन अभय संदीप से प्रिया को दूर ही रखना चाह रहा था ऐसे में वह खुद भी संदीप को ऐसी जगह पर लेकर जाने से बच रहा था। जहां पर उसकी मुलाकात प्रिया से हो सकती थी, पर कहा जाता है की विधान में और किस्मत में जो लिखा है उसे कोई रोक नहीं सकता और एक कहावत यह भी है कि अगर कोई शिद्दत किसी को चाहे तो पूरी कायनात उसे मिलाने में लग जाती है।
कुछ ऐसा ही यहां भी दिख रहा था। संदीप की प्रिया को लेकर बढ़ती दीवानगी का असर यह था कि लगातार अब वह उससे बात करने के लिए अभय के साथ कॉलेज के चक्कर मार रहा था और वहीं अभय प्रिया को बचाने का हर संभव प्रयास कर रहा था। कई बार बहाने कर वह नहीं जाता था परंतु एक बार ऐसा मौका आया अब प्रिया और संदीप का आमना-सामना होने जा रहा था।
दरअसल 25 दिसंबर क्रिसमस डे के अवसर पर नीता और अंजू ने अभय कुछ सरप्राइज देने के लिए बिना पूछे नजदीक एक पार्क का टूर संदीप के कहने पर बना लिया। उन्हें ऐसा लगा कि अभय इससे सरप्राइज होगा उसे अच्छा लगेगा। परंतु कोई भी यह नहीं जानता था कि संदीप किसे लेकर सोंच क्या रहा है। इस मौके पर संदीप ने प्रिया को भी लाने का प्रस्ताव अंजू के सामने रख दिया और अंजु मान भी गई। अंजू इस बात से बिलकुल बेखबर थी कि आखिर संदीप प्रिया को लेकर क्या सोचता है और संदीप ने सभी से यह कह दिया कि अभय को कोई कुछ भी नहीं बताएगा। इस सरप्राइज के दौरान वह अभय को लेकर पार्क में पहुंचेगा। इस पर सभी सहमत हो गए। बस फिर क्या था 25 दिसंबर को संदीप अभय से कहता है चलो कुछ काम है आज शहर से 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पार्क में चलना है। जिस पर अभय बिना कोई सवाल तैयार हो जाता है क्योंकि यह उन लोग की दैनिक दिनचर्या में कभी भी कहीं भी चले जाते थे। कहीं भी घूमना उन्हें अच्छा लगता था तो ऐसे में अभय ने यह सोंचा ही नहीं की संदीप ने उसे सरप्राइज करने का पूरा प्लान तैयार कर रखा है। फिर क्या था धीरे-धीरे संदीप का प्लान हकीकत में बदलने वाला था। दोनों ही दोस्त एक साथ पार्क पहुंचे जहां पर अभय अंजू नीता के साथ प्रिया को देखकर हैरान रह जाता है और वह सबसे पहला सवाल करता है कि प्रिया को यहां लाने की जरूरत क्या थी। जिस पर संदीप कहता है यह तुम्हारी सरप्राइज पार्टी थी और तुम ऐसी बात कर रहे हो। क्या प्रिया को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए था! सभी हंसी ठिठोली करने लगते हैं। पर अभय के मन में कुछ और ही चल रहा था। संदीप के सामने वहां कुछ बोल नहीं पा रहा था परंतु उसके ख्यालों में जो चल रहा था वह प्रिया और संदीप को लेकर ही था अब इस दौरान संदीप को एक अच्छा मौका मिल गया था प्रिया से बात करने का। हालांकि नीता इस दौरान साथ थी परंतु उसने नीता को यह कहकर समझा दिया कि प्रिया पहली बार आई है और उन लोगों से मिल रही है। ऐसे में उसका ज्यादा ख्याल रखना सभी की जिम्मेदारी है। उसे ऐसा नहीं लगना चाहिए कि वह हम लोगों में कंफर्टेबल नहीं है। नीता संदीप के प्लान को नहीं जानती थी इसीलिए वह इस बात पर तैयार हो गई, लेकिन अभय के चेहरे के भाव तो उड़े हुए थे। वह लगातार यही सोंच रहा था जितनी जल्दी हो सके यहां से सभी को निकाला जाए।
