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"ज़िन्दगी कविता कब रचती है"

5 मार्च 2022

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ज़िन्दगी कविता कब रचती है,

जब मां बच्चे को जन्म देती है,
 बच्चे की तपती बुखार में सारी रात सिरहाने बैठी रहती है,
जब पिता अपने रोते बच्चे को जिन्दगी का सबक सिखाने पहली बार स्कूल छोड़ कर आता है
तब जिन्दगी कविता रचती है।

जब गुनगुने अहसास मन को उड़ान देते हैं ,                                          मन के जज़्बात जब शब्दों का रुप लेते हैं,
जब बिगडे़ हालात कागज पर ढलते हैं, 
दिल का दर्द जब तकिए में जज्ब होता है ,
तब जीवन कविता रचता है।

अकेलेपन मे जब मन किसी को ढूंढता है,
जीवन की पथरीली राहों पर जब कोई अकेला चलता है, 
रंगीन शामों में भी जब मन कोई खाली कोना ढूंढता है ,
तब जीवन कविता रचता है।


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