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मतलबी दोस्त

6 अक्टूबर 2022

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मुझे लगा कि कोई ख्वाब मैंने देखा है,

मेरी हाथ की हथेली में तेरे प्यार को पाने की कोई रेखा है।

मिटाने से जो नहीं मिटती है मेरे दर्द की कहानी, 

वह भी मेरे टूटे हुए ख्वाब की एक जुबानी है।।

 

इस कहानी में अभी तक आपने देखा कि अभय एक शांत और सरल स्वभाव का लड़का था पर कहते हैं ना गिरगिट को देखकर गिरगिट रंग बदलने लगता है। इन दोनों दोस्तों की जिंदगी में भी कुछ ऐसा ही शुरू होने वाला था। संदीप की संगत में रहकर अब अभय की हरकतों में भी बदलाव आ रहा था, जो अभय कभी अंजू की मोहब्बत में इतना दीवाना था कि उसके नाराज होने पर उसका असर उसकी पढ़ाई लिखाई पर भी दिखने लगा था। पर समय बदल रहा था और एक और नए साल की शुरुआत हो चुकी थी। ऐसे में अभय की जिंदगी में भी बदलाव होना शायद स्वाभाविक था। उसकी जिंदगी में अंजू अभी भी थी पर अब उसका मन अंजू की मोहब्बत को लेकर इतना सीरियस नहीं था। यह बदलाव क्यों हुआ था इसे जानने के लिए आप आगे की कहानी पढ़ते रहिए।

 

कोई भूल रहा था कि उसने किससे क्या कुछ पाया है और कोई था जो उसे सब कुछ देने को आज भी तैयार बैठा था।

ये रंग है मोहब्बत के इन्हें समझना इतना आसान नहीं है, और इनकी खूबियों से बचना भी इतना आसान नहीं है।

बनाते रहोगे अपनी जिंदगी को रंगीन जिन रंगों से, उन रंगों में ही जिंदगी को जलाने की कहानी भी है।

दूसरों को देखकर कब तक बदलते रहोगे अपनी जिंदगी के दांंव, कैसे बचोगे जब आएगी तुमको मात देने के लिए उसकी सिर्फ एक चाल।।

 

