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बाग़-बगीचे की रंगत में

29 जून 2022

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इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बता पाना संभव नहीं हो सका। इसलिए मैंने सोचा आज माह के अंतिम लेख में   'बाग़-बगीचे' के छूटे हुए पेड़-पौधों के बारे में भी थोड़ा-बहुत बताती चलूँ, ताकि मैं उनकी नाराजगी से बची रह सकूँ।

इसी तारतम्य में पहले बात करती हूँ बाहरी बॉउंड्री में जहाँ सतवारी और भृंगराज के अलावा जो महत्वपूर्ण बेल बॉउंड्री की शोभा बढ़ा रही है वह है गिलोय। गिलोय पिछले पांच वर्ष से हमारी बॉउंड्री के चारों ओर तो फैली ही है इसके अलावा व नीम के पेड़ में खूब छाई हुई।  भीषण गर्मी में यही एक ऐसी बेल थी, जिसमें हरे-हरे पत्तों के बीच लाल-हरे,पीले बीज बगीचे की शोभा बढ़ा रहे थे।  पिछले कोरोना काल में तो इसकी पत्तियों और तनों की मांग चरम सीमा लाँघ गई थी, दूर-दूर से कई लोग आकर मांग-मांग कर ले गए, तो हमें यह देखकर अच्छा लगा कि चलो हमारी मेहनत तो किसी की काम आयी।

अब बॉउंड्री के पौधों की बाद फूल के पौधों की बात करती हूँ। फूल के पौधों में सदाबहार, गुलाब, कनेर, गुड़हल, चाँदनी, चम्पा, चमेली, हार सिंगार, गेंदा आदि की बहार तो है ही साथ में जो गुल अब्बास की रंगत है वह देखने लायक है। यद्यपि इसके फूल बरसात और सर्दी में सबसे ज्यादा खिलते है, लेकिन इसमें भी सदाबहार की तरह हमेशा फूल खिलते रहते है। बस गर्मियों में इसे पानी की ज्यादा जरुरत पड़ती है। इसके काली मिर्च जैसे बीज गर्मियों में ज्यादा पकते हैं और जब यह जमीन में गिरते और बरसात का मौसम आता है तो फिर इसकी बहार देखते ही बनती है।

अब बात करती हूँ फलों के पेड़ों की, जिसमें पपीता और केला की बात तो मैं कर चुकी हूँ।  अब जो बचे पेड़ हैं- आम, अमरूद, जामुन, नीम्बू, आड़ू जिसमें अमरूद और नींबूं में ही अभी फल आते हैं, बाकी अभी छोटे-छोटे हैं।

साग-सब्जी में ककड़ी, कद्दू, गिलकी और सेम की बात मैं पहले कर चुकी हूँ। अब बाकी बचे चौलाई, पालक, मिर्च और पोई जिसने बरसात होने पर अपने बढ़ने की रफ़्तार पकड़ ली है।

इसके अलावा अन्य शोभा बढ़ाने वाले पौधों की भी रौनक देखते बन रही है।  पान की बेल भी बड़ी तेजी से बढ़ रही है। इसे हमें कुछ थर्माकोल तो कुछ जमीन में लगा रखा है, जो गर्मी में सूखने की कगार पर था लेकिन अब बरसात ने इसमें जान फूंक दी हैं तो यह सर उठाकर सरपट बढ़ता जा रहा है।  कुछ पान के पौधों को हमने दीवार में गाडी के टायर और मिनरल वाटर की बोतल में लगाया है। इसकी पत्तियाँ अपेक्षाकृत छोटे हैं लेकिन बड़ी स्वादिष्ट होती हैं, जिन्हें टूटी-फूटी और सौंफ के साथ मिलकर खाने में बड़ा मजा आता है।  मोहल्ले और ऑफिस के कई लोग इसके स्वाद के दीवाने हैं।  कुछ लोग पूजा के लिए इसकी पत्तियाँ ले जाते हैं तो मन को अच्छा लगता है।

