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सांवलराम की पुस्तकें

सांवलराम के लेख

गीता

27 नवम्बर 2015
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खुशी के चमन का बिगुल बजामेरे रग रग में कम्पन है सजीमै आवारगी सा इन्तजार करने लगादिन ,साल लगने लगे थेमेरा प्यार जुड़ने लगा थाखुशी के चमन का बिगुल जो बजा थाअविराम चलकर मंजिल जो पायी थीवो मेरे बगल में कुछ निहार रही थीबिछड़े लम्हों को चुन रही थी। परमेरा ध्यान जो भंग कर रही थी।खुशी के चमन का बिगुल जो बजा थ

नृत्यलज्जा

31 अक्टूबर 2015
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एक नृत्य नमक की तोहींन कर बेठाहुस्न का रंग जो फीका सा लगने लगाकिस कदर वो भूल बेठीजानते हुए अनजान हुईलाज के गहने से बेख़ौफ़ हुईहै वो भूली अपने उसूलो कोऔर चढ़ाने लगी बनावटी रंगो कोअब कैसे करू तेरा दीदारतेरा जीवित दर्शन मरण सा लगामै लगा लगाने सब्र को गलेकभी तो सावन बरसेगान बरसा तो मै बरसाऊँगामै हर बाधा से

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