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सतवारी और भृंगराज

28 जून 2022

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आज मैं आपको अपने बाग़-बगीचे में लगी सतावरी और भृंगराज के बारे में बताती हूँ। हमने इन्हें हमारे बगीचे की बाउंड्री में लगा रखा है।  भृंगराज सड़क के किनारे वाली बॉउंड्री पर तो सतावरी सड़क से बिल्डिंग के लिए बनी सीढ़ियों के किनारे लगा रखी है। जिसकी सुन्दरता की तारीफ़ हर सड़क या बिल्डिंग में आने-जाने वाला करना नहीं भूलता है।  हमें तब बहुत अच्छा लगता है जब आने-जाने वाला कोई भृंगराज और सतावरी मांग कर ले जाते हैं। सतावरी का  पौधा तो बाउंड्री पर बहुत सुन्दर तरीके से सजता है।  यह एक बेल के रूप में होती है जिसकी अनेक शाखाएँ होती हैं, जो कि काँटेदार लता के रूप में तीन-चार  मीटर तक फैलती है। इसकी जड़ें मूसली जैसी गुच्छों के रूप में होतीं हैं तथा लतादार झाड़ी की पत्तियां पतली और सुई के समान होती है। इसका फल‌ मटर के दाने की तरह गोल जो कि पहले हरा तथा पकने पर लाल हो जाता है। आयुर्वेद में इसे ‘औषधियों की रानी’ माना जाता है। इसकी जड़ की गांठों और पत्तियों से आयुर्वेदिक दवा बनाई जाती है, जो कि शारीरिक दर्द कम करने, महिलाओं में स्तन्य (दूध) की मात्रा बढ़ाने, मूत्र विसर्जनं के समय होने वाली जलन को कम करने, तंत्रिका प्रणाली और पाचन तंत्र की बीमारियों के इलाज, ट्यूमर, गले के संक्रमण, ब्रोंकाइटिस और कमजोरी में फायदेमंद होती है। यह कम भूख लगने व अनिद्रा की बीमारी में भी फायदेमंद है। इसे महिलाओं के लिए एक बढ़िया टॉनिक माना जाता है। शतावर के पौधे को उगाने के लिए बहुत मेहनत की जरुरत नहीं होती हैं।  यह हर प्रकार की मिट्टी और जमीन में बरसात के समय आसानी से लग जाता है। इसका आयुर्वेद महत्व तो है ही साथ में यह बाग़-बगीचे की बॉउंड्री और घर के गेट की शोभा बढ़ाने में भी पीछे नहीं रहता है। 


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अब बात थोड़ी बातें भृंगराज की।  यह आसानी से हर मिट्टी में उग जाती हैं।  यद्यपि यह कम पानी में भी उग जाता है लेकिन जहाँ कीचड़ या थोड़ा-बहुत पानी  बहता रहता हो, वहां यह बड़ी तेजी से बढ़कर फैलता है।  हरी-भरी पत्तियों और पीले-सफ़ेद फूलों से लदी यह बाग़-बगीचे की बॉउंड्री की शोभा बढ़ाने में चार चाँद लगा देती है।  यह त्वचा संबंधी विकारों जैसे- त्वचा के कटने, छिलने, घाव होने या चोट में असरदायक है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के मतानुसार यह बालों और लीवर से जुड़ी समस्याओं के लिए लाभदायक है, क्योंकि इसमें केश्य गुण पाया जाता है।  इसका तेल, पाउडर या पेस्ट गंजेपन, बालों के झड़ने, असमय बालों के पकने आदि समस्याओं में राहत पहुंचाने वाला होता है। 

सतवारी और भृंगराज कई गुणों की खदान तो है ही साथ ही यह बाग़-बगीचे या घर-आँगन की शोभा भी बढ़ाती है, तो क्यों न आप भी आज ही इन्हें अपने घर लाइए और फिर मेरी बातें याद रखिए।    

Dr.k. S .Chandel

Dr.k. S .Chandel

बहुत से ऐसे पोधे है जिन्हे हम बेकार समक्षते है । मगर आर्युवेद मे इनका प्रयोग औषधियों मे होता आया है । जानकारी के अभाव मे हम इसे नजरअंदाज कर देते है ।

15 अगस्त 2022

कविता रावत

कविता रावत

15 अगस्त 2022

एकदम सही बात कही आपने, जानकारी के अभाव में कई पौधों का लाभ हमें नहीं मिल पाता है। मेरा यही उद्देश्य रहता है कि जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे तो वे जागरूक हों और वे भी हमारी तरह किसी भी रूप में जानकारी साझा कर इनका लाभ उठाएं।

Dr.k. S .Chandel

Dr.k. S .Chandel

उपयोगी जानकारी के लिये हमारा साधुवाद स्वीकार करे और इसी प्रकार की उपयोगी जानकारीयाँ उपलब्ध कराते रहियेगा

28 जून 2022

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रचनाएँ
बाग़-बगीचे की बातें (दैनन्दिनी-जून, 2022)
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जून माह की दैनन्दिनी में मैं केवल आपसे बाग़-बगीचे की बातें करूँगी। इस माह 5 तारीख को विश्व पर्यावरण दिवस भी आता है, तो मैंने सोचा क्यों न इस माह प्रकृति से अपने जुड़ाव की बातें साझा करती चलूँ। प्रकृति की गोद में मुझे बड़ा सुकून मिलता है, इसीलिए मैंने अपने घर के पास एक ऐसा छोटा सा बाग़-बगीचा बनाया हैं, जहाँ कुछ छोटे-बड़े अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे और थोड़ी-बहुत ताज़ी साग-सब्जी भी उगा लेती हूँ। इस दैनन्दिनी में आप मेरे इसी बाग़-बगीचे में उगे पेड़-पौधों की बारे में जानिए और मेरे साथ-साथ चलते रहिए।
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बाग़-बगीचे की दुनिया की सैर