प्रिया चुलबुली थी और शायद पहली बार इस तरह के माहौल में घर से बाहर आई थी। घर में किसी को नहीं पता था। यह सब कहां घूमने गए है और अभय को यही बात कचोट रही थी कि अगर कुछ हुआ तो वह सभी के घर में क्या बताएगा। ऐसे में सभी मस्ती तो कर रहे थे पर अभय के ख्यालों में अभी भी कशमकश चल रही थी।
इधर अंजू व नीता और प्रिया पार्क में एक साथ बातें करते घूम रहे थे और संदीप उनके साथ चल रहा था। वहीं अभय सबसे पीछे था। संदीप घूम-घूम कर प्रिया की ओर चलने का प्रयास करता हुआ दिख रहा था। जिसे लेकर अभय हर बार प्रिया को बीच में चलने की बात कह रहा था। यह वहीं दोस्त थे जो कभी एक दूसरे की बात तो नहीं काटते थे लेकिन इस घटनाक्रम में कुछ ऐसा हो रहा था जो दोनों दोस्तों के बीच भी शायद मतभेद पैदा करने वाला था लेकिन दोनों ही बेहद समझदार थे। ऐसे में एक दूसरे से कुछ भी कहना नहीं चाह रहे थे। इस दौरान हंसी मजाक के मूड में संदीप ने बातों ही बातों में प्रिया से पहले तो उसकी पढ़ाई के बारे में पूछना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे वह अन्य मुद्दों सहित उसके दोस्तों के बारे में पूंछने लगा। अंजू का ध्यान अब अभय की ओर था और वह प्रिया से थोड़ा दूर होने की कोशिश कर रही थी। ऐसा लग रहा था कि अंजू भी इसी मौके की तलाश में थी और अभय से अपने दिल की बहुत सी बातें अकेले में करना चाह रही थी। संदीप ने शायद इसका ही फायदा उठाया और उसने मौके की नजाकत को समझते हुए कहा कि अंजू अगर तुम चाहो तो अभय के साथ दूसरी तरफ कुछ जानवर है उन्हें देख सकती हो जाकर। इस पर प्रिया ने कोई खास एतराज नहीं किया, क्योंकि वह अभय और अपनी बहन अंजू के बारे में जानती थी। जिस पर अभय ने एतराज किया कि नहीं-नहीं क्या जरूरत है सब लोग साथ में ही घूमते हैं तो अंजू ने अभय से जोर देकर अलग अकेले में चलने को कहा। जिसे अभय काट नहीं पाया। अब मानों ऐसा लग रहा था कि संदीप की मुरादे पूरी हो रहीं है, लेकिन अभी नीता साथ में थी। संदीप नीता के सामने प्रिया से कुछ भी ऐसी बात नहीं कर सकता था। जिससे पूरा खेल बिगड़ जाए तो उसने नीता को साथ में रखते हुए इधर-उधर की बातें शुरू कर दीं। उसने प्रिया से पूंछा कि क्या कोई ऐसा तुम्हारा दोस्त है जो यहां हम लोग के साथ पार्क में आ सकता था। प्रिया ने सीधे मना कर दिया। जिस पर नीता को खासी नाराजगी हुई। नीता ने कहा कि दोबारा संदीप ऐसा कोई भी सवाल प्रिया से ना करे। वरना वह अंजू से बता देगी। जिस पर संदीप ने कहा कि वह सिर्फ मजाक कर रहा था लेकिन दूसरी ओर प्रिया संदीप की हरकतों और सोंच से बेखबर उसकी बातों में हंसती हुई दिखाई दे रही थी। वह खुद भी हंस-हंसकर संदीप से बातें करने लगी। यह बातें धीरे-धीरे बढ़ने लगे नीता को यह बात अब बुरी लगने लगी थी कि वह क्या सोंचकर यहां आई थी कि उसे संदीप के साथ बैठकर अकेले बातें करने का और मस्ती करने का मौका मिलेगा। पर यहां तो कुछ और ही खेल चल रहा है। अब ऐसा लग रहा था कि संदीप को नीता की नाराजगी का भी कोई असर नहीं पड़ रहा है। वह प्रिया के साथ काफी कंफर्टेबल होने की कोशिश कर रहा था। प्रिया इस बात से अनजान थी कि संदीप ऐसा क्यों कर रहा है। इस दौरान संदीप और प्रिया की काफी बातें थीं, जिससे नीता नाराज हो गई।
