मैं मां और गृहणी होती हूं जब घर पर होती हूं। कामकाजी महिला होती हूं जब मैं बाहर होती हूं। मैं क्लॉक मदर हूं जो चौबीस घंटे ऑन ड्यूटी पर तैनात रहती है।
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अपनी ही उजास में सिमटा । रोशनी की चादर में लिपटा । मां की लोरी तू कभी बन जाता । पागल प्रेमी को प्रेमिका बन तू दिख जाता। आधा तो कभी पूर्णमासी का चांद तू बन जाता। असंख्य तारों के बीच तू मनमोहक