गीता
खुशी के चमन का बिगुल बजामेरे रग रग में कम्पन है सजीमै आवारगी सा इन्तजार करने लगादिन ,साल लगने लगे थेमेरा प्यार जुड़ने लगा थाखुशी के चमन का बिगुल जो बजा थाअविराम चलकर मंजिल जो पायी थीवो मेरे बगल में कुछ निहार रही थीबिछड़े लम्हों को चुन रही थी। परमेरा ध्यान जो भंग कर रही थी।खुशी के चमन का बिगुल जो बजा थ