सपनों की उड़ान भरना चाहती हूं।
कुछ बन जाना चाहती हूं ।
जो लोग कहते हैं,
तुम कुछ नहीं कर सकती।
मैं यह कह कर कि मेरा,
बार मेरा मनोबल हिम्मत को मारा है।
लोगों की बातों को सुनकर ,
मैंने सपनों को बदलना शुरू कर दिया।
पर लोगों का।
कहना तो फिर भी बंद न हुआ।
सपनों को बदलना बंद कर सपना निश्चय किया,
उन्हें तो कहना है,
सपना हमने अपनी आंखों से देखा है।
साहब इसे भी हमें ही करना,
उड़ान भी हमें ही भरनी,
लोगों की बातों को छोड़
अपने सपने पर ध्यान दें पूरा कर
इन सपनों को वक्त आ गया है ।
कुछ कर दिखा देने का
जो हो गया उसे
भूल जाते हैं..
उसे भूल जा चलो उठो .....!
सपनों की उड़ान भरने के लिए,
तेरे रास्ते में मुश्किल है।
तो बहुत आएंगे इन्हें
पीछे छोड़ चलों आगे चलो••••।
सपनों को पूरा कर कुछ बन जाएगी ।
यही लोग जो कल तुझे न जाने क्या क्या कहते थे।
मैं तेरे आगे सिर झुकाए खड़े होंगे ,
तेरे लिए तालियाँ बजा रहे होंगे ।
यही तो है सपनों की उड़ान 🦋
अपने सपनों को पूरा करके दिखाओ•••!!
✍️अंकिता राजपूत