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sarita की डायरी

sarita

17 अध्याय
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sarita ki dir

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पुस्तक के भाग

1

अधूरा प्रेम

31 जनवरी 2022
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प्यार के नर्म मुलायम एहसास और दिल के जज़्बात उनसे कह तो दू , लेकिन

2

जज्बात

1 फरवरी 2022
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वक़्त ही नही देती हूं हाथों को, कागज कलम पकड़ने का क्योंकि डर है मुझे कि दिल में दबे जज्बात कागज पे बिखर जाएंगे

3

ज़िन्दगी

4 फरवरी 2022
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कहां भूल हुई ऐ जिन्दगी बता तो सही, बिखरी ज़िन्दगी में रफू लगा तो सही।😔😔। थक गई हूं चलते-चलते,उम्मीद की एक किरण

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ज़िन्दगी

5 फरवरी 2022
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ज़िन्दगी एक पहेली ही तो है, हां एक अनबूझी पहेली_। जिस के गणितीय रिश्तों को हम बूझ नहीं पाते,। &nbsp

5

मेरी चाह

10 फरवरी 2022
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मेरी चाह मेरे दिल में कैद है। &nb

6

याद

14 फरवरी 2022
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Facebook,insta, massenger...... सब

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"हम"

16 फरवरी 2022
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मुझे पता था कि..….. "तुम"और"मैं" "हम" नहीं हो सकते थे,बस इसी लिए तुम से दूरी कर ली।

8

मां का आंचल

26 फरवरी 2022
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नन्हीं सी जान को दूध पिलाते वक़्त, सबकी नजर से बचाने का उपाय है मां का आंचल..... &n

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वक्त

4 मार्च 2022
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जो सोचते हैं वो भूल कर भी नहीं होता, जो नहीं सोचते हैं वो अक्सर हो जाता है। सोचते हैं हम----सूरज की रोशनी कभी मद्धम नहीं हो सकती। चांद की चांदनी कभी खत्म नहीं हो सकती। सितारों कीे

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"ज़िन्दगी कविता कब रचती है"

5 मार्च 2022
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ज़िन्दगी कविता कब रचती है,जब मां बच्चे को जन्म देती है, बच्चे की तपती बुखार में सारी रात सिरहाने बैठी रहती है,जब पिता अपने रोते बच्चे को जिन्दगी का सबक सिखाने पहली बार स्कूल छोड़ कर आता हैतब जिन्

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"सपने सच होते हैं "

8 मार्च 2022
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सपने सच होते हैंबस पूरी शिद्दत के साथ उनके पीछे लगे रहो, बढ़ते रहो उनकी की तरफ, धीरे -धीरे लगातार बिना थके बिना रुके,तो सपने सच होते हैं।बुझने न दो उन्हें, छुपा लो मन के कोने में, सुलगने दो उन्हे

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वक्त

9 मार्च 2022
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हर दिन सोचती हूं, आज जरुर लिखूंगी, वो जो मेरे मन में उठा है।बस इतना सा काम समेट लूं फिर हाथ में लूंगी -"मेरी डायरी और पेन " लेकिन इतने में फिर याद आ जाता है कोई काम।सोचती हूं आज रात को सोने

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"काश कि मैं एक रोबोट होती "

14 अप्रैल 2022
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काश कि मैं एक रोबोट होती,ना आज की चिन्ता न कल की फ़िक्र होतीकाश कि मैं एक रोबोट होतीना अहसास होतै ना feeling होतीफिर भी सबकी चाहत अपार होतीजरुरते जब सब की पूरी होती तो मुझ पर भी प्यार की ब

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अधूरा इश्क

22 अप्रैल 2022
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यूं ही अचानक मिल गया वो शख्स, चलती ट्रेन में..….जिसे मैं मुद्द्तो से बड़ी शिद्दत के साथ खामोशी से चाहती रही,न उसने कुछ कहा न मैंने कुछ सुना, लेकिनमेरे खामोश होंठ और उसकी आंखों की न

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लम्हा - लम्हा संवर गया है।

28 अप्रैल 2022
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सोच रही हूं लिख दूं वो सब जोदिल में उमड़ - घुमड़ रहा है, बांध दूं शब्दों के दायरे में वो सब

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बचपन

21 जून 2022
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क्या वो दिन थे बचपन केमां की गोद और पापा के कंधे ,न समाज की चिंता न दुनिया का डर ,क्या वो दिन थे बचपन के........ मां की मनुहार और पापा का प्यार, &

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ऐसा मन करता है मेरा

21 जून 2022
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ऐसा मन करता है मेराकोयल बन उड़ जाऊं मैंमीठे -मीठे गीत सभी को, गाकर सदा सुनाऊं मैं ऐसा मन करता है म

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