मुझे बचपन से जो प्रकृति के साथ लगाव रहा है उससे मैं कभी दूर नहीं हुई, यह देखकर मुझे बड़ी ख़ुशी मिलती हैं। मैं आज न केवल अपने घर के आस-पास, बल्कि दूसरी जगह भी पेड़-पौधे लगाने और दूसरे लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करने में पीछे नहीं रहती हूँ। यह मेरा प्रकृति से जुड़ाव और पर्यावरण को बचाने का परिणाम है कि आज हमारा घर-आंगन ग्रीनलैंड का पर्याय बना हुआ है। इसके अलावा हमने घर से थोड़ी दूर स्थित श्यामला हिल्स के पहाड़ी पर बने भगवान शंकर के मंदिर “जलेश्वर मंदिर“ में भी सैकड़ों पेड़-पौधे लगाए हैं, जिनकी हम निरंतर देख-रेख करते हैं। घर और बाहर पेड़-पौधों के बीच घड़ी दो घड़ी बैठकर और उन्हें पलते-बढ़ते, फलते-फूलते देख  मन में जो सुकून मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है।

आप भी अपने आस-पास उपेक्षित भूमि, गमलों या किसी भी डिब्बे आदि में पेड़-पौधे लगाइये और प्रकृति के सहायक बनकर जीवन का सच्चा सुकून अनुभव कीजिए।

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रचनाएँ
बाग़-बगीचे की बातें (दैनन्दिनी-जून, 2022)
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जून माह की दैनन्दिनी में मैं केवल आपसे बाग़-बगीचे की बातें करूँगी। इस माह 5 तारीख को विश्व पर्यावरण दिवस भी आता है, तो मैंने सोचा क्यों न इस माह प्रकृति से अपने जुड़ाव की बातें साझा करती चलूँ। प्रकृति की गोद में मुझे बड़ा सुकून मिलता है, इसीलिए मैंने अपने घर के पास एक ऐसा छोटा सा बाग़-बगीचा बनाया हैं, जहाँ कुछ छोटे-बड़े अलग-अलग तरह के पेड़-पौधे और थोड़ी-बहुत ताज़ी साग-सब्जी भी उगा लेती हूँ। इस दैनन्दिनी में आप मेरे इसी बाग़-बगीचे में उगे पेड़-पौधों की बारे में जानिए और मेरे साथ-साथ चलते रहिए।
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बाग़-बगीचे की दुनिया की सैर

4 जून 2022
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आज जून माह की ४ तारीख हो गयी हैं।  इन चार दिन में सोच रही थी कि इस माह की दैनन्दिनी में क्या लिखूं।  इसी उधेड़बुन में जब कल मैंने समाचार पत्र में विश्व पर्यावरण दिवस के बारे में कुछ लेख पढ़े तो मेरे

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पर्यावरण-प्रदूषण रोकथाम हेतु पेड़-पौधे लगाना जरुरी है

5 जून 2022
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आज विश्व पर्यावरण दिवस है। हमारे जीवन के अस्तित्व, निर्वाह, विकास आदि को दूषित करने वाली स्थिति को पर्यावरण-प्रदूषण कहा जाता है।  जैसे-जैसे महानगरों के विस्तार के साथ ही नए-नए उद्योग-धंधों का अनियंत

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फल-ककड़ी चोरी पर मिली गालियों की यादें

7 जून 2022
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  इन दिनों हमारे बग़ीचे की बॉउंड्री में ककड़ी , कद्दू, लौकी, तोरई और सेम की छोटी-छोटी बेलें फ़ैल रही हैं। इनमें कद्दू, सेम और ककड़ी मैंने अपने गांव से बीज मँगवाकर लगाए हैं। हर दिन जब इन बेल को धीरे-धीर

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तुलसी का पौधा जन्मदिन का उपहार

8 जून 2022
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आज सुबह उठते ही पतिदेव ने मुझे मिनिरल बॉटल को काटकर उसमें लगाए तुलसी के पौधे को मेरे जन्मदिन का उपहार कहकर दिया तो मैंने उनसे कहा कि लोग अपनी पत्नी को उसके जन्मदिन पर महँगे से महँगा उपहार देते हैं और

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जंगल जलेबी का पेड़

9 जून 2022
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गर्मियों में सुबह-सुबह की सैर का अपना एक अलग ही आनंद है। इस सैर में यदि सुबह-सुबह कुछ प्रोटीन, वसा, कार्बोहैड्रेट, केल्शियम, फास्फोरस, लौह, थायामिन, रिबोफ्लेविन आदि तत्वों से भरपूर कुछ मुफ्त में ख

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भीषण गर्मीं में भी फल देते केले और पपीते के पेड़