4 जून 2022
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आज जून माह की ४ तारीख हो गयी हैं।  इन चार दिन में सोच रही थी कि इस माह की दैनन्दिनी में क्या लिखूं।  इसी उधेड़बुन में जब कल मैंने समाचार पत्र में विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में कुछ लेख पढ़े तो मेरे

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पर्यावरण-प्रदूषण रोकथाम हेतु पेड़-पौधे लगाना जरुरी है

5 जून 2022
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आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है।  जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत

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फल-ककड़ी चोरी पर मिली गालियों की यादें

7 जून 2022
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  इन दिनों हमारे बग़ीचे की बॉउंड्री में ककड़ी , कद्दू, लौकी, तोरई और सेम की छोटी-छोटी बेलें फ़ैल रही हैं। इनमें कद्दू, सेम और ककड़ी मैंने अपने गांव से बीज मँगवाकर लगाए हैं। हर दिन जब इन बेल को धीरे-धीर

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तुलसी का पौधा जन्मदिन का उपहार

8 जून 2022
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आज सुबह उठते ही पतिदेव ने मुझे मिनिरल बॉटल को काटकर उसमें लगाए तुलसी के पौधे को मेरे जन्मदिन का उपहार कहकर दिया तो मैंने उनसे कहा कि लोग अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर महँगे से महँगा उपहार देते हैं और

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जंगल जलेबी का पेड़

9 जून 2022
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गर्मियों में सुबह-सुबह की सैर का अपना एक अलग ही आनंद है। इस सैर में यदि सुबह-सुबह कुछ प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्वों से भरपूर कुछ मुफ्त में ख

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भीषण गर्मीं में भी फल देते केले और पपीते के पेड़

10 जून 2022
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आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्ते कुछ मुरझाते तो कुछ सूखत

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पहली फुहार आयी बहार

12 जून 2022
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भीषण गर्मी में जब आसमान से बादल उमड़-घुमड़ कर बरसने लगते हैं, तब बरसती बूंदों की तरह ही मन भी ख़ुशी के मारे उछल पड़ता है। कल शाम को पहली बार जैसे ही बादलों से कुछ बूँदें जमीन पर आकर गिरी तो प्रकृति में एक

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बगीचे के नीम पेड़ पर चढ़ा सांप

14 जून 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो मोहल्ले में बड़ा हो-हल्ला मचा था। मोहल्ले के कुछ लोग अपनी बालकनी तो कुछ छत से हमारे बग़ीचे के नीम के पेड़ को किसी अजूबे की तरह उचक-उचक कर देखते हुए शोरगुल कर रहे थे। उ

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जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी

16 जून 2022
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मुरझाये पौधे भी खिल उठते जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी। आह! इन बादलों की देखो अजब-गजब की मनमानी।। देख बरसते बादलों को ऊपर पेड़-पौधे खिल-खिल उठते हैं। जब बरसते बादल बूंद- बूंद तब अद्भुत छटा बिखेरते

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बगीचे का पितृ वृक्ष नीम

19 जून 2022
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आज मैं आपको हमारे बगीचे के पितृ वृक्ष नीम से मिलाती हूँ। आज से लगभग ७ वर्ष पूर्व जब हम इस सरकारी आवास में आये तो यहाँ बाहर यही एक एकलौता  नीम का वृक्ष था।  उसके आस-पास अन्य कोई पेड़-पौधे नहीं थे। अधि

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बगिया की वन तुलसी

22 जून 2022
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बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है और फिर जैसे ही गर्मी का मौसम आया औ

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कंडाली का पौधा

24 जून 2022
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अभी दो दिन पहले मैंने आपको अपने बगीचे में उगाई वन तुलसी की बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं अपने बग़ीचे में उगाये हमारे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के एक ऐसे औषधीय पौधे के बारे में जो

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कुणजा के पौधा

25 जून 2022
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कल मैंने आपको हमारे बाग़-बगीचे में उगाई कंडाली के पौधे के बारे में कुछ बातें बताई। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं आपको हमारे उत्तराखंड से लाकर बगीचे में लगाए कुणजा के पौधे के बारे में बताती हूँ।  बचपन

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दाल-सब्जी का तड़का जख्या और दुतपंगुरु

27 जून 2022
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आज भी जब कभी अपना कोई रिश्तेदार या निकट सम्बन्धी गांव जाकर वहाँ से मौसमी फल अखरोट, आड़ू, काफल, च्यूड़े, नारंगी या माल्टा के साथ ही गैथ की दाल, भट्ट, छीमी, रयांश, मंडुवे का आटा, कौणी, झंगोरा आदि लाक

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सतवारी और भृंगराज

28 जून 2022
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आज मैं आपको अपने बाग़-बगीचे में लगी सतावरी और भृंगराज के बारे में बताती हूँ। हमने इन्हें हमारे बगीचे की बाउंड्री में लगा रखा है।  भृंगराज सड़क के किनारे वाली बॉउंड्री पर तो सतावरी सड़क से बिल्डिंग के

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बाग़-बगीचे की रंगत में

29 जून 2022
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इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बत

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