अंजू को अभय से इतने एकांत में बात करने का पहली बार मिला था मौका
अब अगर अंजू और अभय की बात की जाए तो अंजू प्रिया की ओर से पूरी तरह से बेखबर हो चुकी थी। दरअसल अंजू को पहली बार ऐसा मौका मिला था कि वह अभय के साथ बिल्कुल एकांत में उसके हाथों में हाथ डालकर और उसकी गोद में बैठ कर उससे बात कर रही थी। इस पल को अंजू पूरी तरह से जीना चाह रही थी, पर अभय का ध्यान तो कहीं और था। जिसे लेकर अंजू ने कई बार अभय को ठोका भी। अंजू अभय से कह रही थी कि मुझे यहां आकर बहुत अच्छा लग रहा है। तुमसे बात करके बहुत अच्छा महसूस कर रही हूं। वहीं अभय यह सोंच रहा था कि प्रिया क्या कर रही होगी। इस दौरान कई बार के प्रयास के बाद अभय को भी ऐसा लगा कि वह अंजू के साथ जो समय बिताना चाह रहा था उसका मौका उसे मिला है और ऐसा मौका अगर अब वह कुछ भी सोंच कर छोड़ देगा तो शायद उनके बीच के गैप को बाद में पूरा नहीं किया जा सके। ऐसे में अभय प्रिया की चिंता को छोड़ अंजू की ओर ध्यान देने लगा था। इस दौरान अंजू ने जब अपनी पहली मुलाकात की बात छेड़ी तो अभय ने कहा कि तुम तो मुझे पहली नजर में ही पसंद आ गई थी और मैं अब यह जीवन तुम्हारे साथ ही काटना चाहता हूं। मैं तुमसे शादी करना चाह रहा हूं। तब अंजू ने जवाब दिया कि अभी हमारी उम्र शादी लायक नहीं हुई है। इसके लिए इंतजार करो और अगर अभी घर वालों को कुछ भी पता चल गया तो मेरा घर से निकलना बंद हो जाएगा। मेरी पढ़ाई तक बंद करा दी जाएगी। क्या तुम ऐसा ही चाहते हो! तो अभय ने कहा नहीं मैं ऐसा कुछ भी नहीं चाहता। बस अपनी जिंदगी तुम्हारे साथ प्यार से गुजारना चाहता हूं इस पर अंजू ने मुस्कुराते हुए अभय को गले लगाया। दोनों के बीच अब काफी सारे मतभेद खत्म हो चुके थे
अंजू ने अभय से बताया अपनी नाराजगी का कारण
और इस दौरान अंजू ने अपनी नाराजगी का कारण भी अभय से बताया। अंजू ने कहा कि उसकी नाराजगी की वजह लगातार अभय और संदीप का स्कूल के बाहर आकर खड़े होना था। वह नहीं चाह रही थी कि स्कूल की और लड़कियां उसे किसी गलत नजर से देखें या उसके घर तक कोई बात पहुंचे। इस पर अभय ने कहा कि यह बात तो वह उसे पहले भी बता सकती थी। जिससे वह दोनों लोग वहां नहीं खड़े होते, फिर अंजू ने कहा कि नहीं उसे ऐसा लगा कि यह सब नीता के कारण हो रहा है, तभी वह नीता से नाराज थी। फिर अभय ने कहा कि मैं जानता हूं कि तुम संदीप से भी नाराज हो पर मेरी एक मजबूरी है कि वह मेरा अच्छा दोस्त है, हो सकता है कि उसमें कुछ कमियां हों पर वह एक बेहतर दोस्त है और यह तो तुम भी मानती हो कि उसमें हम दोनों को मिलाने में कितनी मेहनत की है। हम लोगों को मिलाने के लिए उसने नीता से लड़ाई तक की है। ऐसे में मैं उसका एहसान