दरअसल संदीप के साथ रह-रह कर अभय की जिंदगी में भी बदलाव आने लगे थे। अभय देख रहा था कि संदीप कि जिंदगी में कई लड़कियां हैं। कभी वह किसी से बात करता था तो कभी वह किसी से बात करता था और अब संदीप की पॉकेट मनी भी बढ़ चुकी थी। ऐसे में वह अपनी जरूरतों को आसानी से पूरा करने लगा था। वहीं अभय के साथ भी कुछ ऐसा ही था। पढ़ाई के साथ अभय कंप्यूटर पर पढ़ाने और थोड़ा बहुत और काम करने लगा था। ऐसे में उसकी भी कमाई बढ़ चुकी थी। अब दोनों के पास थोड़े बहुत पैसे बने रहते थे, लेकिन संदीप की बात की जाए तो उसे पैसे जोड़ने का शौक नहीं है। वह ज्यादातर अपनी पॉकेट मनी लड़कियों पर ही खर्च करता था। ऐसे में संदीप का भी खर्चा बढ़ गया था। दोनों दोस्त जब कहीं भी जाते थे तो खर्चा आधा-आधा ही होता था। एक बार की बात है जब संदीप अपनी पुरानी गर्लफ्रेंड संगीता से मिलने गया था। इस दौरान अभय भी संदीप के साथ था। संदीप और संगीता दोनों एक रेस्टोरेंट में जाकर बैठते हैं। अभय भी साथ था ऐसे में संदीप और संगीता की बात होने लगती हैं। बीच में कुछ बातें अभय भी करता है। इसी दौरान संगीता मजाक में अभय से पूंछती है क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है। अभय अंजू के बारे में बताने ही वाला था कि तब तक संदीप ने उसकी बात को काटते हुए संगीता से कहा इसकी कोई गर्लफ्रेंड नहीं हो सकती, इसे लड़कियां पटाना नहीं आता। संदीप की यह बात अभय समझ नहीं पाया। पर उसने संदीप की हां में हां मिलाने में ही भलाई समझी, तो भी उसे नहीं पता था कि संदीप ने ऐसा क्यों कहा है। जिस पर संगीता हंसते हुए अभय से कहती है कि तुम तो काफी स्मार्ट हो तुम्हें तो कोई भी लड़की पसंद कर लेगी, तो अभय कहता है कि हो सकता है पर अभी तक ऐसी कोई लड़की मिली नहीं। अब अभय को भी संदीप की तरह ही बात करने में मजा आ रहा था। संदीप का यह पहला दांव अब अभय समझ चुका था। जिसके बाद अभय भी अब संगीता से अपनी जिंदगी की एक झूठी कहानी सुनाने लगता है। वह कहता है कि उसकी जिंदगी में आज तक कोई भी लड़की नहीं आई है, क्योंकि उसने अभी तक सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दिया है और अगर वह ऐसा कुछ करता तो फिर उसके घरवाले उसे घर से ही निकाल देते हैं। संगीता इन बातों को बिल्कुल सच मान लेती हैं और बात ही बात में कह देती है कि लग रहा है मुझे ही तुम्हारे लिए कुछ सोंचना पड़ेगा। बस फिर क्या था अभय का चेहरा खिल जाता है। अभय का चेहरा खिलता देख संदीप उससे कहता है ज्यादा खुश होने की जरूरत नहीं है संगीता मजाक भी बहुत अच्छा करती है। इस पर संगीता कहती है कि मैं इस बार मजाक नहीं कर रही हूं।.