10 जून 2022
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आजकल गर्मी के तेवर बड़े तीखे हैं। नौतपा आकर चला गया लेकिन मौसम का मिजाज कम होने के स्थान पर और भी अधिक गरमाया हुआ है। इंसान तो इंसान प्रकृति के जीव-जंतु, पेड़-पौधे, फूल-पत्ते कुछ मुरझाते तो कुछ सूखत

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पहली फुहार आयी बहार

12 जून 2022
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भीषण गर्मी में जब आसमान से बादल उमड़-घुमड़ कर बरसने लगते हैं, तब बरसती बूंदों की तरह ही मन भी ख़ुशी के मारे उछल पड़ता है। कल शाम को पहली बार जैसे ही बादलों से कुछ बूँदें जमीन पर आकर गिरी तो प्रकृति में एक

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बगीचे के नीम पेड़ पर चढ़ा सांप

14 जून 2022
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आज शाम जैसे ही ऑफिस से घर पहुँची तो मोहल्ले में बड़ा हो-हल्ला मचा था। मोहल्ले के कुछ लोग अपनी बालकनी तो कुछ छत से हमारे बग़ीचे के नीम के पेड़ को किसी अजूबे की तरह उचक-उचक कर देखते हुए शोरगुल कर रहे थे। उ

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जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी

16 जून 2022
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मुरझाये पौधे भी खिल उठते जब उमड़-घुमड़ बरसे पानी। आह! इन बादलों की देखो अजब-गजब की मनमानी।। देख बरसते बादलों को ऊपर पेड़-पौधे खिल-खिल उठते हैं। जब बरसते बादल बूंद- बूंद तब अद्भुत छटा बिखेरते

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बगीचे का पितृ वृक्ष नीम

19 जून 2022
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आज मैं आपको हमारे बगीचे के पितृ वृक्ष नीम से मिलाती हूँ। आज से लगभग ७ वर्ष पूर्व जब हम इस सरकारी आवास में आये तो यहाँ बाहर यही एक एकलौता  नीम का वृक्ष था।  उसके आस-पास अन्य कोई पेड़-पौधे नहीं थे। अधि

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बगिया की वन तुलसी

22 जून 2022
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बरसात का मौसम आते ही हमारे बगीचे में राम और श्याम तुलसी के पौधों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। लेकिन जैसे ही ठण्ड का मौसम आता है तो इनमें से कुछ को पाला मार जाता है और फिर जैसे ही गर्मी का मौसम आया औ

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कंडाली का पौधा

24 जून 2022
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अभी दो दिन पहले मैंने आपको अपने बगीचे में उगाई वन तुलसी की बारे में जानकारी दी। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं अपने बग़ीचे में उगाये हमारे पहाड़ी राज्य उत्तराखंड के एक ऐसे औषधीय पौधे के बारे में जो

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कुणजा के पौधा

25 जून 2022
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कल मैंने आपको हमारे बाग़-बगीचे में उगाई कंडाली के पौधे के बारे में कुछ बातें बताई। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए आज मैं आपको हमारे उत्तराखंड से लाकर बगीचे में लगाए कुणजा के पौधे के बारे में बताती हूँ।  बचपन

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दाल-सब्जी का तड़का जख्या और दुतपंगुरु

27 जून 2022
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आज भी जब कभी अपना कोई रिश्तेदार या निकट सम्बन्धी गांव जाकर वहाँ से मौसमी फल अखरोट, आड़ू, काफल, च्यूड़े, नारंगी या माल्टा के साथ ही गैथ की दाल, भट्ट, छीमी, रयांश, मंडुवे का आटा, कौणी, झंगोरा आदि लाक

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सतवारी और भृंगराज

28 जून 2022
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आज मैं आपको अपने बाग़-बगीचे में लगी सतावरी और भृंगराज के बारे में बताती हूँ। हमने इन्हें हमारे बगीचे की बाउंड्री में लगा रखा है।  भृंगराज सड़क के किनारे वाली बॉउंड्री पर तो सतावरी सड़क से बिल्डिंग के

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बाग़-बगीचे की रंगत में

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इस माह  दैनन्दिनी  'बाग़-बगीचे की बातें' के अंतर्गत मैंने अपने बाग़-बगीचे के कुछ जरुरी पेड़-पौधों के बारे में आपको कुछ जानकारी साझा दी। इसमें बाग़-बगीचे के सभी पेड़-पौधों की बारे में समयाभाव के कारण बत

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