तो नहीं भूल सकता हूं। हां यह बात अलग है कि अगर तुम कुछ भी कहती तो मैं उसे समझा जरूर सकता हूं। वह मेरी लगभग सभी बातें मानता है। हम दोनों की केमिस्ट्री काफी अच्छी है और यह तो तुमने इतने दिनों में देखा ही होगा। अगर तुम चाहोगी तो हम लोग कभी भी तुम्हारे स्कूल के आस-पास नहीं दिखाई देंगे, हां अगर संदीप ऐसा करता है तो मैं उसे मना कर लूंगा, लेकिन मैं कभी भी ऐसा नहीं करूंगा, इसका वचन तुम्हें देता हूं। जिस पर अंजू ने कहा कि मुझे तुम पर पूरा भरोसा है पर मैं यह चाहती हूं कि हम लोगों की मोहब्बत ऐसे ही चलती रहे और जब तक हम लोग इस लायक ना हो, आपस में बैठकर परिवार से बात कर शादी कर सकें, तब तक यह बात घर में किसी को ना पता चले। इस पर अभय ने सहमति जताते हुए कहा कि जैसा तुम चाहती हो वैसा ही होगा और अभी उसे भी पढ़ाई के साथ-साथ अपने फ्यूचर के बारे में सोंचना है। वह क्या करेगा क्या नहीं करेगा उसे अभी कुछ नहीं पता है। दोनों के बीच अभी मोहब्बत भरी बातें चली रही थीं कि इसी दौरान नाराज नीता गुस्से में अंजू को ढूंढती हुई पहुंच जाती है। फिर वह अंजू से कहती है कि अभी यहां से चलो। अंजू कुछ समझ नहीं पाती है पर अभय कुछ-कुछ समझ चुका था। अभय ने तुरंत ही अंजू का हाथ पकड़कर नीता के साथ उसे उस और ले जाने लगा जिधर अभी संदीप और अंजू की छोटी बहन प्रिया बैठे थे।
फिर कैसे अभय ने दूर की नीता की नाराजगी
नीता की नाराजगी का अंदाजा पहले से ही अभय को था। ऐसे में अभय समझ चुका था कि नीता के साथ क्या हुआ है। जब अभय अंजू का हाथ पकड़कर उसे पार्क से बाहर की ओर ले जाने लगा, तो अंजू अभय से यह सवाल कर रही थी कि आखिर क्या हुआ है। अंजू घबरा गई थी अब वह प्रिया को लेकर चिंतित हो रही थी, लेकिन अभय यह जानता था कि संदीप ऐसा कुछ नहीं करने वाला जिससे बात बिगड़ जाए। हालांकि नीता की नाराजगी दूर करना अभय के लिए चैलेंज बनने वाला था। अभय ने समझदारी का परिचय देते हुए तेज कदमों से अब अंजू और नीता को पीछे छोड़ दिया और वह तेजी से प्रिया और संदीप की ओर निकल गया और कुछ दूर पहले से ही उसने संदीप को आवाज दी, पहले तो संदीप ने अभय की आवाज को सुना अनसुना कर दिया, लेकिन दूसरी आवाज अभय की काफी तेज थी। जिसे सुनकर संदीप समझ चुका था की बात कुछ बिगड़ सी गई है। बस संदीप ने मौके की नजाकत को समझते हुए प्रिया को तुरंत अभय की ओर चलने का इशारा किया जब अभय ने संदीप और प्रिया का आवाज दी थी तब वे एक पिंजरे के पास खड़े थे। अभय ने संदीप से तुरंत ही कहा कि पीछे अंजू नीता आ रहे हैं, ऐसा क्या किया है तुमने जो नीता नाराज हो गई है। इस पर संदीप ने कहा कि कुछ नहीं लगता है नीता का दिमाग खराब हो गया है। अभय ने कहा कि मैं जानता हूं कि कहीं ना कहीं तुम्हारी ही गतती है, भले ही तुम उसको मानो ना मानों। जिसके बाद पांचों लोग अब एक दूसरे के सामने होते हैं। अभय परिस्थितियों को संभालने में काफी निपुण था। ऐसे में उसने मौके को समझते हुए सबसे पहले नीता को मनाने में ही समझदारी समझी और इसके बाद अभय ने अंजू से कहा कि