मैं अभय के लिए जल्दी ही किसी लड़की को ढूंढ रही हूं। मैं अभय की दोस्ती एक अच्छी लड़की से कर वाऊंगी। अभय खुश हो जाता है और कहता है अगर ऐसा होता है तो मैं तुमको अपनी ओर से पार्टी दूंगा। इसके बाद संगीता कहती है ठीक है कुछ देर सभी आपस में बात करते हैं। अब संदीप संगीता से उतने इंट्रेस्ट से बात नहीं कर रहा था। ऐसा लग रहा था कि संदीप जो चाह रहा था वह कुछ हद तक हो चुका है। पर यह बात वह संगीता पर जाहिर नहीं होने देना चाह रहा था। ऐसा होने पर पूरा खेल बिगड़ सकता था और अब अभय भी यही सोंच रहा था और हर बात में वह संगीता को खुश रख कर उसे हंसाने की कोशिश कर रहा था। संगीता को अभय की बातें अच्छी लग रही थी। उसने संदीप से कहा कि अभय कितना अच्छा लड़का है वह कितनी अच्छी तरह से लड़कियों की फीलिंग को समझता है और एक तुम हो कितने  अनरोमांटिक हो। इस पर संदीप कहता है कि ठीक है अच्छी बात है जब अभय की जिंदगी में कोई लड़की आ जाएगी। फिर देखता हूं अभय कितना रोमांटिक होता है। जिसके बाद वेटर बिल लेकर आता है इस बार संदीप, अभय से पेमेंट करने के लिए कहता है लेकिन अभय सोंचता है कि यह कौन सी बात हुई। हर बार तो आधा-आधा ही बिल देना पड़ता था। इस बार पूरा खैर मौके की नजाकत को भांपते हुए अभय वेटर को पूरा पेमेंट कर देता है। अब तीनों बाहर निकल आते हैं और बात करते हुए अपने घर की ओर चले जाते हैं। संगीता अपने घर की ओर जब निकल जाती हैं तो संदीप अभय से कहता है कितना पेमेंट दिया था तो अभय बताता है के 180 रुपए का पेमेंट किया गया है। इस पर संदीप अपनी जेब से 90 रुपए निकाल कर अभय को देता है। इस पर अभय सवाल करता है कि अगर तुम्हें पैसे देने थे तो वहीं पर दे दिए होते, फिर संदीप कहता है कि तुम अभी बहुत कुछ नहीं समझते हो। अभी मेरे साथ रहकर और भी चीजों को सीखो। मैं अगर कभी भी कुछ कहता हूं तो हर चीज के पीछे कोई ना कोई मकसद होता है। अभय अभी संदीप की बातों को समझ नहीं पा रहा था कि संदीप किस तरह से हर चीज में कोई ना कोई बात छुपाए रहता है। अभय ने संदीप द्वारा दिए गए 90 रुपए अपने पर्स में रख लिए। दोनों ही बातें करते हुए घर की ओर चले गए। अब संदीप कहता है कि हम लोग कि जब शाम को मुलाकात होगी तब मैं तुम्हें बताऊंगा जो तुम्हारे मन में शंकाएं हैं उनके बारे में मुझे पता है। तुम बहुत सोंच रहे हो, पर इतना मत सोंचो। अभी जो चल रहा है उसे चलने दो। फिर देखेंगे क्या होगा और हां एक बात याद रखना संगीता के सामने अंजू का चैप्टर क्लोज ही रखना। ऐसा ना हो कि तुम्हारा मुंह खुल जाए और तुम अंजू के बारे में उसे बता दो। अगर ऐसा करते हो तो इससे तुम्हारा ही नुकसान होगा। अब अभय भी  संदीप की बात को समझने लगा था। ऐसे में वह कहता है नहीं-नहीं भाई मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा और अगर मुझे कुछ भी कहना होगा तो मैं सबसे पहले तुमसे पूंछ कर ही कोई बात संगीता से करूंगा और मेरा मुंह कहीं भी अब खुलने वाला नहीं है। मैं समझ रहा हूं कि तुम मेरे बारे में अच्छा ही सोंच रहे हो। इस पर संदीप कहता है ठीक है अभी घर जाओ शाम को हम लोगों की मुलाकात होती है।

 

सर्द मौसम भी मोहब्बत में गर्म हो जाते हैं, उसके ख्वाबों से जब हमको पसीने छूट जाते हैं।

कैसे तोड़ देते हैं लोग किसी का दिल यूं ही, हम तो शीशों को भी अपने घर की छत पर सजाते हैं।

वह भी जानता है कि हमारा दिल यूं ही पत्थर का नहीं बन जाता है, कोई तो है जो हर बार मुझे चोट देकर जाता है।

एक बार तो सहला कर पूंछ सकता था वह मेरे दिल का भी हाल, शायद इस पत्थर दिल का कोई अरमा खुद ब खुद निकल आता।

भूल जाता है यह क्यों वह कि उसने मुझे दी है तमाम तकलीफें, शायद उससे लिपट कर रो-कर मैं यह सब यूं ही भूल जाता।।

आज भी मेरी शख्सियत को देखकर जलते हैं तमाम लोग मुझसे, पर वह मुझसे मिलने एक बार तो जरूर आता।

किसने समझा दिया था उसे मेरे बारे में इतना सब, कि वह मुझे समझे बिना खुद को कैसे समझ पाता।।

 

रोज की तरह ही संदीप और अभय की मुलाकात शाम ढलते सूरज के साथ होती है। मौसम सर्द है दोनों ने गर्म कपड़े पहन रखे हैं। आवाज में कप-कपाहट है पर अभय के दिलचस्पी के आगे यह ठंड बिल्कुल ना के बराबर लग रही थी। अभय, संदीप से जानना चाहता था कि आखिर ऐसा क्या था कि उसने संगीता के सामने अंजू का जिक्र करने को मना कर रखा है। हांलाकी संगीता तो यह बता ही चुकी थी कि वह किसी और लड़की से अब अभय की दोस्ती कराने वाली है परंतु अभय संदीप से काफी कुछ और लिखना चाह रहा था। ऐसे में उसने बात छेड़ते हुए संदीप से कहा कि अब उसे क्या करना है। इस पर संदीप कहता है अभी कोई जल्दबाजी करने की जरूरत नहीं है। धीरे-धीरे जो हो रहा है उसे होने दो। अभी तो संगीता ने सिर्फ यह कहा है कि वह तुम्हारी दोस्ती किसी और लड़की से कराएगी। जब कोई दूसरी लड़की आती है तब सोचेंगे क्या करना है। अभय के मन में अभी से तमाम ख्याली पुलाव पकने लगे थे और वह तरह-तरह की चीजें सोंचना शुरू कर चुका था। इसके बाद संदीप यह भी कहता है कि कोई भी बात तुमको संगीता से सीधे नहीं करनी है। वह काफी तेज दिमाग की है और तुम्हारे मुंह से कुछ भी बुलवा सकती है। इसलिए अगर वह कभी अकेले तुम्हें बुलाए तो कभी मत जाना। संदीप द्वारा अभय को काफी कुछ समझाया गया। अभय समझ भी जाता है। वहीं एक दिन अचानक ऐसा ही होता है। एक संदेश के माध्यम से संगीता अभय को अकेले आने के लिए कहती है। वह कहती हैं कि कोचिंग के बाहर वह उसका इंतजार करेगी, लेकिन अभय को पता था कि संदीप ने उसे ऐसा कुछ भी करने से मना किया है। अगर वह नहीं जाता है तो फिर यह बात संगीता को भी खराब लग सकती है। ऐसे में क्या किया जाए यह बात अभय सोंचने लगता है। कुछ देर बाद वह संदीप के पास पहुंचता है और उसे सारी बात विस्तार से बताता है। जिसके बाद संदीप कहता है कोई चिंता की बात नहीं। तुम वहां अकेले ही जाओ मैं तुम्हारे आसपास ही रहूंगा। अगर कुछ भी ऐसा महसूस हो कि तुम बातों को संभाल नहीं पा रहे हो तो मुझे इशारा कर देना मैं वहां पर आ जाऊंगा। इसके बाद दूसरे दिन अभय, संगीता से मिलने के लिए निर्धारित समय पर पहुंच जाता है, लेकिन जहां पर संगीता अकेले नहीं थी उसके साथ उसकी एक और खूबसूरत सहेली खड़ी थी। उसको देख कर अभय की आंखों में चमक आ जाती है। मानों अभय समझ चुका था कि इसी खूबसूरत लड़की से दोस्ती कराने के लिए संगीता उसे लाई है। इसके बाद संगीता उस लड़की का परिचय रूही के नाम से करवाती है। रूही देखने में काफी खूबसूरत थी उसके सुनहरे बाल और काली-काली बड़ी बड़ी आंखें ठंडक के कारण लाल सुर्ख होंठ, गाल भी पूरी तरह से टमाटर जैसे लाल थे। जिसे देखकर अभय दीवाना होने लगता है। लेकिन अभय अपने ऊपर कंट्रोल रखते हुए यह पूंछता है कि तुमने संदीप को यहां लाने के लिए क्यों मना कर दिया था। अगर संदीप होता तो कितना अच्छा रहता। हम लोग कहीं टहलने भी चल सकते थे। इसपर संगीता कहती है ठीक है हमारी अगली बार जब मुलाकात होगी तो हमारे साथ होगा, पर अभी मुझे सही नहीं लग रहा था उसे यहां बुलाना। अभय कुछ समझ नहीं पाता है पर संगीता की बात में हामी भर देता है। कुछ देर यह लोग बात करते हैं और इसके बाद वह कहता है कि हम लोग पास की दुकान पर चलकर कोल्ड ड्रिंक पी सकते हैं। इस पर संगीता तैयार हो जाती है अब संगीता और रूही, अभय के साथ पास की दुकान पर जाकर कोल्ड ड्रिंक पीती हैं। इस दौरान अभय रूही से बात करने की कोशिश करता है। दोनों के बीच थोड़ी बहुत बात भी होती है। अभय रूही की खूबसूरती को देखकर उसका दीवाना हो गया था। अब मानों वह उसके साथ मिल जाना चाहता था। वह पूरी तरह से अंजू को भूल चुका था, पर उसके दिमाग में एक बात जरूर थी कि अगर यह सब अंजू को पता चल गया तो कयामत आ जाएगी। इन बातों से दूर अब अभय सिर्फ रूही के बारे में सोंच रहा था थोड़ी देर बाद संगीता और रूही वहां से चली जाती हैं । जिसके बाद अभय फौरन ही संदीप से मिलता है जैसे ही अभय संदीप को सारी बात बताने लगता है तो संदीप कहता है हां हां मैं तुम लोगों को दूर से देख रहा था। इसके बाद अभय ने सभी के बीच हुई बात को संदीप से बताते हुए कहा कि उसने संगीता से यह कहा था कि संदीप को तुमने यहां लाने के लिए मुझे क्यों मना किया। इस पर उसने कुछ खास जवाब तो नहीं दिया पर कहा कि आने वाले समय में हम लोग मिलेंगे वह ऐसी बात क्यों करी थी मुझे नहीं पता है और उसने इसके अलावा तुम्हारे बारे में मुझसे कुछ भी नहीं पूंछा। अब संदीप समझ चुका था कि संगीता ने ऐसा क्यों किया है।