तुम प्रिया के साथ बैठो, तब तक मैं नीता की नाराजगी का कारण पता करता हूं। इसके बाद अभय नीता के साथ बात करने लगता है। पहले तो नीता कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी पर अभय की बातें उसे अच्छी लग रही थी और वह पहले से ही अभय की ओर कुछ आकर्षित तो थी ही, ऐसे में उसने भी इस मौके का पूरा फायदा उठाने की कोशिश शुरू कर दी। दोनों के बीच अब बातें शुरू हो चुकी थी। अभय ने नीता से पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि तुम इतना ज्यादा नाराज हो गई। जिस पर नीता ने कहा कि हम लोग यहां समय बिताने आए थे, जैसे तुम और अंजू एक दूसरे के साथ समय बिता रहे हो, ऐसे मैं भी संदीप के साथ समय बिताना चाह रही थी परंतु संदीप का पूरा ध्यान प्रिया की ओर है और वह मुझसे बात तक नहीं कर रहा। मुझे ऐसा लगने लगा है कि वह मुझसे प्यार नहीं करता है और इतना कहकर नीता अभय के कंधे पर सर रखकर रोने लगती है। मानो वह इसी पल के इंतजार में थी। अभय किसी तरह से नीता को समझाने की कोशिश शुरू करता है और कहता है कि ऐसा कुछ नहीं है संदीप का ऐसा ही नेचर है। वह हर नए व्यक्ति से ऐसे ही मिलता है, मैं उसे अच्छी तरह जानता हूं और वह तुमसे प्यार भी करता है तो तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है और मैं अभी इस विषय पर संदीप से बात करता हूं। अगर जरूरत लगेगी तो उसे खरी-खोटी भी सुनाऊंगा। जिसके बाद नीता शांत हो जाती है और दोनों ही वापस उस जगह पर पहुंचते हैं जहां पहले से ही अंजू, प्रिया और संदीप मौजूद थे। इस दौरान अंजू को भी लगभग पूरे घटनाक्रम का अंदाजा हो चुका था लेकिन अभी उसके मन में कुछ संचय थे उनके जवाब अभय को देने थे।
फिर पार्क में मनाया गया अभय का जन्मदिन
पार्क में आने का सबका अपना-अपना मकसद था। ऐसे में अंजू का मकसद कुछ हद तक पूरा हो चुका था, परंतु नीता का अधूरा रह गया था। हालांकि यह सरप्राइज पार्टी जिस उद्देश्य से की गई थी वह अभी तक अधूरा था। पर मौके की नजाकत को भांपते हुए संदीप ने कहा कि हम सभी जिस मकसद से यहां आए थे, वह अभी अधूरा है। अब सारी बातों को छोड़कर हमें अभय का जन्मदिन सेलिब्रेट करना चाहिए। दरअसल अभय का जन्मदिन कुछ दिन पहले ही निकल चुका था, लेकिन अंजू, अभय को खुद मिलकर बर्थडे विश करना चाहती थी जो तभी संभव था जब वह सभी कहीं अकेले में मुलाकात करें। इस पर अभय ने हैरानी जताते हुए कहा कि मेरा बर्थडे तो कुछ दिन पहले ही निकल चुका है। ऐसे में बर्थडे मनाने का क्या मतलब है। अंजू ने उत्तर दिया कि मैंने ही इस सरप्राइज पार्टी के लिए संदीप से कहा था। क्योंकि मैं तुम्हारे बर्थडे पर तुम्हारे साथ ही केक काटना चाहती थी और प्रिया की भी यही इच्छा थी इसीलिए हम प्रिया को अपने साथ लेकर आए थे। तब अभय को कुछ बातें समझ में आने लगी। इसके बाद अभय ने अपनी और से संदीप से कहा कि भाई तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद।