अभय रूही की तारीफ करता जा रहा था और संदीप यह समझ रहा था जब इतनी खूबसूरत लड़की थी तो मेरा दिमाग तो खुद ब खुद खराब हो जाता है। शायद इसीलिए संगीता ने मुझे रूही से पहले नहीं मिलवाया। दोनों ही दोस्त बात करते हुए चलने लगते हैं। अब जल्द ही कहीं मिलने का प्लान बनान लगते हैं इस दौरान अभय कहता है।

 

दोस्तों के एहसानों को यूंही नहीं भूलता मैं, उनका हर एक कर्ज उतारने की हैसियत रखता हूं।

जो कहते हैं कि धोखा दिया था हमने उसे पहले, आज वह किसी और के कंधे पर सर रखकर थे बहुत रोए।

समझा रहे थे वह कभी हमें कि हमारी हैसियत क्या है, हमें खोने के बाद वह यह बात किसी और से कई बार थे बोले।

किसी और की मईय्यत मैं जाकर दोस्तों से पूंछ रहे थे वह मेरा हाल क्या है, और खुद दोस्तों के बीच हाल बेहाल बैठे थे।

तमाम किताबें पढ़कर ढूंढ रहे थे वह हमारे जख्मों का इलाज, जो उन्होंने खुद के हाथों से हमें दिए थे।

हम भी बड़े बेशर्म निकले दोस्तों जो उनके साथ पहुंचे थे दवाखाने, उन जख्मों के इलाज के लिए,

जिन्हें कुरूपतने में उनके नाखूनों से हमारे लहू के निशान निकले थे।।

वो जो कहते थे हमसे कि मर जाएंगे हम तुम्हारे लिए, उनके पास ही हमें मारने के कई हथियार निकले थे।

 

मेरे दोस्त संदीप अगर तुम चाहो तो हम लोगों की मुलाकात बहुत जल्द हो सकती है। ऐस में संदीप हामी भरते हुए कहता है कि वह इस मामले में अभी संगीता से कोई बात नहीं कर सकता है। क्योंकि अभी तक संगीता ने तुम्हारी और रूही के बारे में मुझे कुछ भी नहीं बताया है और अगर मैंने अभी बात की तो वह जान जाएगी कि तुमने सब कुछ मुझे बता दिया है। तुम्हारा ही खेल बिगड़ सकता है, तो थोड़ा इंतजार करो, देखते हैं क्या होने वाला है। इसके बाद 2 दिन बीत जाते हैं और जब तीसरे दिन संगीता और संदीप की मुलाकात होती है तो संगीता उसे अभय और रूबी के बारे में बताती है। जिस पर संदीप नाराज होने का नाटक करता है और कहता है कि तुमने मुझे क्यों नहीं बताया और यह अभय मेरा दोस्त कहता है अपने आप को उसने तक मुझे कुछ नहीं बताया। इस पर संगीता कहती है कि मैंने उसे मना किया था। संदीप सब जानते हुए भी गुस्सा होने का नाटक कर रहा था, फिर दोनों ने मिलकर कुछ देर बाद की और कहीं चल कर रूही और अभय की मुलाकात कराने के बहाने टूर प्लान किया। अब सभी सोंच में थे कि हम लोगों को कहां चलना है और कैसे चलना है संदीप ने कहा मैं इसे लेकर अभय से बात करूंगा। फिर तुम रूही से भी बात कर लो। उसके बाद वह क्या कहती है उसके बाद ही हम लोग कुछ भी डिसाइड करेंगे। अब इन लोगों की मोहब्बत में एक नया मोड़ आने वाला था। अभय और रूही की मोहब्बत की कहानी संदीप और संगीता की कहानी के साथ आगे बढ़ रही थी। संगीता के मन में क्या था उतना ही कशमकश संदीप को लेकर भी इस कहानी में चल रहा है। रूही, अभय की जिंदगी में आ जरूर गई है पर देखने में वह इतनी खूबसूरत थी कि यह बात संदीप को परेशान कर रही थी अब संदीप क्या करने वाला था। पढ़े अगले अंक में........।

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