तुमने अंजू से अकेले में मिलने का मुझे मौका दिया है। उसके बाद संदीप में हंसते हुए कहा कि दोस्त ऐसे ही होते हैं और वह गाड़ी में रखा केक लेने के लिए चल दिया। कुछ देर बाद वह केक एक लेकर वापस आया।
अंजू ने केक निकालकर सीट पर रखा। अभय ने केक को काटा। इस दौरान सभी के चेहरे पर मुस्कुराहट थी। फिर अभय ने पहले अंजू और बाद में अपने दोस्त संदीप को नीता को और प्रिया को केक खिलाया। इस दौरान भी संदीप का खुराफाती दिमाग काम कर रहा था। शायद यही कारण था कि उसने जब अभय को केक खिलाया तो नीता के बजाय उसने उसके बाद प्रिया को केक खिलाया और थोड़ा सा केक उसके गालों पर भी लगा दिया। इस बात से जितना नाराज नीता हुई उतना ही नाराज अंजू भी हुई। खैर अंजू इस मौके को किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहती थी। माहौल अच्छा रहे इसलिए अंजू ने उस दौरान कुछ नहीं कहा सब कुछ जानते हुए भी संदीप का अपनी हरकतों पर कोई पछतावा नहीं दिख रहा था। ऐसा लग रहा था कि वह लगातार प्रिया को रिझाने के प्रयास कर रहा है। केक काटने के बाद अंजू जो अभय के लिए उपहार लाई थी उसने अभय को दिया और उसे सबके सामने खोलने के लिए ही कहा अब अभय असमंजस में था कि वह क्या करें, लेकिन अंजू इस बात को लेकर अब जिद्द करने लगी और प्रिया भी अपनी बहन का पूरी तरह से समर्थन कर रही थी।
अभय के जन्मदिन पर अंजू ने दी उपहार के रूप में प्रेम की निशानी
अभय और अंजू के प्यार को किसी की नजर ना लगे, इसे देखते हुए अंजू में अभय के जन्मदिन पर उसे एक उपहार दिया और जिसे वह सबके सामने खोलने की जिंद भी कर रही थी। ऐसे में अभय को नहीं पता था कि इस गिफ्ट में क्या है और सभी के सामने खोलना क्या इसे ठीक रहेगा, लेकिन अपनी बहन अंजू की तरह प्रिया ने भी यही जिद पकड़ ली थी। जिसके सामने अब अभय को झुकना ही था। अब नीता और संदीप दोनों ही अभय से गिफ्ट को सबके सामने खोलने की बात कहने लगे थे। इसके बाद अभय ने गिफ्ट को खोलने का फैसला लिया। फिर अभय ने जब गिफ्ट की पैकिंग को खोला तो उसमें एक छोटे से दफ्ती के गत्ते में कुछ रखा था इसके बाद अभय ने उस दफ्ती के गत्ते को खोला तो उसमें राधा-कृष्ण की एक छोटी सी प्यारी सी मूर्ति निकलती है। जिसे देखकर अभय बहुत खुश होता है और अपनी खुशी का इजहार करते हुए सबके सामने ही अंजू को गले लगा लेता है। इस पर अंजू शर्मा जाती है लेकिन वह इस बार अभय से ऐसे नाराज नहीं होती है और मुस्कुराती हुई उसे दूर कर देती है। इस पर नीता अंजू से थोड़ा बहुत मजा लेने लगती है। हालांकि इस दौरान पास में ही प्रिया खड़ी थी पर उसने इस पर कोई आपत्ति जाहिर नहीं की। प्रिया को यह सब नया होने के बाद भी अच्छा लग रहा था। उसे इसमें कुछ खराबी नहीं दिख रही थी और संदीप के लिए भी यह सब उसके फायदे का ही सौदा था। इसी दौरान संदीप ने मौका पाकर प्रिया से कुछ ऐसा बोल दिया जिसका प्रिया को अब तक अंदाजा नहीं था। संदीप ने प्रिया से ऐसा क्या कहा जो अगर अंजू को पता चल जाता तो शायद अभय का रिश्ता फिर से टूटने वाला था। वहीं अब नीता और संदीप के रिश्ते में क्या होने वाला था यह सब जानने के लिए आप अगले चैप्टर को पढ़ें..........।